NDMC: मेहरबान अफसर… रातोंरात डीएचए की पोस्ट पर ट्रांसफर

-8 के बजाय 3 साल में पाई यूनीवर्सिटी टीचर की मान्यता
-निगम में ट्यूटर/डेमोंस्ट्रेटर की पोस्ट का दिखाया अनुभव

हीरेन्द्र सिंह राठौड़/ नई दिल्ली
उत्तरी दिल्ली नगर निगम में अफसरों की मनमानी जारी है। सीनियर्स के ऊपर जूनियर्स को तैनात करना निगम अधिकारियों का विशेष शगल बन गया है। लेकिन ताजा मामला फर्जी आधार पर वरिष्ठता बनाने और पद हथियाने के संबंध में सामने आया है। इसके बाद निगम अधिकारियों की पसंद और कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान खड़े हो गए हैं। निगम अधिकारियों ने पिछले दिनों डॉक्टर संगीता नांगिया को डायरेक्टर अस्पताल प्रशासन (डीएचए) नियुक्त किया है। लेकिन उनकी ‘यूनिवर्सिटी मान्यता प्राप्त टीचर’ के ओहदे पर ही सवाल खड़े हो गए हैं।

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प्राप्त जानकारी के मुताबिक डॉक्टर संगीता नांगिया ने खुद को 1998 में स्पेशलिस्ट कैडर मिलने का दावा किया है। इसके बाद उन्होंने ‘दिल्ली यूनीवर्सिटी से मान्यता प्राप्त टीचर’ के ओहदे के लिए पढ़ाना शुरू किया था। नियमानुसार किसी भी डॉक्टर को स्पेशलिस्ट का कैडर मिलने के पश्चात 8 साल का पढ़ाने के अनुभव प्राप्त करना होता है। मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआई) के अनुसार इसमें पोस्ट ग्रेजुएट की डिग्री प्राप्त करने के बाद 5 साल का असिस्टेंट प्रोफेसर बतौर पढ़ाने का अनुभव भी शामिल है। लेकिन डॉक्टर नांगिया ने दिल्ली यूनीवर्सिटी से ‘मान्यता प्राप्त टीचर’ का ओहदा तीन साल पढ़ाने के बाद ही हासिल कर लिया था।

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एटूजैड न्यूज को मिले दस्तावेज बताते हैं कि डॉक्टर संगीता नांगिया ने अपने पढ़ाने के अनभुव में जीडीएमओ बतौर 10 साल का ट्यूटर/डेमोंस्ट्रेटर बतौर पढ़ाने का अनुभव भी शामिल कराया है। जिससे कि उन्हें पांच साल और पढ़ाने से छूट प्राप्त हो गई थी। जबकि उत्तरी दिल्ली नगर निगम या फिर एकीकृत नगर निगम में डॉक्टर्स के लिए कभी ट्यूटर या फिर डेमोंस्ट्रेडर की कोई पोस्ट ही नहीं रही। ऐसे में उनका ‘यूनीवर्सिटी रिकॉग्नाइज्ड टीचर’ का ओहदा मानकों पर खरा नहीं उतरता। इस मान्यता के पश्चात ही किसी स्पेशलिस्ट डॉक्टर को किसी मेडिकल शिक्षण संस्थान में पढ़ाने के लिए टीचर/सुपरवाइजर का ओहदा प्राप्त होता है। ऐसे में निगम के आला अधिकारियों के उन्हें डीएचए बनाने के निर्णय पर भी सवाल खड़े हो गए हैं।

रातोंरात किए गए ट्रांसफर-पोस्टिंग
नगर निगम से जुड़े सूत्र बताते हैं कि डॉक्टर संगीता नांगिया अतिरिक्त निगम आयुक्त रश्मि सिंह की पसंद हैं। इसके चलते उन्हें कस्तूरबा अस्पताल की एमस के पद से हटाकर रातोंरात निगम मुख्यालय में डीएचए के पद पर तैनात किया गया है। बीते 29 जून 2020 को उनकी पोस्टिंग के आदेश कार्यालय समय के बाद जारी किए गए थे। केवल यही नहीं अब तक डीएचए की नियुक्ति के आदेश डायरेक्टर पर्सनल के कार्यालय से जारी किए जाते रहे हैं।

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पिछले दिनों डॉक्टर अरूण यादव को हटाकर उनकी जगह पर दूसरी महिला अधिकारी को तैनात करने के आदेश भी डायरेक्टर पर्सनल के कार्यालय से ही जारी किये गए थे। बताया जा रहा है कि डॉक्टर नांगिया को डीएचए के पद पर तैनात करने के लिए अतिरिक्त आयुक्त ने खुद दिलचस्पी दिखाई और उनके आदेश पर ही एडमिनिस्ट्रेटिव ऑफिसर (हेल्थ) के कार्यालय से ट्रांसफर-पोस्टिंग के आदेश जारी किये गए थे।
मानाः निगम में ट्यूटर की पोस्ट नहीं है
डॉक्टर संगीता नांगिया ने एटूजैड न्यूज के साथ बातचीत में माना कि नगर निगम में ट्यूटर या फिर डेमोंस्ट्रेटर की कोई पोस्ट नहीं है। उन्होंने कहा कि हमने डॉक्टरी के स्टूडेंट्स को पढ़ाया है। उस समय हमारे पास प्रोफेसर या लेक्चरर का ओहदा नहीं था। अतः हमें पढ़ाने के लिए ट्यूटर या डेमोंस्ट्रेटर का ओहदा दिया गया था। यह निर्णय पूरी तरह से हेड ऑफ इंस्टीट्यूशन का होता है और उन्होंने ही हमें यह लिखकर दिया है। बता दें कि नियमानुसार यदि किसी संस्थान में यदि कोई पोस्ट नहीं होती तो उसे किसी संस्थान का हेड खुद से क्रियेट नहीं कर सकता। इसके लिए पूरे संस्थान के नियमों में बदलाव करना जरूरी होता है।
दो श्रेणी के डॉक्टर्स अधिकारी
नगर निगम में दो तरह के डॉक्टर्स अधिकारी हैं। इनमें पहला जनरल ड्यूटी मेडिकल ऑफिसर और दूसरा स्पेशलिस्ट डॉक्टर्स हैं। स्पेशलिस्ट डॉक्टर्स को सीनियर डॉक्टर्स का दर्जा प्राप्त है, जबकि जीडीएमओ डॉक्टर्स को जूनियर की श्रेणी में ही रखा जाता है। ऐसे स्पेशलिस्ट डॉक्टर को किसी भी शैक्षिक संस्थान में लगातार आठ साल पढ़ाने के बाद ही दिल्ली यूनीवर्सिटी मान्यता प्राप्त टीचर का ओहदा देती है। लेकिन डॉक्टर संगीता नांगिया को यह ओहदा तीन साल में ही मिल गया था। खास बात है कि दिल्ली यूनिवर्सिटी जीडीएमओ डॉक्टर्स को टीचर्स/सुपरवाइजर की मान्यता नहीं देती। जबकि डॉक्टर संगीता नांगिया ने अपनी जीडीएमओ बतौर ड्यूटी को ही अपने शिक्षण के अनुभव में जुड़वा दिया था। यहां यह भी बताना जरूरी है कि दिल्ली यूनिवर्सिटी से मान्यता प्राप्त टीचर्स का ओहदा प्राप्त डॉक्टर्स ही हिंदूराव मेडिकल कॉलेज सहित किसी भी मेडिकल शिक्षण संस्थान में पढ़ा सकते हैं या फिर कहीं थीसिस करा सकते हैं।