करोलबाग में 27 करोड़ की हेराफेरी… उपराज्यपाल संदेह के घेरे में!

-उत्तरी दिल्ली के पूर्व महापौर योगेंद्र चंदोलिया ने एलजी की भूमिका पर सवाल

हीरेन्द्र सिंह राठौड़/ नई दिल्ली
राजधानी दिल्ली में उपराज्यपाल की नियुक्ति भले ही केंद्र क मोदी सरकार ने की हो, लेकिन खुद भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के नेता ही एलजी की भूमिका पर संदेह जता रहे हैं। उत्तरी दिल्ली के पूर्व महापौर एवं बीजेपी नेता योगेंद्र चंदोलिया ने करोलबाग इलाके में फुटपाथ बनाने के नाम पर दिल्ली की केजरीवाल सरकार पर 27 करोड़ से ज्यादा की हेराफेरी का आरोप लगाया है। योगेंद्र चंदोलिया ने कहा कि 7 साल बाद किसी योजना को अमली जामा पहनाया गया है। जबकि इतने वर्षों में करोलबाग इलाके में भारी परिवर्तन आ चुका है। उपराज्यपाल ने इस योजना को बिना रिव्यू किये लागू करवा दिया, इसकी वजह से वह भी संदेह के घेरे में हैं।

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दरअसल 10 अप्रैल 2012 को यूटीटीआईपीईसी (यूटिपैक) की 36 वीं गवर्निंग बॉडी की बैठक में फैसला लिया गया था कि करोलबाग इलाके में सड़कों को छोटा करके वहां के फुटपाथों को चौड़ा कर दिया जाये। इसके तहत पूरे इलाके में 20 से 25 फुटपाथों को सड़क से ज्यादा चोड़ा किया जाना था। लेकिन तब इस योजना को लागू नहीं किया गया था और इतने दिनों बाद इसे 2019-20 में लागू करते हुए इसको अमल में लाया गया है।

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इस योजना पर कुल 27 करोड़, 40 लाख रूपये खर्च किये जा रहे हैं। योगेंद्र चंदोलिया ने अपने पत्र में लिखा है कि पीडब्लूडी के द्वारा इस योजना पर काम किया जा रहा है, जो कि भ्रष्टाचारी विभाग है। इसके चलते करोलबाग में रहने वाले लोग चोटिल हो रहे हैं। ट्रैफिक जाम की समस्या हो रही है। गाड़ियां खड़ी करने को लेकर यहां के दुकानदारों और यहां रहने वालों के रोजाना झगड़े हो रहे हैं। सड़कें छोटी होने की वजह से जाम व प्रदूषण बढ़ रहा है।

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योगेंद्र चंदोलिया ने मांग की है कि इस काम को तुरंत रोका जाना चाहिए। क्योंकि इसमें भारी भ्रष्टाचार किया जा रहा है। बढ़ाये गये फुटपाथों को तुरंत छोटा किया जाये और सड़कों को चौड़ा किया जाये। जिन अधिकारियों ने इस योजना को अंजाम दिया है उनकी जांच करवाई जाये। क्योंकि बिना रिव्यू किये 7 साल पुरानी योजना को अब अचानक लागू कर दिया गया। इसमें स्थानीय लोगों व दुकानदारों को भारी परेशानी हो रही है।