-बगावत पर उतारू दीदी के मंत्रीमंडल के सहयोगी
एसएस ब्यूरो/ कोलकाता
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी अपने ही चक्रव्यूह में फंस गई हैं। मुश्किल में फंसी ममता का किला ताश के पत्तों की तरह ढहना शुरू हो गया है। पार्टी के अंदर चल रहा घमासान इतना बढ़ता जा रहा है कि उनके खुद के करीबी नेताओं के इस्तीफों की झड़ी लग गई है। आश्चर्य की बात तो यह है कि अब उनके मंत्रीमंडल के सहयोगी भी बगावत पर उतर आए हैं और वह स्थिति को संभाल नहीं पा रही हैं।
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बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा मंगलवार को बुलाई गई कैबिनेट की बैठक से चार प्रमुख चेहरे गायब रहे। इसके बाद अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले तृणमूल नेताओं की तरफ से पाले बदलने की आशंकाओं को लेकर सरर्गमी तेज हो गयी है। हालांकि पार्टी महासचिव पार्थ चटर्जी ने सफाई दी है कि चार में से तीन मंत्रियों की अनुपस्थिति के कारण वास्तविक प्रतीत हो रहे हैं। लेकिन उन्होंने माना कि वन मंत्री राजीब बनर्जी का बैठक से अनुपस्थिति रहने के कई अर्थ निकाले जा सकते हैं। क्योंकि पिछले दिनों उन्होंने पार्टी में “पक्षपात“ का आरोप लगाया था। अतः अब उनके टीएमसी छोड़ने की अटकलें शुरू हो गई हैं।
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बता दें कि नवंबर महीने में कोलकाता में हुई सार्वजनिक बैठक में वन मंत्री राजीव बनर्जी ने पार्टी में भाई-भतीजावाद और चाटुकारिता की बात कही थी। उन्होंने कहा था कि पार्टी में हां में हां मिलाने वालों की अहमियत बढ़ रही है जो निराशा की बात है। बनर्जी की टिप्पणी ने पार्टी के मजबूत नेता माने जाने वाले सुवेंदु अधिकारी की बातों को मजबूत किया था। पिछले महीने सुवेंदु अधिकारी ने ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी को पैराशूट वाला नेता बताया था।
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मंगलवार को हुई मंत्रीमंडल की बैठक से अनुपस्थित दो अन्य मंत्रियों में पर्यटन मंत्री गौतम देब और उत्तर बंगाल विकास मंत्री रवींद्रनाथ घोष शामिल थे। इस मामले में घोष ने कहा कि वह सरकारी सेवाओं को लोगों तक पहुंचाने में मदद करने के लिए ममता बनर्जी की बातों को जनता तक पहुंचाने में व्यस्त हैं। दूसरी ओर दार्जिलिंग जिले से आने वाले पर्यटन मंत्री गौतम देब अस्वस्थ हैं। वहीं बीरभिम के चंद्रनाथ सिन्हा ने कहा कि अगले हफ्ते मुख्यमंत्री की यात्रा की तैयारी को लेकर वो अपने क्षेत्र में जुटे हुए हैं।
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गौरतलब है कि हाल ही में अमित शाह की मौजूदगी में ममता बनर्जी के खास कहे जाने वाले सुवेंदु अधिकारी के साथ पांच विधायकों व एक सांसद के साथ तृणमूल कांग्रेस के 34 नेताओं ने बीजेपी ज्वॉइन की थी। साल 2019 के लोकसभा चुनाव की बात करें तो पश्चिम बंगाल की 42 में 18 सीटों पर बीजेपी ने कब्जा किया था। इस आम चुनाव में बीजेपी करीब 20 सीटों पर दूसरे स्थान पर रही थी। जिनमें आरामबाग, बारासात, बर्धमान, बशीरघाट, बीरभूमि, बोलपुर, डायमंउ हॉर्बर, घटल, हावड़ा, जादवपुर, जांगीपुर, जॉय नगर, कांठी, कोलकाता दक्षिण, कोलकाता उत्तर, मालदा, दक्षिण मथुरापुर, श्रीरामपुर, तालमुक और उलुबेरिया सीटें शामिल हैं। ऐसे में पश्चिम बंगाल में मजबूत होती बीजेपी ने ममता की धड़कनें बढ़ा दी हैं।
200 प्लस का लक्ष्य
खास बात है कि 2016 से लेकर अब तक तृणमल कांग्रेस के करीब एक दर्जन बड़े नेता पार्टी छोड़ चुके हैं। जिनमें मुकुल रॉय, अर्जुन सिंह, सौमित्र खान, मिहिर गोस्वामी, शुभेंदु अधिकारी जैसे ममता के करीबी और खास नेता शामिल हैं। दूसरी ओर भारतीय जनता पार्टी के शीर्ष नेता और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने चार महीने बाद होने वाले पश्चिम बंगाल विधान सभा चुनावों में कुल 294 सीटों में से 200 प्लस पर पार्टी की जीत का लक्ष्य रखा है। इसके लिए खुद अमित शाह और पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा जी तोड़ मेहनत कर रहे हैं। बीजेपी ने चुनावी रणनीति बनाते हुए राज्य को पांच चुनावी जोन में बांटा है और हर जोन के लिए एक संगठन महामंत्री को पर्यवेक्षक बनाकर भेजा गया है। इसके अलावा राज्य में पार्टी की स्थिति को मजबूत करने के लिए केंद्रीय मंत्रियों की फौज भी उतारी गई है।
एक-एक कर टीएमसी छोड़ रहे विधायक
बता दें कि पिछले दिनों तृणमूल विधायक बनश्री मैती ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया। मैती पश्चिम बंगाल के कंथी उत्तर निर्वाचन क्षेत्र से दो बार की विधायक चुनी गईं हैं। शुक्रवार को मैती ने तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी को ई-मेल के जरिए अपना इस्तीफा भेज दिया। चर्चा है कि वह भी जल्द ही बीजेपी में शामिल हो सकती हैं। मैती ने अपने पत्र में कहा है कि ’मैं तृणमूल कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता से अपना इस्तीफा दे रही हूं।’ पूर्वी मिदनापुर जिले में तृणमूल कांग्रेस की वरिष्ठ नेता को सुवेंदु अधिकारी का करीबी माना जाता है।
लगातार कमजोर हो रहीं ममता
ममता बनर्जी के सिपहसालार रहे सुवेंदु अधिकारी के तृणमूल छोड़ने के बाद कुछ और नेताओं ने पार्टी छोड़ दी थी। शुक्रवार को बैरकपुर के विधायक शीलभद्र दत्ता ने भी इस्तीफा दे दिया। पूर्व मंत्री श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने भी तृणमूल कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल होने की घोषणा की है। इसके बाद पांडवेश्वर के विधायक और आसनसोल नगर निगम के प्रमुख जितेंद्र तिवारी ने भी पार्टी छोड़ दी थी। लेकिन बीजेपी सांसद बाबुल सुप्रियो ने खिलाफत की तो उन्होंने अपना इरादा बदलते हुए ममता बनर्जी से माफी मांग ली और तृणमूल कांग्रेस में वापस लौट गए।
लाइन में अभी और विधायक
बंगाल बीजेपी के उपाध्यक्ष अर्जुन सिंह ने दावा किया है कि उनके संपर्क में तृणमूल कांग्रेस और अन्य दलों के करीब 10-12 विधायक हैं। यह विधायक जल्दी ही तृणमूल कांगेस और अन्य दलों को छोड़कर भगवा पार्टी में शामिल होंगे। उन्होंने कहा कि दूसरे दलों के कुछ और नेता भी उनके संपर्क में हैं। बीजेपी नेताओं के इन बयानों पर यकीन करें तो आने वाले दिनों में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को अभी और खौफ का सामना करना पड़ सकता है।
तृणमूल कांग्रेस में पीके का विरोध
आश्चर्य की बात तो यह है कि पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस को सहारा देने आए चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर का अपनी ही पार्टी में विरोध शुरू हो गया है। तृणमूल कांग्रेस में उनकी स्थिति कुछ उसी तरह की बनती जा रही है, जिस स्थिति का सामना उन्हें जनता दल यूनाइटेड में बिहार में करना पड़ा था। खुद सुवेंदु अधिकारी ने उनका नाम लेकर विरोध जताया था, अब पार्टी के कुछ दूसरे नेता भी प्रशांत किशोर के खिलाफ आवाज उठाने लगे हैं।