-4 रूपये कमीशन व किराया लगाकर 81 रुपये में मिल रहा 25 रूपये का पेट्रोल
-लोगों को चुकाना पड़ रहा 32.98 रूपये एक्साइज ड्यूटी व 18.71 रूपये का वैट
एसएस ब्यूरो/ नई दिल्ली
कोरोना-लॉकडाउन व महंगाई की मार झेल रहे देशवासियों के लिए एक आरै बुरी खबर है। देश में एक बार फिर पेट्रोल व डीजल के दाम बढ़ने लगे हैं। आश्चर्य की बात है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम बेहद कम हैं। इसके चलते केंद्र की मोदी सरकार चाहे तो डीजल व पेट्रोल को आधे दामों पर कर सकती है। लेकिन मोदी सरकार भी लोगों को कोई राहत देने के मूड में नहीं है। बता दें कि 25 रूपये के पेट्रोल पर केंद्र की मोदी सरकार करीब 52 रूपये टैक्स के रूप में वसूल रही है।
यह भी पढ़ें- दिल्ली दंगेः ‘बंगाली बालाओं’ और ‘एमएसजे’ के जरिए रची थी राजधानी को जलाने की साजिश
ग्राहकों को पेट्रोल व डीजल के बेस प्राइस यानी एक्स फैक्टरी दाम का लगभग तीन गुना ज्यादा भुगतान करना पड़ रहा है। दिल्ली में फिलहाल एक लीटर पेट्रोल की कीमत 81.06 रुपये है। यहां ये जानना भी जरूरी है कि इस कीमत में से आधे से ज्यादा पैसा कंपनियों के पास नहीं, बल्कि टैक्स के रूप में केंद्र और राज्य सरकार के पास जाता है। आईओसीएल की वेबसाइट से प्राप्त जानकारी के अनुसार, इस समय दिल्ली में एक लीटर पेट्रोल का बेस प्राइस यानी एक्स फैक्ट्री कीमत 25.37 रुपये है।
यह भी पढ़ें- जानिए इस सप्ताह क्या लेकर आया है गुरू और बुध का राशि परिवर्तन?
जिसमें अगर फ्रेट (ढुलाई खर्च) जैसे खर्च जोड़ दिए जाएं, तो यह 25.73 रुपये हो जाता है। यानी टैक्स के बिना डीलर्स को पेट्रोल 25.73 रुपये का पड़ता है। इसमें एक्साइज ड्यूटी के रूप में 32.98 रुपये, डीलर कमीशन 3.64 रुपये और राज्य सरकार का वैट 18.71 रुपये जुड़ता है। इन खर्चों के बाद कुल मिलाकर पेट्रोल की कीमत 81.06 रुपये हो जाती है।
16 नवंबर को दिल्ली में पेट्रोल की कीमत
बेस प्राइस/एक्स फैक्ट्री कीमत 25.37 रुपये
फ्रेट (ढुलाई खर्च) 0.36 रुपये
एक्साइज ड्यूटी 32.98 रुपये
डीलर का कमीशन 3.64 रुपये
वैट (डीलर के कमीशन के साथ) 18.71 रुपये
आपके लिए दाम 81.06 रुपये
16 नवंबर को दिल्ली में डीजल की कीमत
बेस प्राइस/एक्स फैक्ट्री कीमत 25.42 रुपये
फ्रेट (ढुलाई खर्च) 0.33 रुपये
एक्साइज ड्यूटी 31.83 रुपये
डीलर का कमीशन 2.52 रुपये
वैट (डीलर के कमीशन के साथ) 10.36 रुपये
आपके लिए दाम 70.46 रुपये
जानिए मोदी सरकार ने कब-कब बढ़ाई ड्यूटी?
इस साल अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में ऐतिहासिक गिरावट के बाद लोग राहत की उम्मीद कर रहे थे। लेकिन लोगों को केंद्र सरकार ने झटका दिया था। सरकार ने पेट्रोल पर 10 रुपये और डीजल पर 13 रुपये प्रति लीटर उत्पाद शुल्क और बढ़ा दिया था। इससे पहले साल 2014 में पेट्रोल पर टैक्स 9.48 रुपये प्रति लीटर था और डीजल पर 3.56 रुपये।
यह भी पढ़ें- कांग्रेस में घमासानः गुलाम ने दी नेतृत्व को क्लीन चिट… नेताओं पर लगाए 5 स्टार कल्चर के आरोप
नवंबर 2014 से जनवरी 2016 तक केंद्र सरकार ने इसमें नौ बार इजाफा किया। इन 15 सप्ताह में पेट्रोल पर ड्यूटी 11.77 और डीजल पर 13.47 रुपये प्रति लीटर बढ़ी। इसकी वजह से 2016-17 में सरकार को 2,42,000 करोड़ रुपये की कमाई हुई, जो 2014-15 में 99,000 करोड़ रुपये थी। बाद में अक्टूबर 2017 में यह दो रुपये कम की गई। हालांकि इसके एक साल बाद ड्यूटी में फिर से 1.50 रुपये प्रति लीटर का इजाफा किया गया। इतना ही नहीं, जुलाई 2019 में यह एक बार फिर दो रुपये प्रति लीटर बढ़ा दी गई।
भारत में हो रहा कच्चे तेल का बड़ा आयात
भारत कच्चे तेल का बड़ा आयातक है। खपत का 85 फीसदी हिस्सा भारत आयात के जरिए पूरा करता है। इसलिए जब भी क्रूड सस्ता होता है, तो भारत को इसका फायदा होता है। तेल सस्ता होने की स्थिति में आयात में कमी नहीं पड़ती लेकिन भारत का बैलेंस ऑफ ट्रेड कम होता है। इससे रुपये को फायदा होता है। क्योंकि डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपये में मजबूती आती है, जिससे महंगाई भी काबू में आ जाती है। सस्ते कच्चे तेल से घरेलू बाजार में भी इसकी कीमतें कम रहेंगी।
ब्रेंट क्रूड का हा रहा आयात
भारत की निर्भरता ब्रेंट क्रूड की सप्लाई पर है, ना कि डब्ल्यूटीआई पर। इसलिए भारत पर अमेरिकी क्रूड के नेगेटिव होने का असर नहीं पड़ता। अगर ब्रेंट क्रूड की कीमत में एक डॉलर की कमी आती है, तो भारत का आयात बिल करीब 29 हजार करोड़ डॉलर कम होता है। अगर सरकार को इतनी बचत होती है, तो जाहिर है पेट्रोल-डीजल और अन्य फ्यूल के दाम पर भी इसका असर पड़ता है। यानी पेट्रोल और डीजल सस्ते हो सकते हैं।
एक डॉलर गिरने पर 50 पैसे सस्ता हो जाता है पेट्रोल
कच्चे तेल की कीमत में एक डॉलर की कमी का सीधा-सीधा मतलब है पेट्रोल जैसे प्रॉडक्ट्स के दाम में 50 पैसे की कमी। वहीं अगर क्रूड के दाम एक डॉलर बढ़ते हैं तो पेट्रोल-डीजल के भाव में 50 पैसे की तेजी आना तय माना जाता है।