नगर निगम चुनावः दिल्ली हाईकोर्ट पहुंचा सीटों के रोटेशन का मामला

-आप नेता ने हाईकोर्ट में दी राज्य निर्वाचन आयोग के फैसले को चुनौती

एसएस ब्यूरो/ नई दिल्ली
दिल्ली राज्य निर्वाचन आयोग के नगर निगम वार्डस के रोटेशन का फैसला विवादों में घिर गया है। सामान्य श्रेणी के वार्डों को अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित किये जाने के फैसले को दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है। इसकी पजल आम आदमी पार्टी के नेता की ओर से की गई है। आप नेता ने अपनी याचिका में राज्य निर्वाचन आयोग के द्वारा किए रोटेशन के फैसले को चुनौती देते हुए इसे रद्द करने और यथास्थिति बनाए रखने की मांग की है।

यह भी पढ़ेंः BJP नेता ने अपनी पत्नी के लिए बदलवाया सीट का आरक्षण!

बता दें कि आप नेता पंकज शर्मा पिछले कुछ समय से सामान्य वार्ड-05 एस, राजौरी गार्डन से ’आप’ के लिए जनसम्पर्क के जरिये पार्टी को मजबूत बनाने का काम कर रहे थे, लेकिन यह सीट रोटेशन के चलते सामान्य से अब महिलाओं के लिए आरक्षित हो गई है। इसकी वजह से पंकज शर्मा आहत हैं।

यह भी पढ़ेंः रोटेशन ने खोला BJP के कई पूर्व पार्षदों का रास्ता… वर्तमान पार्षदों में मायूसी

एमसीडी एक्ट की रोटेशन प्रणाली के तहत दिल्ली में इस बार नगर निगम चुनावों से पहले आरक्षित सीटों का स्वरूप बदल गया है। जो सीटें पहले महिलाओं के लिए आरक्षित थीं, वो अब समान्य की श्रेणी में आ गई हैं या फिर अनुसूचित जाति की महिलाओं के लिए आरक्षित हो गई हैं। यही हाल सामान्य वर्ग के तहत आने वाली सीटों का हुआ है, या तो वह महिलाओं के लिए आरक्षित हो गई हैं, या फिर अनुसूचित जाति वर्ग में चली गई हैं।

यह भी पढ़ेंः ब्रेकिंगः वार्डों के रोटेशन की लिस्ट जारी… सांसें थाम कर इंतजार कर रहे लोगों को इंतजार खत्म, देखें अपना वार्ड

वर्षों से टिकट की आस में लगाए बैठे आम आदमी पार्टी, कांग्रेस, भाजपा के ज्यादातर नेताओं के लिए यह परिसीमन मुश्किलों भरा सिद्ध हुआ है। इस रोटेशन की अधिसूचना ने सारे समीकरण ही बिगाड़ दिये हैं। निर्वाचन आयोग ने भी जनगणना और जाति प्रतिशत का आधार नहीं मानते हुए जो बदलाव किए हैं उसी के विरोध में ’आप’ के नेता पंकज शर्मा ने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर करके परिसीमन को रद्द करने और यथास्थिति बरकरार रखने की गुहार लगाई है।
बताया जा रहा है कि अनुसूचित जाति की सीटों का आरक्षण 2011 की जनगणना के आधार पर किया गया है। लेकिन इसमें केवल अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित किये गये वार्डों की संख्या आती है। इस आधार पर उत्तरी दिल्ली में 20, दक्षिणी दिल्ली में 15 और पूर्वी दिल्ली में 11 सीट अनुसूचित जाति व अनुसूचित जाति की महिलाओं के लिए आरक्षित की गई हैं। लेकिन आयोग ने इसके लिए किसी वार्ड में अनुसूचित जाति की जनसंख्या को आरक्षण का आधार नहीं बनाया है। महिलाओं के मामले में 50 फीसदी आरक्षण देने के लिए वार्ड आरक्षित किये गये हैं।
मुश्किल में वर्तमान पार्षद
रोटेशन की अधिसूचना आने के बाद से भारतीय जनता पार्टी, आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के वर्तमान पार्षद मायूस हैं। सभी ने अपने आस-पास के वार्डों पर अपनी नजरें गढ़ा दी हैं। जिन्हें यह रोटेशन पसंद नहीं आ रहा है, वह कोर्ट जाने की तैयारी कर रहे हैं। लेकिन सीटों के रोटेशन ने राजनीतिक पार्टियों को अपने मौजूदा पार्षदों का टिकट काटे बिना नये-पुराने लोगों को चुनावी मैदान में उतारने का मौका दे दिया है।
खिले नये-पुराने दावेदारों के चेहरे
रोटेशन की अधिसूचना आने के बाद से सभी राजनीतिक दलों के ज्यादातर नये और पुराने दावेदारों के चेहरे खिल गये हैं। सबसे ज्यादा खुशी भारतीय जनता पार्टी के उन नेताओं में है, जिनके टिकट 2017 के चुनाव में काट दिये गये थे। उनमें से करीब 4 दर्जन दावेदारों ने टिकट के लिए अपनी गोटियां फिट करना शुरू कर दिया है। दूसरी ओर आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के मौजूदा पार्षदों ने अपने लिये दूसरी सुरक्षित सीटों की पहचान करके आलाकमान को मनाना शुरू कर दिया है।