NDMC: सफाई पर खर्च कर डाले 80 लाख… फिर भी पानी में डूबीं कालोनियां

-सत्ताधारी दलों के नेताओं और निगम अधिकारियों की मिलीभगत का आरोप
-किसी पार्षद के इलाके में साफ नहीं हुए नाले, नहीं उठाई गई गाद
-पुरानी दिल्ली से पॉश कालोनियों तक घरों में घुस रहा पानी

टीम एटूजैड/ नई दिल्ली
उत्तरी दिल्ली नगर निगम के आला अधिकारी और सत्ताधारी दल भारतीय जनता पार्टी के नेता भले ही दावा करें कि उन्होंने निगम के नालों की पूरी सफाई करवा दी है। लेकिन पहली ही बरसात में उत्तरी दिल्ली के हालातों ने बता दिया है कि नेता और अधिकारी सफेद झूठ बोल रहे हैं। बीजेपी नेताओं का आरोप है कि इस साल दिल्ली सरकार ने अपनी एजेंसियों से यह काम नहीं कराया है। लेकिन सच बात यह है कि निगम में सत्ताधरी दल के नेता केवल अपनी साख बचाने के लिए यह बात कह रहे हैं।

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उत्तरी दिल्ली नगर निगम के नालों की सफाई और दिल्ली में हुए जलभराव का मामला बुधवार को उत्तरी दिल्ली नगर निगम के सदन की बैठक में बरदस्त तरीके से गूंजा। विपक्ष ने निगम अधिकारियों के नालों की सफाई के जवाब पर गंभीर सवाल उठाए हैं। केवल विपक्ष के ही नहीं बल्कि सत्ताधारी बीजेपी के ज्यादातर पार्षदों की शिकायत है कि उन्हें मालूम ही नहीं कि उनके वार्ड के नालों की सफाई के लिए कितने रूपये की राशि जारी की गई है और कितनी राशि के टेंडर किस कंपनी को दिये गए हैं?

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सदन में निगम अधिकारियों की ओर से उपलब्ध कराई गई जानकारी के मुताबिक उत्तरी दिल्ली नगर निगम में कुल 4 फुट से चौड़े और गहरे नालों की संख्या 192 है। इनकी लंबाई करीब 127 किलोमीटर है। जबकि 4 फुट से कम गहरे और छोटे नालों की संख्या 815 और लंबाई करीब 493 किलोमीटर है। सूत्रों का कहना है कि केवल नियमित कर्मचारियों के द्वारा ही नालों और नालियों की सफाई की जा रही है। किसी भी इलाके में नालों या नालियों की सफाई करने के लिए अलग से कर्मचारी नहीं गये हैं।

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बुधवार को कांग्रेस पार्षदों के नेता मुकेश गोयल के शॉर्ट नोटिस पर निगम अधिकारियों ने यह जवाब दिये हैं। इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि निगम में किस स्तर का भंष्टाचार फैला हुआ है। उत्तरी दिल्ली नगर निगम के अंतर्गत 6 जोन और 12 मेंटेनेंस डिवीजन हैं। केशव पुरम जोन की बात करें तो यहां एक मेंटेनेंस डिवीजन के नालों की सर्फा का ठेका 4 लाख रूपये में दिया गया है। इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि आधे जोन के नालों और नालियों की सफाई 4 लाख रूपये में कैसे करायी जा सकती है?

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यदि अधिकारियों की इस योजना को सही मान लिया जाये तो अधिकारियों के मुताबिक नालों और नालियों की सफाई और सिल्ट उठाने के लिए कुल 80 लाख रूपये की धनराशि जारी की गई है। लेकिन यदि एक मेंटेनेंस डिवीजन के ठेके की सफाई की राशि पर विचार किया जाए तो केशव पुरम जोन के रानीबाग डिवीजन के नालों और नालियों की सफाई का ठेका महज 4 लाख रूपये में दिया गया है। यदि इसे भी सही मान लिया जाए तो निगम के 6 जोन के 12 डिवीजन की कुल धनराशि 48 लाख रूपये होती है, तो बाकी की धनराशि कहां गई? जबकि निगम अधिकारियों ने दावा किया है कि उन्होंने शत-प्रतिशत काम पूरा कर दिया है।
पार्षदों को नहीं मालूमः कब और कहां खर्च हुए 80 लाख?
उत्तरी दिल्ली नगर निगम के निगम पार्षदों को यह मालूम ही नहीं है कि निगम में नालों और नालियों की सफाई के लिए 80 लाख रूपये का बजट खर्च किया है। खास बात यह है कि वह तो अब तक नालों और नालियों की सफाई अपने नियमित बेलदारों से ही कराते रहे। बुधवार की बैठक के लिए बांटे गये एजेंडे और शॉर्ट नोटिस के जवाब से उन्हें पता चला कि निगम अधिकारियों ने उनके इलाकों के नालों और नालियों की सफाई के लिये 80 लाख रूपये खर्च किये हैं। यहां तक कि खुद निगम के नेताओं को यह बात मालूम नहीं है।
नहीं आया कोई निजी ठेकेदार… सत्ता पक्ष पर बड़ा सवाल?
पीतमपुरा से बीजेपी की निगम पार्षद अंजू जैन का कहना है कि उनके इलाके के नालों और नालियों की सफाई के लिए अभी तक कोई ठेकेदार या उसके कर्मचारी नहीं आए हैं। उन्होंने बताया कि ‘पता चला है कि रानीबाग डिवीजन के नालों की सफाई के लिये 4 लाख रूपये का टेंडर दिया गया है। लेकिन यह टेंडर कब दिया गया, ठेकेदार के कर्मचारियों ने कब काम किया और कब सिल्ट उठाकर भलस्वा तक पहुंचाई गई? इसकी जानकारी उन्हें नहीं है।
बीजेपी ने भ्रष्टाचार का अड्डा बनाया नगर निगमः आप
आम आदमी पार्टी के नेता और उत्तरी दिल्ली नगर निगम में विपक्ष के नेता विकास गोयल ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी के नेताओं ने निगम को भ्रष्टाचार का अड्डा बना दिया है। किसी भी वार्ड में अभी तक नालों या नालियों की सफाई निजी ठेकेदारों के द्वारा नहीं कराई गई है। केवल टेंडर और ठेकों के नाम पर सरकारी पैसों की बंदरबांट की जा रही है। नगर निगम ने 80 लाख रूपये नालों और नालियों की सफाई के नाम पर बांट दिये, लेकिन न तो महापौर और नाही स्टेंडिंग कमेटी के अध्यक्ष ने कभी बताया कि यह कब हुआ। बीजेपी के नेता निगम के आला अधिकारियों के साथ मिलकर सरकारी पैसे की उगाही में लगे हुए हैं। उनका ध्यान नगर निगम की हालत सुधारने पर बिलकुल नहीं है।
उत्तरी दिल्ली में केवल किराड़ी में भरता है पानी
निगम अधिकारी पार्षदों के सवालों के जवाब बड़े ही हास्यास्पद तरीके से देते हैं और निगम की सत्ता में काबिज बीजेपी के नेता इसका समर्थन करते हैं। शॉर्ट नोटिस के जरिए कांग्रेस पार्षद दल के नेता मुकेश गोयल ने सवाल पूछा कि उत्तरी दिल्ली नगर निगम में बरसात के समय कितने स्थानों पर जल भराव होता है? इसके जवाब में निगम अधिकारियों ने जवाब दिया कि केवल किराड़ी इलाके में ही बरसात में जलभराव होता है। इससे भी हास्यास्पद बात यह है कि रविवार को ही जखीरा फ्लाईओवर के नीचे पानी भरने से एक टेंपो डूबते डूबते बचा था। लेकिन इस जवाब का भी बीजेपी ने समर्थन किया और निगम अधिकारियों से कोई सवाल नहीं पूछा।