-निगम की विपरीत आर्थिक परिस्थितियों में बनाई अलग पहचान
-पूर्वांचली पार्षदों में नाराजगी, एक बार भी नहीं मिली कमान
हीरेन्द्र सिंह राठौड़/ नई दिल्ली
तीनों नगर निगमों के लिए नये महापौर व उप महापौर की तलाश अंतिम दौर में पहुंच गई है। उत्तरी दिल्ली नगर निगम के लिए महापौर पद के दावेदारों ने अपने-अपने सियासी आकाओं के ऊपर पूरा दबाव बना रखा है। महापौर पद के लिए सोमवार 19 अप्रैल को नामांकन दाखिल किये जाने हैं। माना जा रहा है कि भारतीय जनता पार्टी की ओर से दावेदारों के नाम रविवार या सोमवार को ही घोषित किये जाएंगे। खास बात है कि उत्तरी दिल्ली नगर निगम के पूर्वांचली पार्षदों में इस बात को लेकर भारी नाराजगी है कि बीते चार साल में एक भी पूर्वांचली नेता को महापौर, स्थायी समिति अध्यक्ष या नेता सदन का ओहदा नहीं दिया गया।
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बता दें कि उत्तरी दिल्ली नगर निगम में अब भी बनिया-पंजाबी वाद हावी है। अब तक महापौर के पद पर प्रीति अग्रवाल, आदेश गुप्ता, अवतार सिंह और जय प्रकाश रह चुके हैं। वहीं स्थायी समिति अध्यक्ष के पद पर तिलक राज कटारिया, वीना विरमानी, जय प्रकाश और छैल बिहारी गोस्वामी आसीन रहे हैं। नेता सदन के पद की बात करें तो इस पद पर भी जयेंद्र डबास को छोड़कर तिलक राज कटारिया और योगेश वर्मा यानी कि पंजाबी बिरादरी के लोगों का ही कब्जा रहा है।
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अगले करीब 10 महीनों बाद यानी कि अप्रैल 2022 में नगर निगम चुनाव होने हैं। दिल्ली के नगर निगमों के लिए इसे चुनावी वर्ष माना जा रहा है। महापौर, स्थायी समिति अध्यक्ष और नेता सदन के पद पर चुने जाने वाले पार्षदों के कंधों पर ही नगर निगम की चुनावी रणनीति निर्भर करेगी। उत्तरी दिल्ली नगर निगम पहले ही आर्थिक तंगी के चलते सबसे बुरी स्थिति में है। अतः यहां सबसे मजबूत महापौर और स्थायी समिति अध्यक्ष की जरूरत है।
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बीजेपी से जुड़े सूत्र बताते है कि इस बार महापौर पद के दावेदारों में प्रमुख रूप से वर्तमान महापौर जय प्रकाश (जेपी), योगेश वर्मा, छैल बिहारी गोस्वामी, जयेंद्र डबास, विपिन मलहोत्रा, रमेश कुमार, पूनम झा और अंजू जैन के नामों की चर्चा है। बताया जा रहा है कि इनमें से कुछ नाम स्थायी समिति अध्यक्ष पद के लिए भी चर्चा में हैं। पार्टी की ओर से इस बारे में सांसदों, विधायकों व पार्टी पदाधिकारियों की राय भी ली जा रही है। राय लिये जाने का आखिरी दिन शुक्रवार है। इसके बाद कभी भी नामों की घोषणा की जा सकती है।
जिस तरह से हाल ही में नगर निगम की पांच सीटों पर हुए उपचुनाव के नतीजे आये हैं, उसके बाद से पार्टी नेतृत्व पर और ज्यादा दबाव बढ़ गया है। उपचुनाव में पार्टी अपनी शालीमार बाग नॉर्थ की परंपरागत सीट भी गंवा बैठी है। ऐसे में प्रदेश बीजेपी नेतृत्व भी ऐसे गलती नहीं दोहराना चाहेगा, जिससे कि बीजेपी का संकट और बढ़ जाये।
जेपी को मिल सकता है दोबारा मौका
बीजेपी से जुड़े सूत्र बताते हैं कि जय प्रकाश को महापौर बनने का मौका दोबारा दिया जा सकता है। कारण है कि जिस तरह से उन्होंने पूरी तरह से खराब हो चुके उत्तरी दिल्ली नगर निगम के हालातों को संभाला है, वह काम किसी अन्य के बस का नहीं था। सबसे बड़ी बात है कि महापौर जय प्रकाश स्थायी समिति और नेता सदन को भी अपने साथ हर मामले में साथ रखकर चलते रहे हैं। ऐसा कुछ दक्षिणी दिल्ली और पूर्वी दिल्ली में देखने को नहीं मिला है। खास बात है कि आम आदमी पार्टी के निशाने पर भी सबसे ज्यादा उत्तरी दिल्ली नगर निगम ही है। ऐसे में चुनाव वर्ष में बीजेपी की छोटी सी छूक पार्टी का बड़ा नुकसान कर सकती है।
खास बात है कि महापौर जय प्रकाश को अन्य महापौरों के मुकाबले काम करने का सबसे कम समय मिला है। इतने कम समय में भी उन्होंने निगम को भारी आर्थिक झंझावातों से निकाल कर दिखाया है। सीएम आवास पर 13 दिन के धरने से लेकर निगम कर्मियों की 5 से 6 महीने की बकाया सेलरी को दो महीने पर लाने में जय प्रकाश ने अपनी नेतृत्व क्षमता का कमाल दिखाया है।