अपने ही डॉक्टर की जान नहीं बचा सका हिंदू राव अस्पताल: निगम अफसरों को शर्म पर आती नहीं

-हिंदू राव के बाद दूसरे अस्पतालों के चक्कर काटते रहे डॉक्टर एन एल पासवान
-खुद के अस्पताल ने ईसीजी करके छोड़ा, हार्ट एंड लंग के बाद फोर्टिस ने नहीं किया भर्ती
-अपने ही अस्पताल में नहीं हो सका कोरोना का टैस्ट, हार्ट अटैक से डॉक्टर की मौत

हीरेन्द्र सिंह राठौड़/ नई दिल्ली
बुधवार 3 जून का दिन डॉक्टर एन एल पासवान के परिवार पर कहर बनकर टूटा। उनका अपना अस्पताल ‘हिंदू राव हॉस्पिटल’ ही उनकी जिंदगी को नहीं बचा सका। खास बात यह कि उत्तरी दिल्ली नगर निगम के मुख्यालय के एसी कमरे में आला अधिकारी चैन की बंशी बजाते रहे और लोगों की जिंदगी को बेहतर बनाने वाले एक डॉक्टर की मौत हो गई। आखिर डॉक्टर पासवान की मौत का जिम्मेदार कौन है? किसने समय रहते इन बातों पर ध्यान नहीं दिया कि जिस अस्पताल के दम पर वह लोगों की जान बचाने का दावा करते हैं, वह अस्पताल अपने डॉक्टर्स की जान बचाने या फिर उनका इलाज कर पाने में भी सक्षम हैं या नहीं?

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हम बताते हैं कि डॉक्टर एन एल पासवान की जान जाने के जिम्मेदार उत्तरी दिल्ली नगर निगम के वह अधिकारी हैं, जो सिविक सेंटर के अपने एसी कमरों से निकल कर निगम अस्पतालों की हालत जानने की इच्छा ही नहीं रखते। उन्हें केवल ओहदा चाहिए, उन्हें केवल ताकत चाहिए-ताकि वह निगम के किसी भी अधिकारी को इधर से उधर कर सकें। उन्हें केवल पैसा चाहिए चाहे वह निगम का सबसे भ्रष्ट अधिकारी ही क्यों न लाकर दे रहा हो।
यह आरोप इसलिए कि आयुक्त से लेकर अतिरिक्त आयुक्त और दूसरे आला अधिकारियों ने उत्तरी दिल्ली नगर निगम के उन अस्पतालों, शमशान घाटों या फिर उन केंद्रों का दौरा करके यह जानकारी जुटाने की जहमत ही नहीं उठाई कि वहां क्या हो रहा है? जो उनके चहेते अधिकारियों (यदि आरोपों की दृष्टि से कहा जाए तो उनके कमाऊ पूतों) ने जो तस्वीर दिखा दी, वह उन्होंने मान ली। हिंदूराव अस्पताल सहित उत्तरी दिल्ली नगर निगम के सभी अस्पतालों के हालात यह हैं कि उत्तरी दिल्ली नगर निगम का कोई भी अधिकारी उनके हालात पर जवाब दे पाने की स्थिति में नहीं है।

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प्राप्त जानकारी के अनुसार डॉक्टर एन एल पासवान लंबे समय से उत्तरी दिल्ली नगर निगम में नौकरी कर रहे थे। वह हिंदूराव अस्पताल के सर्जरी विभाग में अपनी सेवाएं दे रहे थे। तीन दिन पहले उन्हें सीने में दर्द होने की शिकायत हुई तो वह अपने ही अस्पताल यानी कि हिंदू राव अस्पताल में भर्ती हुए थे। वहां उनका दो बार ईसीजी किया गया। इसके बाद डॅाक्टर्स की टीम ने पाया कि उन्हें ‘एम आई’ की परेशानी है।
इसके बाद हिंदू राव अस्पताल ने अपने ही डॅाक्टर का इलाज करने से अपने हाथ खड़े कर दिए। उनके परिवार के कहा गया कि वह उन्हें किसी दूसरे अस्पताल में बेहतर इलाज के लिए लेकर जाएं। बताया जा रहा है कि इसके बाद डॉक्टर पासवान को उनके परिजन हार्ट एंड लंग हॉस्पिटल लेकर गए। लेकिन उन्हें वहां भर्ती नहीं किया गया। इसके बाद डॉक्टर पासवान को फोर्टिस अस्पताल ले जाया गया। लेकिन वहां भी उन्हें इलाज के लिए दाखिल नहीं किया गया।

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एटूजैड को मिली जानकारी के मुताबिक, इससे ज्यादा लाचारी और परेशानी की बात क्या हो सकती है कि डॉक्टर एन एल पासवान को हर अस्पताल ने केवल इसलिए भर्ती नहीं किया कि उनके पास कोरोना यानी कि कोविड-19 का नैगेटिव की टैस्ट रिपोर्ट नहीं थी। सूत्रों का कहना है कि डॉक्टर पासवान अपने अस्पताल से ठुकराए जाने के बाद जिस अस्पताल में गए, वहां उनकी कोरोना टैस्ट रिपोर्ट मांगी गई।

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हिंदूराव अस्पताल में दिए सेंपल की पांच दिन बाद रिपोर्ट
बता दें कि जब डॉक्टर पासवान अपने इलाज के लिए अस्पताल-दर-अस्पताल भटक रहे थे, उस समय हिंदू राव अस्पताल में दिए गए सेंपल की रिपोर्ट चार से पांच दिन के बाद आ रही थी। बुधवार से तो हिंदूराव अस्पताल ने कोरोना के सेंपल लेना ही बंद कर दिए हैं। ऐसे में कैसे भरोसा किया जा सकता है कि दिल्ली के तीनों में से कोई भी नगर निगम सही सेवा दे पा रहा है।

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कॉर्डियोलॉजी विभाग के वावजूद नहीं हुआ इलाज
उत्तरी दिल्ली नगर निगम के हिंदू रॉव अस्पताल में अलग से कॉर्डियोलॉजी विभाग है। डॉक्टर पासवान को दिल के दर्द की शिकायत थी। बताया जा रहा है कि उनकी मौत हार्ट अटैक की वजह से हुई। लेकिन वह दिल के दर्द की शिकायत को लेकर अपने ही अस्पताल हिंदू राव में भर्ती हुए थे। लेकिन उन्हें सुविधाएं नहीं होने का हवाला देकर किसी दूसरे अस्पताल में इलाज कराने के लिए कह दिया गया।
केंद्र की गाइडलाइंस का हुआ उल्लंघन
देशभर में कोरोना महामारी फैली हुई है। केंद्र सरकार ने इसके लिए कुछ गाइडलाइंस जारी की हैं। इनके मुताबिक किसी भी पेशेंट को केवल यह कहकर भर्ती नहीं किया जा सकता कि उसके पास कोरोना की टैस्ट रिपोर्ट नहीं है। एटूजैड न्यूज को जानकारी मिली है कि डॉक्टर पासवान को जिस अस्पताल में ले जाया गया, वहां उनसे कोरोना की टैस्ट रिपोर्ट मांगी गई थी।
डॉक्टर की जान गई, लेकिन कोई नहीं जवाबदेह
लोगों की जान बचाने वाले उत्तरी दिल्ली नगर निगम के एक डॉक्टर की जान चली गई। लेकिन इस पर उत्तरी दिल्ली नगर निगम और दक्षिणी दिल्ली नगर निगम को कोई भी जिम्मेदार अधिकारी जवाब देने के लिए तैयार नहीं है। दोनों ही निगमों की आयुक्त की जिम्मेदारी आईएएस अधिकारी ज्ञानेश भारती संभाल रहे हैं। लेकिन शायद इसके लिए उनके पास भी समय नहीं है। एटूजैड न्यूज ने दोनों ही निगमों के अधिकारियों से जानकारी चाही लेकिन एक डॉक्टर की मौत पर कोई अधिकारी बयान देने को तैयार नहीं है।
अब भी लॉकडाउन के मजे ले रहे अधिकारीः आप
आम आदमी पार्टी ने कहा है कि दिल्ली नगर निगमों की सत्ता में बैठे बीजेपी नेता और निगम के आला अधिकारी अब भी लॉकडाउन के मजे काट रहे हैं। उत्तरी निगम हो या दक्षिणी दोनों निगमों के अधिकारी केवल पैसा काटने में लगे हैं। क्योंकि बीजेपी नेता खुद इन्ही अधिकारियों की मिलीभगत से पैसा कमाने में लगे हैं। आप प्रवक्ता हरीश अवस्थी ने कहा कि भले ही उत्तरी दिल्ली नगर निगम का काम दक्षिणी दिल्ली के आयुक्त ज्ञानेश भारती देख रहे हैं। लेकिन उनके निगम में पार्किग के ठेके देने में जो घोटाला हुआ है, उससे उनका दामन नहीं बच सकता। उनके खुद के अधिकारी ने यह बयान दिया है कि आयुक्त ज्ञानेश भारती के आदेश के मुताबिक ही यह पार्किंग के टेंडर की प्रक्रिया की गई थी। ऐसे में निगम के आला अधिकारी मजे करते रहे और एक डॉक्टर अपने ही अस्पताल में इलाज नहीं करवा सका। अवस्थी ने कहा कि ऐसे बीजेपी नेताओं और अधिकारियों को खुद ही शर्म के मारे अपने पदों से इस्तीफा देकर चले जाना चाहिए। अवस्थी ने कहा कि यदि बीजेपी निगम के अस्पतालों का कामकाज नहीं संभाल पा रही है तो डीटीसी, जल बोर्ड और बिजली की तरह निगम अस्पतालों को भी दिल्ली सरकार को सोंप दे।
बीजेपी नेताओं के लिए शर्म की बातः कांग्रेस
दिल्ली प्रदेश कांग्रेस ने नगर निगम के एक डॉक्टर की मौत पर संवेदना प्रकट की है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कैप्टन खविंद्र सिंह ने कहा कि बीजेपी नेताओं और दोनों नगर निगम के अधिकारियों के लिए शर्म की बात है कि उनका एक डॉक्टर बिना इलाज के हार्ट अटैक की वजह से काल के गाल में चला गया। एक ओर बीजेपी नेता हिंदू राव में अस्पताल में सभी सुविधाओं की बात करते हैं और दूसरी ओर एक डॉक्टर खुद अपना इलाज इसी अस्पताल में नहीं करवा पाया। उत्तरी दिल्ली निगम में स्वास्थ्य सेवाओं की जिम्मेदारी देख रहे सभी अधिकारियों को तुरंत उनके पदों से हटाया जाना चाहिए।