-बिल्डर माफिया व अधिकारियों के गठजोड़ से फिर खड़ी हो गईं अर्पित होटल जैसी मीनारें
-कभी भी हो सकता है बड़ा हादसा, मुश्किल में फंस सकती हैं लोगों की जान
एसएस ब्यूरो/ नई दिल्ली
राजधानी दिल्ली का करोलबाग इलाका लोगों के लिए खतरनाक बनता जा रहा है। यहां बिल्डर माफिया और निगम अधिकारियों की मिलीभगत से अवैध निर्माण जोरों पर है। इलाके में ऐसी कई बिल्डिंगें बनकर तैयार खड़ी हैं, जहां कभी भी खतरनाक हादसे हो सकते हैं। आश्चर्य की बात है कि नगर निगम द्वारा शिकायतें मिलने पर ऐसे अवैध निर्माणों के खिलाफ कार्रवाई के नाम पर केवल आईवॉश किया जा रहा है।
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ताजा मामला आर्य समाज रोड पर सरस्वती रोड के नुक्कड़ पर स्थित संपत्ति संख्याः 12/20 का है। इस संपत्ति पर अवैध रूप से बहु मजिला इमारत बनाकर खड़ी कर दी गई है। आश्चर्य की बात तो यह है कि बिल्डिंग की ऊंचाई तय मापदंडों से बहुत ज्यादा है। साथ ही इसका बेसमेंट भी इससे जुड़ी हुई संपत्ति संख्या 12/19 के साथ मिलाकर बनाया गया है। दोनों संपत्तियों का एक ही बेसमेंट है, जिसे फिलहाल व्यावसायिक तौर पर इस्तेमाल किया जा रहा है।
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इसकी जानकारी करोलबाग जोन से लेकर निगम मुख्यालय सिविक सेंटर में बैठने वाले निगम अधिकारियों को भी है। लेकिन फिर भी इस अवैध निर्माण के खिलाफ कोई सख्त कार्रवाई नहीं की जा रही है। प्राप्त जानकारी के मुताबिक दूसरे मंजिल से लेकर ऊपर की मंजिलों तक इस बिल्डिंग में लकड़ी का पार्टीशन डालकर अवैध रूप से सैकड़ों की संख्या में छोटी-छोटी अवैध दुकानें बनाई जा रही हैं।
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इसकी शिकायत मिलने में नगर निगम की ओर से 19 नवंबर को ‘वुड वर्क’ को हटाने की कार्रवाई की गई थी। लेकिन यह कार्रवाई भी नाम की ही साबित हुई। दरअसल इस संपत्ति में पर्किंग के नाम पर बनाए गए अवैध बेसमेंट में भी तोड़फोड़ की कार्रवाई की जानी थी। लेकिन समय नहीं मिलने का बहाना बनाकर अधिकारियों द्वारा इस बड़ी कार्रवाई को टाल दिया गया।
5 साल से हियरिंग में लगी फाइल
बता दें कि करोलबाग के आर्य समाज रोड पर स्थित संपत्ति संख्या 12/20 में हुए अवैध निर्माण की फाइल हियरिंग के लिए स्थानीय जोन उपायुक्त के यहां बीते पांच साल से लगी है। इस दौरान कई जोन उपायुक्त आए और चले गए। लेकिन यह हियरिंग अपने मुकाम तक नहीं पहुंच सकी। फिलहाल अब यह फाइल हियरिंग के लिए निगम उपायुक्त हिमांश गुप्ता के पास लगी हुई है।
अधिकारियों की चुप्पी
पूरे मामले में निगम अधिकारियों ने चुप्पी साध रखी है। मामले की जानकारी के लिए निगम उपायुक्त को कई बार फोन किया गया। लेकिन उन्होंने न तो फोन उठाया और ना ही मैसेज का जवाब दिया। बता दें कि फरवरी 2019 में करोलबाग के अर्पित होटल में आग लगने की घटना घटी थी। इस दुर्घटना में 17 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी थी। बताया जा रहा है कि होटल की उस बिल्डिंग को भी इसी तरह नियमों को ताक पर रखकर बनाया गया था। अर्पित होटल मामले में नगर निगम के कई अधिकारियों को जिम्मेदार ठहराया गया था।
मीडिया को नहीं लगने दी कार्रवाई की हवा
संबंधित अधिकारियों की नीयत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि बीते 19 नवंबर को संपत्ति संख्या 12/20 में नगर निगम की ओर से वुड वर्क हटाने की कार्रवाई की गई थी। लेकिन इसकी हवा नगर निगम की ओर से मीडिया को नहीं लगने दी गई थी। छोटी-छोटी बातों को बढ़ा-चढ़ाकर मीडिया तक पहुंचाने वाले निगम अधिकारियों ने अपनी इस कार्रवाई को मीडिया तक नहीं पहुंचने दिया था।