मुश्किल में ममताः 41 विधायक और कई सांसद टीएमसी छोड़ने को तैयार

-टीएमसी के 41 विधायक बीजेपी के संपर्क में, कभी भी छोड़ सकते हैं पार्टीः विजयवर्गीय
-बीरभूम से टीएमसी सांसद शताब्दी रॉय बगावत के मूड में, थाम सकती हैं बीजेपी का दामन

एसएस ब्यूरो/ कोलकाता
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस की मुखिया ममता बनर्जी की मुश्किलें लगातार बढ़ती जा रही हैं। एक ओर बीरभूम से सांसद शताब्दी रॉय ने टीएमसी से बगावत का ऐलान कर दिया है। दूसरी ओर तीन दर्जन से ज्यादा विधायकों के पार्टी छोड़ने का मन बना लेने की खबरें आ रही हैं। यदि ऐसा होता है तो बंगाल की ममता सरकार धराशायी हो सकती है।

भारतीय जनरता पार्टी के महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने गुरुवार को दावा किया कि उनके पास पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार को समर्थन दे रहे ऐसे 41 विधायकों की सूची है जो पाला बदल कर भाजपा में आना चाहते हैं। पश्चिम बंगाल में इस साल अप्रैल-मई में विधानसभा चुनाव संभावित हैं। इन चुनावों में विपक्षी भाजपा के सामने बनर्जी की अगुवाई वाली सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस का गढ़ भेदने की चुनौती है।

पश्चिम बंगाल मामलों के प्रभारी महासचिव विजयवर्गीय ने कहा कि ‘मेरे पास 41 ऐसे विधायकों की सूची है जो भाजपा में आना चाहते हैं। अगर मैं इन 41 विधायकों को भाजपा में ले लूं, तो वहां सरकार गिर जाएगी। पर हम देख रहे हैं कि इनमें से किसे लेना है और किसे नहीं।’ उन्होंने कहा कि ‘हमने सोचा है कि अगर इनमें से किसी विधायक की छवि खराब है, तो हम उसे भाजपा में नहीं लेंगे।’

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विजयवर्गीय ने आरोप लगाया कि पश्चिम बंगाल में हिंसा की राजनीति चल रही है और घुसपैठिए बहुत आक्रामक रूप से भाजपा पर हमले कर रहे हैं। उन्होंने कहा के ‘इन लोगों को लगता है कि पश्चिम बंगाल में भाजपा की सरकार आएगी, तो घुसपैठियों की पहचान की जाएगी और उन्हें वहां अवैध गतिविधियां चलाने का मौका नहीं मिलेगा, जिस प्रकार योगी आदित्यनाथ ने उत्तर प्रदेश में गुंडों के बाजे बजा दिए हैं।’ विजयवर्गीय ने कहा कि ‘गलत गतिविधियों में शामिल लोग पश्चिम बंगाल में भाजपा को आगे बढ़ने से रोकना चाहते हैं। पर पश्चिम बंगाल का बहुत बड़ा भद्र समाज हमारे साथ है और हम अगले विधानसभा चुनावों में वहां निश्चित रूप से अपनी सरकार बनाएंगे।’

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दूसरी ओर बीरभूम की टीएमसी सांसद और अभिनेत्री शताब्‍दी रॉय ने एक फेसबुक पोस्‍ट के जरिए संकेत दिया है कि ’पार्टी में कुछ लोग उन्‍हें नीचा दिखाने में लगे हैं’। अपने राजनीतिक करियर के बारे में शताब्‍दी बड़ा फैसला ले सकती हैं, इसके लिए उन्‍होंने 16 जनवरी दोपहर 2 बजे का समय भी तय किया है।

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शताब्‍दी रॉय ने कहा कि ’लोग मुझसे पूछते हैं कि मैं बीरभूम में होने वाले पार्टी के कार्यक्रमों में क्‍यों नहीं दिखाई देती। मैं कैसे शामिल होऊं जब मुझे उनका शेड्यूल ही पता नहीं रहता? मुझे लगता है कि कुछ लोग नहीं चाहते कि मैं वहां रहूं।’ टीएमसी से जुड़े सूत्रों का कहना है कि साल 2019 के लोकसभा चुनावों के बाद बीरभूम सांसद शायद ही जिले में आयोजित पार्टी के किसी कार्यक्रम में दिखाई दी हैं। लोगों ने आखिरी बार उन्‍हें 28 दिसंबर को सीएम ममता बनर्जी की बीरभूम में आयोजित रैली में देखा था।
विकास कार्य हैं नाराजगी की वजह!
पार्टी सूत्रों का कहना है कि जब से शताब्‍दी रॉय ने सांसद विकास निधि का पैसा जनता में बांटा है स्‍थानीय नेता उनसे नाराज चल रहे हैं। नाराजगी की वजह यह है कि उन्‍होंने विकास कार्यों का चुनाव करते समय पार्टी की राय नहीं ली। शताब्‍दी राय ने साल 2009 में टीएमसी के टिकट पर बीरभूम से लोकसभा चुनाव लड़ा और विजयी हुईं थीं। बाद में वह 2014 और 2019 में भी यहीं से चुनाव जीतीं। इसके अलावा वह बंगाली सिनेमा की जानीमानी अभिनेत्री और निर्देशक भी हैं। उन्‍हें दो बार बीजेएफए सम्‍मान मिल चुका है।