-सबसे खराब रहा पिछले दो महापौरों का कार्यकाल
-कमजोर नेतृत्व के चलते अफसर हुए बेलगाम
हीरेन्द्र सिंह राठौड़/ नई दिल्ली
दक्षिणी दिल्ली नगर निगम के लिए भी महापौर, उप महापौर व स्थायी समिति के सदस्यों के लिए चुनाव की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। इसी के साथ निगम पार्षदों की अपने-अपने आकाओं के यहां हाजिरी लगाने का सिलसिला बढ़ गया है। हालांकि कोरोना के बढ़ते मामलों की वजह से पार्षदों को अपने नेताओं के पास तक पहुंचना थोड़ा मुश्किल जरूर हो रहा है। दक्षिणी दिल्ली के लिए भी 19 अप्रैल को ही नामांकन दाखिल करने की आखिरी तारीख है। ऐसे में एक-दो दिन में उम्मीदवारों के नामों की घोषणा की जा सकती है।
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बता दें कि अब तक कमलजीत सहरावत, नरेंद्र चावला, सुनीता कांगड़ा और अनामिका मिथलेष महापौर पद पर रह चुके हैं। स्टेंडिंग कमेटी चेयरमैन बतौर भूपेंद्र गुप्ता, शिखा राय और राजदत्त गहलोत जिम्मेदारी संभाल चुके हैं। इनके अलावा दक्षिणी दिल्ली में नेता सदन के तौर पर शिखा राय, कमलजीत सहरावत और नरेंद्र चावला काम संभाल चुके हैं। लेकिन दक्षिणी निगम के पार्षदों में इस बात को लेकर ज्यादा नाराजगी बतायी जा रही है कि बीते दो बार से महापौरों का कार्यकाल अच्छा नहीं रहा है। जिसकी वजह से स्थायी समिति अध्यक्ष भी दमदार नहीं रहा, जिसकी वजह से निगम अधिकारी निरंकुश हो गये हैं और बीजपी की बदनामी हो रही है।
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अगले करीब 10 महीनों बाद यानी कि अप्रैल 2022 में नगर निगम चुनाव होने हैं। दिल्ली के नगर निगमों के लिए इसे चुनावी वर्ष माना जा रहा है। महापौर, स्थायी समिति अध्यक्ष और नेता सदन के पद पर चुने जाने वाले पार्षदों के कंधों पर ही नगर निगम की चुनावी रणनीति निर्भर करेगी। उत्तरी दिल्ली नगर निगम पहले ही आर्थिक तंगी के चलते सबसे बुरी स्थिति में है। अतः यहां सबसे मजबूत महापौर और स्थायी समिति अध्यक्ष की जरूरत है।
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बता दें कि 2019 में बीजेपी ने सुनीता कांगड़ा को दक्षिणी दिल्ली का महापौर बनाया था। इसके बाद 2020 में बीजेपी ने अनामिका मिथलेष को महापौर बना दिया था। यह दोनों महिला नेता राजनेता के बजाय घरेलू महिलाएं हैं, जिसकी वजह से उन्हें राजनीति का ज्यादा अनुभव नहीं था। ऐसे में दोनों महापौरों के कार्यकाल में निगम में कोई उल्लेखनीय काम नहीं हो सका। अनामिका के साथ स्थायी समिति अध्यक्ष राजदत्त गहलोत को बनाया गया था। वह भी काम के मामले मे ंकोई कमाल नहीं दिखा सके और अधिकारियों के इशारों पर नाचते नजर आये। ऐसे में नगर निगम पर आम आदमी पार्टी लगातार हावी होती चली गई।
बीजेपी से जुड़े सूत्र बताते हैं कि दक्षिणी दिल्ली नगर निगम में महापौर पद के प्रमुख दावेदारों में तुलसी जोशी, नंदिनी शर्मा, नरेंद्र चावला, भूपेंद्र गुप्ता, शिखा राय और मुकेश सूर्यान के नाम चर्चा में हैं। इनके अलावा कमलजीत सहरावत और राजदत्त गहलोत भी खेमेबंदी में जुट गये हैं। माना जा रहा है कि इन्हीं लोगों में से प्रमुख जिम्मेदारियां दी जायेंगी। सूत्रों का कहना है कि महापौर पद के लिए सबसे प्रमुख दावेदारों में भूपेंद्र गुप्ता का नाम बताया जा रहा है। बता दें कि भूपेंद्र गुप्ता दो बार स्थायी समिति के अध्यक्ष रह चुके हैं। यह बात अलग है कि वह पार्टी के ही कुछ नेताओं और अफसरों के गठजोड़ का शिकार होते रहे हैं। उन्होंने स्थायी समिति अध्यक्ष रहते हुए पार्किंग और विज्ञापन से जुड़े कई मामलों को उठाया था। यह मामले ऐसे थे जिनकी वजह से दक्षिणी दिल्ली नगर निगम को भारी नुकसान उठाना पड़ा है।
बीजेपी के एक वरिष्ठ पदाधिकारी का कहना है कि भूपेंद्र गुप्ता को यदि मेयर बना दिया जाता है तो नगर निगम के हालातों में कुछ सुधार आ सकता है। वहीं नरेंद्र चावला भी दोबारा महापौर बनने के जुगाड़ में लगे हुए हैं। हालांकि वह नेता सदन रहते हुए भी ज्यादा कुछ नहीं कर पाये हैं और उनका नाम गुटबाजी करने वाले नेताओं में शामिल रहा है। इसको लेकर बीजेपी के कई पार्षदों में भारी नाराजगी भी बतायी जा रही है। एक प्रमुख समिति के अध्यक्ष और बीजेपी पार्षद का कहना है कि नरेंद्र चावला उत्तरी दिल्ली के नतोओं की तरह सबको एक साथ लेकर नहीं चलते हैं। नंदिनी शर्मा के ऊपर पार्टी के एक केंद्रीय नेता का हाथ है और तुलसी जोशी के ऊपर प्रदेश के ही प्रमुख नेता का आशीर्वाद बताया जा रहा है।