22 मार्च से ठप होंगे नगर निगम के अस्पताल!

-19 मार्च को डॉक्टर लेंगे सामूहिक कैजुअल अवकाश
-चार महीनों से सेलरी नहीं मिलने से बढ़ी नाराजगी

हीरेन्द्र सिंह राठौड़/ नई दिल्ली
उत्तरी दिल्ली नगर निगम के अस्पताल एक बार फिर बंदी के कगार पर हैं। डॉक्टर्स के संगठन म्यूनिसिपल कॉरपोरेशन डॉक्टर्स एसोसिएशन (एमसीडीए) ने चेतावनी दी है कि यदि उनका बकाया वेतन 18 मार्च तक नहीं मिला तो वह 19 मार्च को सामूहिक कैजुअल लीव लेकर स्वास्थ्य व्यवस्था ठप कर देंगे। यदि फिर भी वेतन जारी नहीं किया गया तो सोमवार 22 मार्च, 2021 से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले जाएंगे। यानी कि उत्तरी निगम के सभी अस्पतालों और औषधालयों में स्वास्थ्य सेवाएं ठप कर दी जाएंगी।

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बता दें कि कस्तूरबा गांधी अस्पताल के रेजीडेंट डॉक्टर्स ने तो शनिवार 13 मार्च से ही हड़ताल शुरू कर दी है। एमसीडीए के अध्यक्ष डॉक्टर आरआर गौतम और महासचिव मारूति सिन्हा ने बताया कि शुक्रवार को एसोसिएशन की जनरल बॉडी की आपात बैठक बुलाई गई थी। इसमें सभी सदस्यों ने आम सहमति से यह फैसला लिया है। सीनियर डॉक्टर्स का कहना है कि उन्हें पिछले 4 महीनों से वेतन नहीं दिया जा रहा है। जिसकी वजह से डॉक्टर्स की खुद की ‘‘आर्थिक सेहत’’ जर्जर हो गई है। एमसीडीए के इस निर्णय को कई अस्पतालों की रेजीडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशनों ने भी अपना समर्थन दिया है।

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डॉ आरआर गौतम और मारूति सिन्हा ने बताया कि पिछले चार महीनों से डॉक्टर्स को वेतन नहीं मिला है। इसके बावजूद निगम के आला अधिकारी इन डॉक्टर्स की समस्याओं पर कोई ध्यान नहीं दे रहे हैं। जब भी एसोसिएशन की ओर से वेतन देने की मांग उठाई जाती है तो उन्हें समस्याओं का हवाला देकर शांत कर दिया जाता है। या फिर एक महीने की सेलरी दे दी जाती है। यह सिलसिला पिछले करीब डेढ़-दो साल से लगातार जारी है। इसकी वजह से नगर निगम को अपनी सेवाएं देने वाले डॉक्टर्स अपने परिवारों को चला पाने में असमर्थ हैं।
कस्तूरबा अस्पताल में हड़ताल
उत्तरी दिल्ली नगर निगम के कस्तूरबा गांधी अस्पताल में 13 मार्च से ही हड़ताल जारी है। शनिवार और रविवार को कोई भी यहां कोई सामान्य मरीज भर्ती नहीं किया गया। दोनों दिन जिन मरीजों के परिजनों ने दिल्ली पुलिस को 100 नंबर पर कॉल कर दिया और भारी हंगामा किया, केवल उन्हीं मरीजों को भर्ती किया गया। बताया जा रहा है कि पहले से भर्ती मरीजों को भी सोमवार से छुट्टी दिये जाने की योजना है।
कस्तूरबा गांधी अस्पताल के रेजीडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन के पदाधिकारी डॉक्टर सुनील ने बताया कि डॉक्टर्स के सामने पिछले लंबे समय से वेतन की समस्या चली आ रही है। इसके अलावा उनके दूसरे लाभ तो पिछले कई सालों से नहीं दिये जा रहे हैं। ऐसे में रेजीडेंट डॉक्टर्स कैसे अपनी सेवाएं दे सकते हैं। डॉक्टर्स के सामने खुद अपना परिवार चलाने की समस्या खड़ी है। उन्होंने कहा कि डॉक्टर्स की सेलरी की समस्या का स्थायी हल निकाला जाना चाहिए। जब तक बकाया सेलरी नहीं दी जाएगी, तब तक रेजीडेंट डॉक्टर्स काम पर नहीं लौटेंगे।
डॉक्टर्स को दो-फाड़ करने की कोशिश
म्यूनिसिपल कॉरपोरेशन डॉक्टर्स एसोसिएशन के पदाधिकारियों का कहना है कि डॉक्टर्स को बांटने की कोशिश की जा रही है। सीनियर डॉक्टर्स को नवंबर और रेजीडेंट डॉक्टर्स को दिसंबर महीने तक का वेतन दिये जाने का दावा किया जा रहा है। लेकिन सच्चाई यह है कि यह वेतन भी केवल निगम के पांच बड़े अस्पतालों में कार्यरत डॉक्टर्स को ही जारी किया जा रहा है। नगर निगम के औषधालयों और दूसरे क्लीनिक में तैनात डॉक्टर्स को यह वेतन जारी नहीं किया गया है। इस तरह से डॉक्टर्स के साथ भी आला अधिकारी भेदभाव कर रहे हैं।
दिसंबर तक का जारी किया वेतनः महापौर
उत्तरी दिल्ली के महापौर जय प्रकाश ने बताया कि सीनियर डॉक्टर्स को नवंबर 2020 और रेजीडेंट डॉक्टर्स को दिसंबर 2020 तक का वेतन जारी कर दिया गया है। उन्होंने अपील की कि डॉक्टर्स के बकाया वेतन के भुगतान के प्रयास जारी हैं। अतः डॉक्टर्स परेशान नहीं हों और अपना काम करते रहें ताकि नगर निगम के काम को सुचारू रूप से आगे बढाया जा सके।