कई और कांग्रेसी दिग्गज पाला बदलने की तैयारी में… मुश्किल में यूपी मिशन

-मिशन 2022 की राह में बढ़ी हैं कांग्रेस की मुश्किलें
-ग्रुप 23 नेताओं में कांग्रेस नेतृत्व को लेकर नाराजगी

हीरेन्द्र सिंह राठौड़/ नई दिल्ली
कांग्रेस का उत्तर प्रदेश मिशन खतरे में पड़ गया है। दिग्गज कांग्रेसी जितिन प्रसाद के पार्टी छोड़ने के बाद कई दूसरे दिग्गज भी कांग्रेस छोड़ने की तैयारी में है। यूपी कांग्रेस पहले से ही संकट के दौर से गुजर रही है, कोई नया चेहरा पार्टी के साथ नहीं जुड़ सका है। ऐसे में जाने-माने और पुराने चेहरे पार्टी छोड़कर जा रहे हैं। अब कांग्रेस नेतृत्व के सामने मिशन 2022 के तहत संगठन की राह में आने वाले कील-कांटे को साफ करने के साथ पार्टी से जाने वालों को रोक पाने की दोहरी चुनौती खड़ी हो गई है। विधानसभा चुनावों की उल्टी गिनती शुरू हो गई है, ऐसे में अपने बड़े चेहरों को बचाने के लिए कांग्रेस को पुरजोर कवायद करनी होगी।

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मध्य प्रदेश में ज्योतिरादित्य सिंधिया और केरल में पीसी चाको के कांग्रेस छोड़ने के बाद जितिन प्रसाद ऐसे तीसरे दिग्गज कांग्रेसी हैं, जिन्होंने पार्टी छोड़ी है। पंजाब कांग्रेस और राजस्थान कांग्रेस में भी पहले से बवाल चल रहा है और फिलहाल यह ठंडा होता नजर नहीं आ रहा है। पुड्डूचेरी में तो पूरा सत्ता परिवर्तन ही हो चुका है। माना जा रहा है कि कांग्रेस नेतृत्व के ढुलमुल रवैये और आलाकमान द्वारा पार्टी नेताओं की बातों को तवज्जो नहीं दिये जाने की वजह से वरिष्ठ कांग्रेसी नेताओं में नाराजगी बढ़ती जा रही है। इसकी वजह से केवल उत्तर प्रदेश में ही नहीं बल्कि अन्य कई राज्यों के साथ केंद्रीय स्तर पर भी कांग्रेस तेजी से कमजोर हो रही है।

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पिछले विधानसभा चुनाव से अब तक कई चेहरे कांग्रेस का साथ छोड़ चुके हैं। इनमें ताजा नाम जितिन प्रसाद का है और माना जा रहा है कि ये आखिरी नाम नहीं है। पार्टी के अंदरखाने में चल रही उठापटक बता रही है कि 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले कई बड़े चेहरे पाला बदल सकते हैं। जितिन प्रसाद उसी जी-23 का हिस्सा थे जिसने पार्टी नेतृत्व को बदलाव के लिए चिट्ठी लिखा थी। लेकिन शीर्ष नेतृत्व को चिट्ठी लिखने के बाद से साइडलाइन कर दिये गए थे। ऐसे लोगों में यूपी के पूर्व अध्यक्ष राजबब्बर और पार्टी के पूर्व महासचिव आरपीएन सिंह भी जी-23 का हिस्सा रहे और इन तीनों ही नेताओं को पिछले वर्ष बनी कमेटियों में कोई जिम्मेदारी नहीं दी गई थी।

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बताया जा रहा है कि ऐसे ज्यादातर कद्दावर कांग्रेस नेता पार्टी छोड़ने पर विचार कर रहे हैं, जिन्हें पार्टी नेतृत्व ने हासिये पर डाल रखा है। अतः इन लोगों की ओर से भी संकेत साफ है कि नेतृत्व इन्हें हाशिए पर डालेगा तो यह भी पार्टी छोड़ने में नहीं हिचकिचाएंगे। बता दें कि जितिन प्रसाद ने 2021 में कांग्रेस छोड़ी है। उनसे पहले 2020 में अन्नू टण्डन, 2019 में संजय सिंह और अमिता सिंह ने कांग्रेस छोड़ दी थी। उनसे पहले 2019 में ही राजकुमारी रत्ना सिंह और अम्मार रिजवी पार्टी छोड़कर जा चुके हैं। 2018 में दिनेश सिंह और 2016 में रीता बहुगुणा जोशी कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गये थे।
पार्टी नेतृत्व को सिब्बल की नसीहत
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल ने कहा है कि ‘मैं मानता हूं कि लीडरशिप को पता है कि समस्या क्या है और मुझे उम्मीद है कि लीडरशिप सुनेगा। क्योंकि बिना दूसरे की बात सुने आप राजनीति में नहीं रह सकते। अगर आप सुनेंगे नहीं तो आपके बुरे दिन शुरू हो जायेंगे।’’ कपिल सिब्बल ने आगे कहा कि अब हम आया राम- गया राम से ‘प्रसाद’ पॉलिटिक्स पर आ गये हैं। जहां प्रसाद मिल रहा है, वहां जा रहे हैं।
कांग्रेस में मंथन की जरूरत
रायबरेली से कांग्रेस की बागी विधायक अदिति सिंह व हरचंदपुर से विधायक राकेश सिंह की सदस्यता खत्म करने के लिए कांग्रेस हाईकोर्ट में मुकदमा लड़ रही है। अदित सिंह का कहना है कि ‘हां, मैं अब भी कांग्रेस की विधायक हूं लेकिन पिछले तीन-चार साल में बहुत लोग कांग्रेस को छोड़ कर चले गए। जितिन कांग्रेस का बड़ा चेहरा थे। युवा और साफ छवि के नेता हैं। उनका जाना कांग्रेस के लिए बड़ा नुकसान है। पार्टी में लोगों की सुनवाई नहीं हो रही है। शीर्ष नेतृत्व के जो सलाहकार हैं, वो पार्टी के लोगों की बात उन तक नहीं पहुंचा पा रहे हैं। पार्टी में बहुत ज्यादा मंथन की जरूरत है।’