-प्रदेश के राजनेताओं के रिश्तेदारों और चहेतों ने कब्जाई ज्यादातर सरकारी जमीन
-छह महीने के अंदर पूरी जमीन वापस अपने कब्जे में लेगा जम्मू-कश्मीर प्रशासन
एसएस ब्यूरो/ श्रीनगर
जम्मू-कश्मीर प्रशासन रोशनी एक्ट के नाम पर किये गए बड़े जमीन घोटाले की जमीन को छह महीने के अंदर अवैध कब्जाधारियों से खाली करवाकर वापस लेगा। जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट पहले ही इस बड़े जमीन घोटाले की जांच सीबीआई से कराने का आदेश जारी कर चुका है। अब कोर्ट के आदेश के तीन सप्ताह बाद जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने भी मामले में सख्ती शुरू कर दी है।
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जम्मू कश्मीर प्रशासन ने शनिवार को कहा कि रोशनी एक्ट की आड़ में इस योजना के तहत की गई सभी कार्रवाई को रद्द किया जाएगा। इसके साथ ही छह महीने के अंदर सारी जमीन को फिर से वापस हासिल करेगा। दरअसल जम्मू-कश्मीर सरकार ने ऐसी व्यवस्था बनाई थी कि जिसके कब्जे में सरकारी जमीन है वह योजना के तहत आवेदन कर सकता है। लेकिन इसके उलट इससे सरकारी जमीनों पर अतिक्रमण और भी ज्यादा बढ़ता चला गया। नवंबर 2006 में सरकार के अनुमान के मुताबिक 20 लाख कैनाल से भी ज्यादा भूमि पर लोगों का अवैध कब्जा था।
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बता दें कि जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल और न्यायमूर्ति राजेश बिंदल की खंडपीठ ने नौ अक्टूबर को योजना में कथित अनियमित्ताओं को लेकर सीबीआई जांच का आदेश दिया था। कोर्ट ने जांच एजेंसी को हर आठ सप्ताह में प्रोग्रेस रिपोर्ट दायर करने का निर्देश भी दिया था। जम्मू कश्मीर प्रशासन के एक आधिकारिक प्रवक्ता के अनुसार प्रशासन ने हाईकोर्ट का आदेश लागू करने का निर्णय लिया है। जिसमें अदालत ने समय-समय पर संशोधित किए गए जम्मू एवं कश्मीर राज्य भूमि (कब्जाधारी के लिए स्वामित्व का अधिकार) कानून, 2001 को असंवैधानिक, कानून के विपरीत और अस्थिर करार दिया था।
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दोहरे उद्देश्य के चलते लाई गई योजना
बताया जा रहा है कि रोशनी योजना के नाम से यह कानून तत्कालीन सरकारों द्वारा दोहरे उद्देश्य से लाया गया था। रोशनी ऐक्ट लाने के पीछे तत्कालीन राज्य सरकार का लक्ष्य 20 लाख कनाल सरकारी जमीन को अवैध कब्जाधारियों के हाथों में सौंपना था। जिसकी एवज में सरकार बाजार भाव से पैसे लेकर 25,000 करोड़ रुपये की कमाई करती। लेकिन इस योजना के तहत भी ज्यादातर जमीन राजनेताओं के रिश्तेदारों और खास लोगों के कब्जे में है। योजना की खास बात यह है कि जमीन की कीमत भी सरकारी अधिकारियों ने ही तय करनी थी।
2001 में फारूक अब्दुल्ला लाए थे योजना
रोशनी ऐक्ट को सरकारी जमीन पर कब्जा करने वालों को मालिकाना हक देने के लिए बनाया गया था। इसे 2001 में फारूक अब्दुल्ला की सरकार के द्वारा लाया गया था। उस समय सरकारी जमीन पर कब्जा करने वालों को मालिकाना हक देने के लिए 1990 को कट ऑफ वर्ष निर्धारित किया गया था। लेकिन, समय के साथ जम्मू-कश्मीर की आने वाली सभी सरकारों ने इस कट ऑफ साल को बदलना शुरू कर दिया। इसके चलते राज्य में राजनेताओं के चहेतों को सरकारी जमीन का फायदा पहुंचाने की आशंका जताई गई है।
राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने किया खत्म
रोशनी ऐक्ट को 28 नवंबर 2018 को जम्मू-कश्मीर के तत्कालीन गवर्नर सत्यपाल मलिक ने खत्म कर दिया था। बताया जा रहा है कि रोशनी ऐक्ट के खात्मे के बाद अब नए आदेश के तहत राजस्व विभाग एक जनवरी 2001 के आधार पर सरकारी जमीन का ब्योरा एकत्र कर उसे वेबसाइट पर दर्ज करेगा। इसके अलावा सरकारी जमीनों पर अवैध कब्जा करने वालों के नाम भी सार्वजनिक किए जाएंगे। इसमें रोशनी एक्ट के तहत आवेदन प्राप्त होने, जमीन का मूल्यांकन, लाभार्थी की ओर से जमा धनराशि, एक्ट के तहत पारित आदेश का भी ब्योरा देना होगा।