-महापौर पद के चर्चा में आधा दर्जन से ज्यादा नाम
हीरेन्द्र सिंह राठौड़/ नई दिल्ली
पूर्वी दिल्ली नगर निगम के महापौर व उप महापौर के लिए चुनाव अंतिम दौर में पहुंच गया है। पूर्वी दिल्ली के महापौर पद के लिए करीब आधा दर्जन नाम चर्चा में हैं। बीजेपी पार्षदों का कहना है कि वर्तमान महापौर निर्मल जैन के कार्यकाल में निगम की हालत और ज्यादा खराब हुई है। ऐसे में पार्टी के ऊपर बड़ी जिम्मेदारी है कि वह महापौर व स्थायी समिति अध्यक्ष पद के लिए ऐसे नाम दे जो चुनावी वर्ष में पार्टी को मजबूत बना सकें। 19 अप्रैल तक महापौर व उप महापौर पदों के लिए नामांकन दाखिल किये जाने हैं। माना जा रहा है कि रविवार या सोमवार को ही नामों की घोषणा की जायेगी।
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बता दें कि निगम के इस कार्यकाल में अब तक नीमा भगत, विपिन बिहारी, अंजू कमलकांत और निर्मल जैन पूर्वी दिल्ली के महापौर की जिम्मेदारी संभाल चुके हैं। इनके अलावा स्थायी समिति अध्यक्ष पद पर प्रवेश वर्मा, मास्टर सत्यपाल सिंह और संदीप कपूर रह चुके हैं। वहीं नेता सदन की जिम्मेदारी संतोष पाल, निर्मल जैन और प्रवेश शर्मा के जिम्मे रही है। लेकिन पूर्वी दिल्ली नगर निगम के लिए महापौर के मामले में पिछले दो वर्ष बेहद निराशाजनक रहे हैं। कई स्तरों पर नगर निगम पिछले दो वर्षों में आगे बढ़ने के बजाय पीछे गया है। ऐसे में पार्टी नेतृत्व के ऊपर यह बड़ी जिम्मेदारी है कि चुनावी वर्ष में ऐसे लोगों को जिम्मेदारी दी जाये, जो पार्टी और नगर निगम, दोनों की छवियों को संभाल सकें।
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बीजेपी से जुड़े सूत्र बताते हैं कि फिलहाल पूर्वी दिल्ली के महापौर के लिए मास्टर सत्यपाल सिंह, प्रमोद कुमार, संदीप कपूर, प्रवेश शर्मा, गुंजन गुप्ता, हिमांशी पांडे, बबीता खन्ना, नीमा भगत आदि के नाम चर्चा में हैं। इनमें से फिलहाल मास्टर सत्यपाल सिंह का पलड़ा भारी नजर आ रहा है। मास्टर सत्यापाल फिलहाल स्थायी समिति के अध्यक्ष हैं और इससे पहले भी एक बार इसी कार्यकाल में स्थायी समिति अध्यक्ष रह चुके हैं। पार्टी से जुड़े सूत्रों का यह भी कहना है कि महापौर निर्मल जैन के कार्यकाल में उनकी सुस्ती की वजह से निगम का कामकाज बहुत ज्यादा पिछड़ गया है। जबकि स्थायी समिति ने बहुत से प्रयास करने की कोशिश की है। हालांकि पूर्वी दिल्ली में प्रमोद कुमार के नाम पर ट्विस्ट जरूर है। बताया जा रहा है कि इन्हें स्थानीय सांसद मनोज तिवारी का वरदहस्त प्राप्त है।
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अफसरशाही के हावी और निरंकुश होने का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उत्तरी दिल्ली नगर निगम ने अपने लेफ्टआउट केस के सफाई कर्मचारियों को स्थायी नौकरी के नियुक्ति पत्र जारी कर दिये हैं। लेकिन पूर्वी दिल्ली नगर निगम और दक्षिणी दिल्ली नगर निगम अभी तक यह प्रक्रिया तक पूरी नहीं कर पाये हैं। ऐसे में पूर्वी दिल्ली नगर निगम की मजबूत नेतृत्व की तलाश को खत्म करना ही दिल्ली बीजेपी की प्राथमिकता होनी चाहिए।
दिल्ली में नगर निगम की पांच सीटों पर हुए उपचुनाव के बाद से बीजेपी भारी दबाव में है। इन पांच में से 3 सीटें पूर्वी दिल्ली नगर निगम के अंतर्गत ही आती हैं। त्रिलोग पुरी, मंगोलपुरी और चौहान बांगर में से बीजेपी एक भी सीट पर कब्जा नहीं कर सकी। हालात इतने खराब रहे कि 2017 के निगम चुनाव के मुकाबले इस बार पार्टी और ज्यादा अंतर से इन सीटों को हार गयी। इन 3 में से दो पर आम आदमी पार्टी और एक पर दिल्ली में मृतप्राय कांग्रेस ने कब्जा कर दिया। आने वाले 10 महीने के पश्चात यानी अप्रैल 2022 में नगर निगम के चुनाव होने हैं। यदि पार्टी का प्रदर्शन इसी तरह का रहा तो चुनाव में आम आदमी पार्टी हावी हो सकती है। ऐसे में महापौर, स्थायी समिति और नेता सदन के चुनाव में छोटी सी चूक का भी पार्टी को आगे चलकर भारी खामियाजा भुगतना पड़ सकता है।