बैकफुट पर केजरीवाल… सामने आए उपराज्यपाल

-दिल्ली के उपराज्यपाल ने बदला केजरीवाल सरकार का फैसला
-बीजेपी को सता रही थी यूपी और हरियाणा सरकारों की चिंता!

टीम एटूजैड/ नई दिल्ली
कोरोना के आंकड़ों के साथ दिल्ली का सियासी पारा भी चढ़ता जा रहा है। उपराज्यपाल अनिल बैजल ने मुख्यमंत्री केजरीवाल के दौ फैसले बदल दिए हैं। अब कोई भी व्यक्ति दिल्ली के किसी भी अस्पताल में अपना इलाज करा सकेगा। इससे पहले मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने घोषणा की थी कि दिल्ली सरकार के अस्पतालों में केवल दिल्ली वालों का ही इलाज होगा। इस पर सबसे ज्यादा भारतीय जनता पार्टी ने ऐतराज जताया था। बताया जा रहा है कि यदि दिल्ली के सरकारी-प्राईवेट अस्पतालों ने यूपी-हरियाणा वालों का इलाज बंद कर दिया तो दोनों राज्यों में स्वास्थ्य व्यवस्थाओं की पोल खुल जाएगी। क्योंकि दोनों ही राज्यों में फिलहाल बीजेपी की सरकार है। अतः बीजेपी ने केजरीवाल सरकार के फैसले पर विरोध जताया था।

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बता दें कि दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल ने अरविंद केजरीवाल की सरकार के दो फैसले बदल दिए हैं। मुख्यमंत्री केजरीवाल का एक फैसला यह था कि दिल्ली सरकार के अस्पतालों में केवल दिल्ली के कोरोना मरीजों का ही इलाज होगा। उनका दूसरा फैसला था कि अब ऐसिम्प्टमैटिक लोग जोकि सीधे किसी कोरोना पॉजिटिव के संपर्क में आए हैं, वह 5 से लेकर 10 दिन के अंदर अपना कोरोना टेस्ट करवा सकते हैं। उपराज्यपाल ने इन दोनों ही फैसलों को रद्द कर दिया है।

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उपराज्यपाल की ओर से आदेश जारी किए जाने के बाद आम आदमी पार्टी बिफर पड़ी है। आप नेता व दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने भारतीय जनता पार्टी पर निशाना साधा है। उन्होंने ट्वीट किया कि बीजेपी की राज्य सरकारें पीपीई किट घोटालों और वेंटिलेटर घोटालों में व्यस्त हैं। दिल्ली सरकार सोच समझकर, ईमानदारी से इस डिज़ास्टर को मैनेज करने की कोशिश कर रही है। यह बीजेपी से देखा नहीं जा रहा इसलिए एलजी पर दबाव डालकर घटिया राजनीति की है।

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उपराज्यपाल के फैसले पर खुद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीलाल ने कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए ट्वीट किया कि साहिब के आदेश ने दिल्ली के लोगों के लिए बहुत बड़ी समस्या और चुनौती पैदा कर दी है। देशभर से आने वाले लोगों के लिए कोरोना महामारी के दौरान इलाज का इंतज़ाम करना बड़ी चुनौती है। शायद भगवान की मर्ज़ी है कि हम पूरे देश के लोगों की सेवा करें। हम सबके इलाज का इंतज़ाम करने की कोशिश करेंगे।

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आम आदमी पार्टी के नेता राघव चड्ढा ने ट्वीट किया कि एलजी द्वारा जारी बीजेपी प्रायोजित आदेश असंवैधानिक और लोकतंत्र की भावना के खिलाफ है। एलजी अपने लेटर हेड पर केवल कुछ पैराग्राफ लिखकर कैसे लोकतांत्रिक ढंग से निर्वाचित सरकार के मंत्रिमंडल के निर्णय को रद्द कर सकते हैं? साथ ही यह दिल्लीवासियों के स्वास्थ्य का तिरस्कार है।
बीजेपी ने की फैसले की तारीफ

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प्रदेश भारतीय जनता पार्टी ने उपराज्यपाल अनिल बैजल के उस फैसले की तारीफ की है जिसमें उन्होंने कहा है कि दिल्ली के सभी अस्पतालों में सभी लोगों का इलाज किया जाएगा। बीजेपी सांसद और पूर्व क्रिकेटर गौतम गंभीर ने ट्वीट किया कि दिल्ली सरकार द्वारा अन्य राज्यों के मरीजों का इलाज नहीं करने के मूर्खतापूर्ण आदेश को खत्म करने के लिए एलजी द्वारा उत्कृष्ट कदम! भारत एक है और हमें मिलकर इस महामारी से लड़ना है! इंडिया फाइट अगेंस्ट कोरोना।

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इससे पहले प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष आदेश गुप्ता ने भी केजरीवाल सरकार के उस फैसले की आलोचना की थी, जिसमें उन्होंने केवल दिल्ली वालों को दिल्ली सरकार के अस्पतालों में इलाज की बात कही गई थी।
कांग्रेस हुई हमलावर
राजधानी में कोरोना की स्थिति को लेकर कांग्रेस भी केजरीवाल सरकार पर हमलावर हो गई है। कांग्रेस ने दावा किया कि दिल्ली सरकार ने टेस्ट की संख्या को आधा कर दिया है। फिर भी टेस्ट की संख्या के अनुपात में कोरोना पॉजिटिव मामलों की संख्या में वृद्धि हुई है। कांग्रेस नेता अजय माकन ने कहा कि दिल्ली सरकार अपनी दो नाकामियों से ध्यान भटकाने की कोशिश कर रही है।
रविवार को मंत्रिमंडल की बैठक में लिया था फैसला
दिल्ली सरकार ने रविवार को मंत्रिमंडल की बैठक में यह फैसला लिया था कि दिल्ली सरकार के अस्पतालों और दिल्ली के प्राईवेट अस्पतालों में केवल दिल्ली के कोरोना पेशेंट्स का ही इलाज किया जाएगा। सीएम ने कहा था कि केंद्र सरकार के हॉस्पिटल जैसे एम्स, सफरदरजंग और राम मनोहर लोहिया (आरएमएल) में सभी लोगों का इलाज हो सकेगा। इस फैसले में विशेष सर्जरी वाले अस्पतालों को बाहर रखा गया था।
दिल्ली के अस्पतालों पर यूपी-हरियाणा का बोझ
दरअसल दिल्ली सरकार के अस्पतालों पर उत्तर प्रदेश और हरियाणा से आने वाले मरीजों का बोझ रहता है। इन अस्पतालों में 50 फीसदी मरीज एनसीआर क्षेत्र के होते हैं। केजरीवाल सरकार के दिल्ली वालों का इलाज करने के फैसले से यूपी और हरियाणा के अस्पतालों पर बोझ बढ़ना स्वाभाविक था। जबकि दोनों ही राज्यों में सरकारी स्वास्थ्य व्यवस्थओं की हालत बेहद नाजुक है। खास बात है कि दोनों ही राज्यों में भारतीय जनता पार्टी की सरकार है। ऐसे में दोनों सरकारों पर नाकामी के आरोप लगना भी तय था। सूत्रों का कहना है कि बीजेपी ने अपनी दोनों राज्य सरकारों को आलोचनाओं से बचाने के लिए उपराज्यपाल का इस्तेमाल कर दिल्ली सरकार के फैसले को रद्द करवा दिया है।
यूपी-हरियाणा ने सील किये बॉर्डर तो नहीं उठाई आवाज
आम आदमी पार्टी ने भारतीय जनता पार्टी पर हमला बोलते हुए कहा कि जब उत्तर प्रदेश और हरियाणा सरकारों ने दिल्ली से सटे अपने बॉर्डर सील किए थे, तब बीजेपी नेताओं ने कोई विरोध नहीं जताया था। लेकिन जब दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने बॉर्डर सील किए तो बीजेपी नेताओं को परेशानी होने लगी। आप प्रवक्ता हरीश अवस्थी ने कहा कि नोएडा की सीमा अब भी सील है, लोगों को अब भी आने जाने में परेशानी उठानी पड़ रही है। इसके बावजूद बीजेपी नेताओं को यह दिखाई नहीं दे रहा। जबकि मुख्यमंत्री केजरीवाल ने दिल्ली वालों के हित में फैसले लिए तो बीजेपी सियासी दांव-पेंच खेलने लगी।