करोलबाग में माफियाराजः 2012 से सील पड़े ‘मोबाइल मार्केट शॉपिंग कॉम्पलेक्स’ में धड़ल्ले से चल रहा करोड़ों का कारोबार

-करोलबाग के डब्लूईए इलाके की संपत्ति संख्या 13/13 के शॉपिंग कॉम्पलेक्स का मामला
-एनडी मॉल, एजीएम प्लाजा और भरत भवन के बाद बिल्डर माफिया के कारनामों का एक और बड़ा खुलासा

हीरेन्द्र सिंह राठौड़/ नई दिल्ली
भारी भ्रष्टाचार के आरोपों का सामना कर रहे भारतीय जनता पार्टी शासित नगर निगम में बिल्डर माफिया के एक और बड़ा कारनामा सामने आया है। करोलबाग के सरस्वती मार्ग के पास स्थित डब्लूईए इलाके में बिल्डर माफिया का एक और ‘मोबाइल मार्केट शॉपिंग कॉम्पलेक्स’ सामने आया है, जो कि कागजों में तो साल 2012 से सील है लेकिन यहां आज भी धड़ल्ले से दुकानें बेचकर और किराये पर उठाकर करोड़ों का कारोबार जारी है। एनडी मॉल, एजीएम प्लाजा और भरत भवन के बाद मोबाइल मार्केट शॉपिंग कॉम्पलेक्स का चौथा मामला सामने आने के बाद निगम में सत्ताधारी बीजेपी को जवाब देना मुश्किल हो रहा है।

यह भी पढ़ेंः करोलबागः बिल्डर माफिया का एक और कारनामा… सील किये जा चुके ‘भरत भवन’ में डाल दिया एक और फ्लोर!

ताजा मामला संपत्ति संख्या 13/12 के एजीएम प्लाजा के बराबर में स्थित संपत्ति संख्या 13/13 पर बने मोबाइल मार्केट शॉपिंग कॉम्पलेक्स का है। नगर निगम की फाइलों में दर्ज सूचना के मुताबिक इस शॉपिंग कॉम्पलेक्स के बेसमेंट से लेकर पहली ग्राउंड फ्लोर, पहली मंजिल, दूसरी मंजिल और तीसरी मंजिल में अवैध निर्माण किया गया है। जिसकी वजह से यह पूरा का पूरा शॉपिंग कॉम्पलेक्स अवैध हो गया है। सबसे पहले इस शॉपिंग कॉम्पलेक्स को एकीकृत नगर निगम में करोलबाग जोन के बिल्डिंग विभाग ने 6 जून 2011 को अवैध निर्माण के चलते बुक किया था।

यह भी पढ़ेंः निगम चुनाव से पूर्व दिल्ली कांग्रेस में घमासान… प्रदेश अध्यक्ष के खिलाफ तेज हुआ अभियान

संपत्ति संख्या 13/13, डब्लूईए, करोलबाग में बनाये गये इस शॉपिंग कॉम्पलेक्स के मालिकों को 2 मार्च 2012 को अवैध निर्माण के चलते शो-कॉज नोटिस जारी किया गया था। इसके पश्चात 23 मार्च 2012 को दिल्ली नगर निगम अधिनियम की धाराः 345-ए (3) के तहत इस शॉपिंग कॉम्पलेक्स को सील करने का आदेश जारी कर दिया गया। लेकिन बिल्डर माफिया-सत्ताधारी नेताओं और निगम अकिधकारियों के गठजोड़ की वजह से यह शॉपिंग कॉम्पलेक्स धड़ल्ले से चलता रहा।

यह भी पढ़ेंः नॉर्थ डीएमसी में चरम पर भ्रष्टाचारः एस्टेट ऑफिसर का कारनामा… 66 दुकानों से नहीं कोई कमाई, एक लाइसेंसी ने 2 करोड़ चुकाये… फिर भी पीपी एक्ट लगाया!

इस दौरान दिल्ली नगर निगम तीन हिस्सों में बंट गया और करोलबाग जोन उत्तरी दिल्ली नगर निगम में आ गया। निगम अधिकारियों ने एक बार फिर से बेसमेंट से लेकर ग्राउंड, फर्स्ट, सैकिंड और थर्ड फ्लोर पर इस शॉपिंग कॉम्पलेक्स में हुए अवैध निर्माण के लिए 18 नवंबर 2015 को शो-कॉज नोटिस जारी किया गया। इसके पश्चात 4 मई 2016 को इस शॉपिंग कॉम्पलेक्स के ऑनर्स को नगर निगम की धाराः 343 के तहत इस बिल्डिंग को खुद ही डिमोलिश करने का आदेश जारी किया गया। लेकिन बिल्डर माफिया ने इस पर कोई तवज्जो नहीं दी।

यह भी पढ़ेंः 2 अक्टूबर से 7 राशियों पर रहेगी मां लक्ष्मी की कृपा… होगी धनवर्षा… जानें सभी 12 राशियों का हाल

संपत्ति संख्याः 13/13 पर करोलबाग के बिल्डर माफिया द्वारा अवैध निर्माण के जरिये बनाये गये इस शॉपिंग कॉम्पलेक्स को तोड़ने के लिए एक बार फिर से उत्तरी दिल्ली नगर निगम के करोलबाग जोन के बिल्डिंग विभाग की ओर से 16 मई 2016 को डिमोलिशन ऑर्डर जारी कर दिया गया। लेकिन माफियाराज के चलते इस शॉपिंग कॉम्पलेक्स में धड़ल्ले से कारोबार जारी रहा। इस दौरान 2017 में नगर निगम के चुनाव हो गय और एक बार फिर से तीसरी बार बीजेपी नगर निगमों की सत्ता में आ गई और बिल्डर माफियाराज जारी रहा।

यह भी पढ़ेंः नैतिकता और ‘‘पार्टी विद डिफरेस’’ वाली बीजेपी में जोरों पर ‘कैमोफ्लॉज पॉलिटिक्स’!

आश्चर्य तो यह है कि नगर निगम की ओर से 4 जनवरी, 2019 को दिल्ली नगर निगम अधिनियम की धारा 343(1) के तहत इस शॉपिंग कॉम्पलेक्स के डिमोलिशन ऑर्डर जारी कर दिये गये। इसके बाद भी केवल नोटिसों का दौर जारी है, लेकिन वास्तव में इस अवैध शॉपिंग कॉम्पलेक्स के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई। यही नहीं बिल्कि करोलबा इलाके में ऐसी और भी दर्जनों संपत्तियां हैं, जिनमें बड़े स्तर पर अवैध निर्माण किया गया है, यह निगम अधिकारियों की नजर में भी है, लेकिन इनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है।
एक ओर सील और दूसरी ओर से बेसमेंट में चल रहा कारोबार
बिल्डर माफिया के कारनामे और नगर निगम के बिल्डिंग विभाग में बड़े स्तर पर भ्रष्टाचार के मामले सामने आने के बावजूद निगम अधिकारी इस अवैध निर्माण के खिलाफ ‘आई वॉश’ की कार्रवाई कर रहे हैं। मामला सामने आने के बाद संपत्ति संख्याः 13/12 पर बनाये गये अवैध निर्माण वाले एजीएम प्लाजा के खिलाफ निगम अधिकारियों ने सीलिंग की कार्रवाई तो की, लेकिन पिछले सप्ताह ही सील किये गये उस बेसमेंट में कारोबार अब भी जारी है। दरअसल यह बेसमेंट संपत्ति संख्या 13/12 और 13/13 के बेसमेंट मिलाकर बनाया गया है। इस आधार पर भी दोनों संपत्तियों के बेसमेंट पूरी तरह से अवैध हैं। लेकिन निगम अधिकारियों ने कार्रवाई के नाम पर लोगों की आंखों में धूल झोंकने की कोशिश की है।
भ्रष्टाचार के मोर्चे पर घिरती जा रही बीजेपी
भारतीय जनता पार्टी बीते करीब 15 साल से नगर निगम की सत्ता पर काबिज है। बिल्डर माफिया के कारनामे साल 2010-11 से शुरू हुए बताये जा रहे हैं। इस दौरान दो बार नगर निगम के इलेक्शन भी हुए, नेता भी बदले लेकिन सत्ता बीजेपी की ही रही। अब इसी भ्रष्टाचार को लेकर आम आदमी पार्टी और कांग्रेस पार्टी सत्ताधारी बीजेपी पर हावी हैं। आश्चर्य की बात है कि बीजेपी नेता नगर निगम में भ्रष्टाचार को तो नकारते हैं, लेकिन बिल्डर माफिया के खिलाफ कोई सख्त कार्रवाई नहीं होने की वजह से पार्टी लगातार भ्रष्टाचार के मोर्चे पर घिरती जा रही है।