NORTH DMC का स्वास्थ्य विभागः दागदार दामन लेकिन अफसरों ने दिया बड़ा ओहदा

-भ्रष्टाचार के आरोप फिर भी बने हुए हैं आला अधिकारियों के चहेते
-बिना अनुमति जापान यात्रा से लेकर लाखों के जुर्माने का आरोप

हीरेन्द्र सिंह राठौड़/ नई दिल्ली
उत्तरी दिल्ली नगर निगम भ्रष्टाचार के लिए ऐसे ही बदनाम नहीं है। इसके लिए नगर निगम में तैनात आला अधिकारी खुद जिम्मेदार हैं। एक ओर निगम में पब्लिसिटी एंड इनफॉर्मेशन व आयुष विभाग सहित कई विभागों के ईमानदार अधिकारियों को बिना कारण बताए हटा दिया गया। दूसरी ओर निगम के आला अधिकारी भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों के बावजूद कुछ अधिकारियों पर मेहरबान बने हुए हैं। हाल ही में कोरोना से हुई मौतों के बाद शावदाह को लेकर चर्चा में आए एक ‘व्यक्ति विशेष’ पर भी निगम के स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों से लेकर निगम के शीर्ष अधिकारी खासे मेहरबान हैं।

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निगम बोध घाट की संचालन समिति को करार खत्म करने का नोटिस जारी कराने वाले एमएचओ का दामन बहुत ज्यादा दागदार बताया जा रहा है। यह वही डॉक्टर अशोक रावत हैं जिनके कब्जे से कुछ साल पहले 20 हजार जन्म एवं मृत्यु प्रमाण पत्र चोरी हो गए थे। इस मामले में एक एफआईआर भी दर्ज कराई गई थी। उस समय डॉक्टर रावत करोलबाग जोन में डीएचओ के पद पर तैनात थे।

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अनिधिकृत रूप से रखे यूजर आईडी व पासवर्ड
उनके ऊपर यह आरोप भी लगे थे कि उन्होंने अनधिकृत रूप से जन्म एवं मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करने के सिस्टम के यूजर आईडी और पासवर्ड भी अपने पास रखे हुए थे। इस मामले में सीबीआई अभी जांच कर रही है। बताया जा रहा है कि इस दौरान भारी संख्या में फर्जी जन्म एवं मृत्यु प्रमाण पत्र जारी किये गए थे। चोरी हुए प्रमाण पत्रों के दुरूपयोग से बचने के लिए निगम ने ऑनलाइन प्रमाण पत्र जारी करने की व्यवस्था शुरू की थी। इसके लिए शुल्क भी बढ़ाकर वसूला गया, लेकिन आला अधिकारियों के साथ सैटिंग के चलते डॉक्टर रावत के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई।

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11 लाख का जुर्माना और रिकॉर्डेबल वॉनिंग
एक मामले में डॉक्टर अशोक रावत के अकर्मण्यशील रवैये की वजह से दिल्ली हाई कोर्ट ने उत्तरी दिल्ली नगर निगम पर 11 लाख रूपये का जुर्माना लगाया था। इसके अलावा 100 पौधे लगाने व 20 फुटबॉल दान करने का आदेश जारी किया था। इस मामले में निगम आयुक्त को कोर्ट में एक एफीडेविट भी देना पड़ा था। विजीलेंस विभाग ने डॉक्टर रावत को 27 जून, 2019 को आदेश संख्याः एसी(वीआईजी) एनडीएमसी/वीएम/ 2019/1432 रिकॉर्डेबल वॉर्निंग भी जारी की थी।

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बिना विभागीय अनुमति के जापान यात्रा
डॉक्टर अशोक रावत विदेश यात्राओं के शौकीन भी बताए जा रहे हैं। वह अपने विभाग या अपने से बड़े अधिकारियों को कुछ नहीं समझते। इसका उदाहरण है कि वह बिना विभागीय अनुमति लिए ही जापान यात्रा कर चुके हैं। जबकि उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई के साथ आरडीए लगाया गया है।

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आरटीआई मामले में 5 हजार का जुर्माना
उत्तरी दिल्ली नगर निगम में एमएचओ की जिम्मेदारी संभाल रहे डॉक्टर अशोक रावत पर लगे आरोपों का सिलसिला यहीं नहीं रूकता। दिल्ली हाई कोर्ट में लगाई गई रिट पिटीसन संख्याः डब्लू.पी.(सी) 13219/2009 के मामले में डॉ रावत की वजह से हाई कोर्ट के आदेश पर नगर निगम को 5 हजार रूपये का भुगतान सीआईसी को करना पड़ा था। मामला आरटीआई में जवाब नहीं दिए जाने से जुड़ा है। यह मामला तब का था जब डॉक्टर अशोक रावत शाहदरा (नॉर्थ जोन) के डीएचओ और पीआईओ हुआ करते थे।
शिकायतों के बावजूद नहीं कोई कार्रवाई
निगम स्वास्थ्य विभाग के एक अधिकारी के मुताबिक स्वास्थ्य विभाग में चल रहे भ्रष्टाचार और ‘व्यक्ति विशेष’ के कारनामों की शिकायतें कई बार आला अधिकारियों तक की गई है। लेकिन मोटी कमाई में हिस्सेदारी के चलते आला अधिकारी भी ऐसे लोगों पर खासे मेहरबान हैं। सूत्रों का यह भी कहना है कि डेपुटेशन पर आए कुछ ‘लॉबिंग वाले अधिकारियों’ की कृपादृष्टि निगम में कुछ ऐसे ही अधिकारियों पर बनी हुई है जो पहले से किसी न किसी रूप में दागी हैं और जिनके खिलाफ पहले से विभागीय जांच से लेकर सीबीआई कार्रवाई तक हो चुकी है।
पता चल रही दागियों की नियुक्ति के पीछे अधिकारियों की मंशा
आम आदमी पार्टी ने उत्तरी दिल्ली नगर निगम में दागी को बड़ा ओहदा दिए जाने पर गंभीर सवाल उठाए हैं। आप प्रवक्ता हरीश अवस्थी ने कहा कि जिस डॉक्टर अशोक रावत पर इतने गंभीर आरोप लगे हैं। उनके खिलाफ कई जांच अभी पेंडिंग हैं। नगर निगम को उसकी वजह से लाखों रूपये का जुर्माना भरना पड़ा है। ऐसे व्यक्ति को निगम अधिकारियों ने एमएचओ बना रखा है। जबकि उससे सीनियर और ईमानदार लोग नगर निगम में हैं। फिर भी उसी को बड़ा पद देने के पीछे की निगम के आला अधिकारियों की मंशा का पता आसानी से लगाया जा सकता है।
हरीश अवस्थी ने कहा कि आला अधिकारी नहीं चाहते कि नगर निगम से भ्रष्टाचार खत्म हो। यही कारण है कि बाहर से डेपुटेशन पर आए कुछ अधिकारी निगम के वरिष्ठ पदों से ईमानदार अधिकारियों को हटाकर या तो खुद बैठ रहे हैं या फिर किसी भ्रष्ट अधिकारी को उन पदों पर नियुक्त कर रहे हैं ताकि अपने मूल विभाग में वापस जाने से पहले यहां से मोटा पैसा बनाकर ले जा सकें।
की पोस्ट पर नहीं होने चाहिए गंभीर आरोपीः प्रीति अग्रवाल
उत्तरी दिल्ली की पूर्व महापौर प्रीति अग्रवाल ने कहा कि ऐसे गंभीर मामलों के आरोपी और खास तौर पर जिनके खिलाफ मेजर पैनल्टी के साथ आरडीए की कार्रवाई हुई हो, ऐसे लोगों को निगम की की-पोस्ट्स पर नहीं होना चाहिए। अब प्रदेश बीजेपी के अध्यक्ष आदेश गुप्ता बने हैं, उन्हें नगर निगम के हालातों का भी पता है। हमें पूरी उम्मीद है कि अब इस तरह के मामलों पर रोक लगेगी और उत्तरी दिल्ली नगर निगम के हालात सुधरेंगे। यह भी उम्मीद है कि अब अधिकारियों की मनमानी पर भी रोक लगेगी।
कारनामों पर अधिकारियों की चुप्पी
नॉर्थ डीएमसी के एमएचओ डॉक्टर रावत के कारनामों की फेहरिश्त यहीं खत्म नहीं होती है। निगम के आला अधिकारियों को भेजी गई शिकायत में कुछ और मामले भी शामिल हैं। उनके अन्य कारनामों की चर्चा अगली खबर में करेंगे। एटूजैड न्यूज ने डॉक्टर अशोक रावत और निगम के अन्य अधिकारियों से उनका पक्ष जानना चाहा, लेकिन कोई भी अधिकारी सामने नहीं आया। यदि आगे भी उनकी ओर से खबर के मामले में पक्ष रखा जाता है तो उसे यथा-स्थान दिया जाएगा।