-महापौर जय प्रकाश का दावाः सियासी लड़ाई में हारे तो लैटर भेजने को मजबूर हुए केजरीवाल!
एसएस ब्यूरो/ नई दिल्ली
उत्तरी दिल्ली के महापौर जय प्रकाश ने गुरूवार को कहा कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल इतने मजबूर हो गए हैं कि अब सियासी लड़ाई में नगर निगम के साथ लड़ने के लिए मैदान में खुद ही उतर आए हैं। हर वर्ष बजट पर चर्चा होती है और हर वर्ष बजट में नए अनुमान प्रस्तुत किए जाते हैं। जिन पर आगामी आय के अनुसार बजट पेश किया जाता है। लेकिन निगम के नेताओं के द्वारा उठाए गए सवालों से मुख्यमंत्री इतने परेशान हो गए हैं कि सैद्धांतिक व कानूनी व्यवस्था को दरकिनार कर नगर निगम के कामकाज में सीधे हस्तक्षेप करने पर उतारू हो गए हैं।
महापौर जय प्रकाश ने कहा कि गुरूवार को दिल्ली सरकार की ओर से बजट प्रस्तावों पर रोक के लिए एक पत्र उत्तरी दिल्ली नगर निगम को भेजा गया है। इस पत्र में पार्षदों को विकास कार्य कराने पर रोक लगाने के लिए फंड दिये जाने पर रोक लगाने की बात कही गई है। उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार की ओर से जारी पत्र में जिस बजट की गई है वो अनेक मदों के माध्यम से वार्डों में खर्च होता है। जैसे कि शिक्षा, स्वास्थ्य व सफाई, इन सब के रख-रखाव में जो खर्च आता है उसका सारा खर्च एक निगम पार्षद के फंड में जाता है। प्रस्ताव के मुताबिक यह खर्च करीब 1.5 करोड़ रूपये होता है।
महापौर ने कहा कि किसी भी निगम पार्षद को कोई नया फंड नहीं दिया गया है। और यहां तक कि निगम पार्षदों को इस वर्ष विकास निधि भी नहीं दी गई है। उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार जनता को बेवकूफ बनाना बंद करे। अभी निगम में बजट अनुमानों पर चर्चा हो रही है और इन अनुमानों को अंतिम रूप देने का अधिकार निगम में सदन का होता है।
यह भी पढ़ें- दिल्ली से शुरू हुई किसान नेताओं की घर वापसी… बागपत में पुलिस ने उखाड़े किसानों के टेंट
महापौर जय प्रकाश ने दिल्ली सरकार से इस संबंध में अपने आदेश वापस लेने का आग्रह किया है। उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार केवल निगम को सुझाव दे सकती है, वह अपने आदेश नगर निगम के ऊपर थोप नहीं सकती। उन्होंने कहा कि नगर निगम में सदन ही सर्वोपरि होता है। सदन की बैठक में लिये गये निर्णय ही सर्वमान्य होते हैं। वहां किसी सरकार का आदेश नहीं चल सकता।