चिकित्सा के ईसाईकरण पर IMA अध्यक्ष की कोर्ट में पेशी!

-मंगलवार 1 जून को होगी फिर से सुनवाई
-कोर्ट ने लिखित में बयान देने का दिया आदेश

हीरेन्द्र सिंह राठौड़/ नई दिल्ली
चिकित्सा के ईसाईकरण वाले बयान को लेकर अब इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉक्टर ऑस्टिन जयालाल को द्वारका कोर्ट में पेश होना होगा। सोमवार 31 मई को सुनवाई के दौरान उनकी ओर से वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये द्वारका कोर्ट में पेश हुए वकीलों ने कहा कि डॉक्टर जयालाल का उद्देश्य वैसा नहीं था। लेकिन वादी रोहित झा की ओर से सुनवाई में पेश हुए अधिवक्ता संजीव उनियाल एवं धवल उनियाल के द्वारा विरोध दर्ज कराये जाने पर कोर्ट ने डॉक्टर जयालाल की ओर से लिखित में जवाब दाखिल करने का आदेश जारी किया है।

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अधिवक्ता संजीव उनियाल ने बताया कि सोमवार को वीडियो कांफ्रेंसिग के जरिये मामले की सुनवाई हुई। इससे पहले शनिवार को ही कोर्ट ने आईएमए अध्यक्ष डॉक्टर ऑस्टिन जयालाल को नोटिस जारी कर दिया था। सोमवार को आईएमए अध्यक्ष की ओर से पेश हुए वकीलों की ओर से दिये गये जवाब से कोर्ट संतुष्ट नहीं है। अब मंगलवार 1 जून को उन्हें लिखित में अपना पक्ष कोर्ट में पेश करना होगा।

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बाबा रामदेव और आयुर्वेद पर निशाना साधने वाले आईएमए अध्यक्ष डॉक्टर जॉनरोज़ ऑस्टिन जयालाल (Doctor Johnrose Austin Jayalal) पर आरोप है कि वह स्वयं चिकित्सा विज्ञान और डॉक्टरी के व्यवसाय को अपनी निजी विचारधारा के विस्तार के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं। डॉक्टर ऑस्टिन ने ‘Haggai International’ को दिए अपने एक साक्षात्कार में अपनी कुछ निजी विचारधाराओं और भारतीय समाज को लेकर अपनी सोच प्रस्तुत की थी। डॉक्टर ऑस्टिन जयालाल ने केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा था कि सरकार आधुनिक चिकित्सा प्रक्रिया को पश्चिमी होने के कारण समाप्त करना चाहती है। उन्होंने कहा है किः-
“भारत सरकार आयुर्वेद में मान्यता रखती है क्योंकि यह उनके पारंपरिक विश्वास हिंदुत्व से आता है। पिछले तीन-चार सालों में सरकार ने आधुनिक चिकित्सा की जगह आयुर्वेद को स्थापित करने का प्रयत्न किया है, तथा साल 2030 तक भारत में चिकित्सा की पढ़ाई करने वालों को साथ में आयुर्वेद, यूनानी, योग, होम्योपैथी जैसे विषय भी पढ़ने होंगे।“
डॉक्टर जयालाल ने संस्कृत भाषा पर भी तीखा हमला बोला है, उन्होंने कहा किः- “आयुर्वेद, योग, यूनानी, इत्यादि संस्कृत भाषा पर आधारित हैं, जो कि पारंपरिक रूप से हिंदू सिद्धांत पर आधारित हैं। सरकार द्वारा संस्कृत भाषा पढ़ाया जाना व इसका प्रचार करना अप्रत्यक्ष रूप से लोगों के दिमाग में हिंदुत्व की विचारधारा डालने जैसा है।“

             डॉक्टर जोनरोज ऑस्टिन जयालाल के साक्षात्कार के कुछ अंश

डॉक्टर जयालाल ने कट्टर ईसाईवाद का प्रदर्शन करते हुए अपने साक्षात्कार में यहां तक कहा है कि “एक ईसाई डॉक्टर होने के नाते वह ऐसा मानते हैं कि पंथनिरपेक्ष संस्थाओं तथा मेडिकल कॉलेजों में और अधिक ईसाई डॉक्टर होने चाहिए। वे स्वयं एक मेडिकल कॉलेज में सर्जरी के प्रोफेसर हैं, जिसे वे ईसाई उपचार को बढ़ावा देने का एक माध्यम मानते हैं। वे सभी कॉलेजों में पढ़ने वाले छात्रों तथा इंटर्न्स को ईसाई उपचार सिखाना चाहते हैं। आइएमए के अध्यक्ष डॉक्टर जयालाल ने कहा कि वे युवा मेडिकल छात्रों और डॉक्टरों को यीशु को अपने व्यक्तिगत उद्धारक के रूप में प्राप्त करने के लिए प्रोत्साहित करते रहते हैं।”
ईसाई प्रार्थना से ही होगा कोरोना का मुकाबला
डॉक्टर ऑस्टिन जयालाल आयुर्वेद जैसी भारतीय चिकित्सा पद्धतियों को गहराई से हीन मानते हैं। वह ऐलोपैथी और ईसाई धर्म को ही किसी भी इलाज के लिए काफी मानते हैं। आईएमए अध्यक्ष ने कोरोना वायरस के बारे में चर्चा के दौरान कहा कि “कोरोना वायरस के माध्यम से प्रकृति ने हमें दिखाया है कि हम सबसे शक्तिशाली है। इससे पहले जब लेप्रोसी और कोलेरा जैसे महामारियां आईं थीं तब ईसाई डॉक्टर और चर्च इनके विरोध में खड़े हुए थे, अब भी रोगियों की पीड़ा कम करने के लिए संस्थानों में ईसाई धर्म की प्रार्थनाओं की व्यवस्था होनी चाहिए।”