महंगाई का कहरः मोदी सरकार ने ढाई महीने में 175 रुपये बढ़ाए रसोई गैस के दाम

-मोदी सरकार ने बिगाड़ा नागरिकों की रसोई का बजटः अल्का लाम्बा
-पेट्रोल डीजल व गैस पर ही रही लूट, जनता को मिले छूटः अमृता धवन

एसएस ब्यूरो/ नई दिल्ली
आम लोगों पर मोदी सरकार की महंगाई का प्रहार लगातार जारी है। दिल्ली प्रदेश कांग्रेस ने कहा है कि पेट्रोल, डीजल और गैस सिलेंडर पर केन्द्र की पूंजीपति समर्थित भाजपा सरकार द्वारा बेलगाम वृद्धि ने देशवासियों की कमर तोड़ दी है जिसका कांग्रेस पार्टी विरोध करती है। पेट्रोलियम पदार्थों में अत्यधिक वृद्धि के साथ दिल्ली में जहां पेट्रोल 88.99 रुपये प्रति लीटर, डीजल 79.35 रुपये प्रतिलीटर हो गया है वहीं गैस सिलेंडर पिछले दो महीनों में 175 रुपये प्रति सिलेंडर की बढ़ोतरी के साथ 769 रुपये प्रति सिलेंडर दिल्ली के उपभोक्ताओं को मिल रहा है, जिसकी दोहरी मार मंहगाई और बेरोजगारी ने प्रत्येक मध्यम एवं निम्न वर्गीय भारतवासी की रसोई का बजट बिगड़ चुका है। प्रदेश कांग्रेस कार्यालय राजीव भवन में आयोजित संवाददाता सम्मेलन को पूर्व विधायक अल्का लाम्बा और दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी की अध्यक्ष अमृता धवन ने सम्बोधित किया। उनके साथ निगम पार्षद अमरलता सांगवान भी मौजूद थी।

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सोमवार को मंहगाई के विरोध में दिल्ली प्रदेश महिला कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने कनॉट प्लेस के राजीव चौक पर गैस सिलेंडर, पेट्रोल और डीजल की बढ़ी दरों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन भी किया और वहां मौजूद महिलाओं से भी मंहगाई को लेकर बातचीत की। प्रदर्शन में बड़ी संख्या में महिला कांग्रेस कार्यकर्ताओं के साथ आम घूमने आई महिलाऐं भी शामिल थी।

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अल्का लाम्बा ने कहा कि ‘‘हम दो हमारे दो, डीजल-90, पेट्रोल-100, सौ में लगा धागा, अब तो सिलेंडर भी उछल-उछल कर भागा’’ के राहुल गांधी जी के कथन के साथ अपने सम्बोधन जोड़ते हुए कहा कि भाजपा की मोदी सरकार अपनी तिजोरी भरने के लिए आधी रात को गैस सिलेंडर पर 50 रुपये प्रति सिलेंडर की वृद्धि कर दी। जबकि इससे पूर्व 4 फरवरी को गैर सब्सिडी वाले गैस सिलेंडर पर 25 रुपये की वृद्धि की गई थी। उन्होंने कहा कि दिसम्बर 2020 से आज तक प्रति गैस सिलेंडर पर 175 रुपये की वृद्धि की गई है। कोविड-19 लॉकडाउन के पूरे वर्ष में जब पूरी दुनिया जद्दोजहद कर रही थी उस समय मोदी सरकार देशवासियों पर विभिन्न प्रकार के टैक्सों व अन्य प्रकार से मंहगाई करके आम जनता को गरीबी में ढकेला व सरकार की तिजोरी भरी।

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अल्का लाम्बा और अमृता धवन ने कहा कि पिछले एक वर्ष के दौरान पेट्रोल और डीजल के उत्पाद शुल्क में 66 प्रतिशत की वृद्धि की जा चुकी है। उन्होंने तुलनात्मक आंकड़ों में बताया कि 2014-15 में केन्द्र सरकार को पेट्रोलियम पदार्थों से 1,72,065 करोड़ का राजस्व प्राप्त होता था, जबकि 2019-20 में यह लगभग दुगना बढ़कर 3,34,314 करोड़ रुपये हो गया। वहीं दिल्ली सरकार ने वेट टैक्स के जरिए 2014-15 में 2798 करोड़ रुपये राजस्व अर्जित किया था जो 2019-20 में बढ़कर 3,833 करोड़ रुपये हो गया, मतलब दिल्ली सरकार के टैक्स कलेक्शन में 37 प्रतिशत का इजाफा हुआ।

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उन्होंने कांग्रेस सरकार व केजरीवाल के दौरान वैट वसूली की दरों का जिक्र करते हुए बताया कि सितम्बर 2013 में पेट्रोल व डीजल पर लगने वालो वेट 20 प्रतिशत व 12.5 प्रतिशत था जो आज बढा़कर दोनो पर ही 30 प्रतिशत कर दिया गया है। केजरीवाल सरकार ने 2014-15 व 2019-20 के दौरान पेट्रोलियम पदार्थो पर टैक्स लगाकर 21,701 करोड़ रुपये कमाए। पिछले 6 वर्षों के दौरान जब दिल्ली में एक अस्पताल, एक स्कूल नही बने, न ही एक भी डीटीसी बसों जुड़ी तो आखिर पैसा गया कहां? उन्होंने केजरीवाल सरकार से वेट की दरों पर की गई लूट को आधार बना दिल्ली में वेट टैक्स की दरों में छूट की मांग किया।

अल्का लाम्बा और अमृता धवन ने कहा कि केजरीवाल सरकार के कार्यकाल में 70 साल में पहली बार डीजल पेट्रोल से मंहगा होने का रिकॉर्ड बनाया। भाजपा की केन्द्र सरकार और दिल्ली की अरविन्द सरकार दोनो को जनता के दुखों से कोई लेना नही इसलिए न तो मोदी सरकार पेट्रोलियम पदार्थों पर एक्साईज ड्यूटी कम करने को तैयार है और न ही अरविन्द सरकार वैट को कम करने की बात कहती है, उल्टा गैस सिलेंडर, पेट्रोल और डीजल की आसमान छूती कीमतों पर मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल पूरी तरह चुप है, शायद इसलिए कि दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्षा ने ट्वीट किया है जो भी सरकार का विरोध करेगा उस पर देशद्रोह का मुकद्मा चलाया जाएगा। अरविन्द केजरीवाल केन्द्र सरकार के दवाब में आकर जनता के हितों की बात करने से डरते है। आज दिल्ली ही नही देश की प्रत्येक नारी को अपनी रसोई के बिगड़े बजट के कारण आर्थिक संकट से जूझना पड़ रहा है।
अमृता धवन ने कहा कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल की मौलिक जिम्मेदारी है कि वो पेट्रोलियम पदार्थो से वैट को कम करके दिल्ली की जनता को राहत दे, क्योंकि दिल्लीवासी पहले से मंहगाई और बेरोजगारी की दोहरी मार झेल रहे है।