400 साल पुरानी ऐतिहासिक दीवार के सहारे अरबों की जमीन पर पार्किंग माफिया का अवैध कब्जा!

-एएसआई अधिकारियों की मिलीभगत से शुरू हुई अवैध पार्किंग
-माफिया और अधिकारियों की जेब में जा रही लाखों की कमाई
-अरबों की जमीन पर अवैध कब्जा, सो रहे एएसआई अधिकारी

एसएस ब्यूरो/ नई दिल्ली
आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (एएसआई) यानी भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग की अरबों रूपये की जमीन पर अवैध कब्जा हो गया, और विभाग के आला अधिकारी घोड़े बेचकर सो रहे हैं। मामला कश्मीरीगेट-मोरी गेट स्थित वॉल्ड सिटी की दीवार के सहारे इसके संरक्षण के लिए छोड़ी गई जमीन से जुड़ा है। मोरी गेट की मंदिर वाली पार्किंग के पीछे की ओर करीब 400 साल पुरानी दीवार (वॉल्ड सिटी) के सहारे छोड़ी गई जमीन पर लगे गेट का ताला तोड़कर पार्किंग माफिया ने कब्जा कर लिया है। अब यहां धड़ल्ले से अवैध पार्किंग चलाई जा रही है। आश्चर्य की बात तो यह है कि शिकायत के बावजूद इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है।

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बताया जा रहा है कि पार्किंग माफिया के साथ आर्किंयोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के स्थानीय अधिकारियों की मिलीभगत से अरबों रूपये की इस जमीन पर पार्किंग माफिया ने अवैध कब्जा कर लिया है। यही कारण है कि एएसआई अधिकारियों की ओर से इस मामले में अभी तक पुलिस में कोई लिखित शिकायत तक नहीं की गई है। बता दें कि इसे पुरानी दिल्ली या पुराने शहर की दीवार के रूप में भी जाना जाता है। यह दीवार ऐतिहासिक है और इसके संरक्षण की जिम्मेदार एएसआई की है।

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हाल ही में इस दीवार के सहारे करीब 25 से 30 फुट जमीन छोड़कर पत्थर और लोहे की ग्रिल लगाई गई थी। ताकि इस पुरातत्व के महत्व की दीवार को कोई नुकसान नहीं पहुंचे। इसके साथ ही इस जमीन पर कोई आर्थिक, सामाजिक या अन्य किसी तरह की गतितविधि नहीं हो, इसके लिए लोहे के दरवाजे भी लगवाए गए हैं। लेकिन बताया जा रहा है कि एएसआई के स्थानीय अधिकारियों की मिलीभगत से पार्किंग माफिया ने गेट का ताला तोड़कर इस सरकारी जमीन पर कब्जा कर लिया और अब धड़ल्ले से अवैध पार्किंग चलाई जा रही है।
इस मामले में दो लोगों के खिलाफ स्थानीय पुलिस को भी शिकायत की गई है। सोमवार 7 दिसंबर 2020 को पुलिस कंट्रोल रूम को भी इस मामले में शिकायत की गई थी। लेकिन पार्किंग माफिया का लाखों रूपये की कमाई का खेल बदस्तूर जारी है। विशेषज्ञों का कहना है कि ऐतिहासिक महत्व की धरोहरों पर सरकार अरबों रूपये हर साल खर्च करती है। जहां यह पार्किंग चलाई जा रही है, इस दीवार के संरक्षण पर भी हर महीने लाखों रूपये खर्च किये जा रहे हैं। नियमानुसार एएसआई को भी इस तरह की ऐतिहासिक धरोहरों के आस-पास व्यावसायिक गतिविधियां चलाने का अधिकार नहीं है।
मामले में दिल्ली पुलिस के एक आला अधिकारी ने बताया कि आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया की ओर से पुलिस को अभी तक कोई शिकायत नहीं मिली है। हालांकि व्यक्तिगत तौर पर पुलिस को इस मामले में शिकायत मिली है और दिल्ली पुलिस जल्दी ही इस बारे में कोई ठोस कार्रवाई करेगी।