रक्षाबंधन पर 474 साल बाद सुखद संयोग… धनिष्ठा नक्षत्र और ‘गजकेसरी योग’… शुभफलदायी होता है देवताओं को राखी बांधना

-नहीं रहेगा भद्रा का साया, पूरे दिन भाई की कलाई पर रखी बांध सकेंगी बहनें

आचार्य रामगोपाल शुक्ल/ नई दिल्ली
भाई-बहन के अटूट प्रेम का प्रतीक रक्षाबंधन पर्व इस वर्ष रविवार 22 अगस्त 2021 को पड़ रहा है। इस दिन बहनें अपने भाई को तिलक कर उनकी कलाई पर रक्षा-सूत्र या राखी बांधती हैं। भाई भी इस मौके पर अपनी बहनों को अपनी सार्मथ्य के अनुसार भेंट देकर उनकी आजीवन रक्षा करने का संकल्प लेते हैं। लेकिन इस वर्ष रक्षा बंधन के मौके पर बेहद ही दुर्लभ संयोग पड़ रहा है। जो कि 474 वर्ष बाद आया है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार हर वर्ष रक्षाबंधन का त्योहार श्रवण नक्षत्र में मनाया जाता है। लेकिन इस बार यह सावन पूर्णिमा पर धनिष्ठा नक्षत्र में मनाया जायेगा।

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ज्योतिषीय गणना के अनुसार इस बार राखी पर भद्रा का साया भी नहीं होगा। अतः बहनें पूरा दिन भाई को राखी बांध सकती हैं। इस दिन कुंभ राशि में गुरु की चाल वक्री रहेगी और इसके साथ चंद्रमा भी वहां मौजूद रहेगा। इस अवसर पर सिंह राशि में सूर्य, मंगल और बुध ग्रह एक साथ विराजमान रहेंगे। सिंह राशि का स्वामी सूर्य है। इस राशि में मित्र मंगल भी उनके साथ मौजूद रहेंगे। इसके साथ कन्या राशि में शुक्र रहेंगे। ग्रहों का ऐसा योग बेहद शुभ और फलदायी माना जाता है। इससे पहले ग्रहों का ऐसा दुर्लभ संयोग 474 साल पहले 11 अगस्त 1547 को को बना था।

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ज्योतिषीय गणना के मुताबिक इस वर्ष रक्षाबंधन के दिन श्रावण पूर्णिमा, धनिष्ठा नक्षत्र के साथ शोभन योग का शुभ संयोग बन रहा है। ज्योतिष शास्त्र में इन संयोग को उत्तम माना गया है। रक्षाबंधन के दिन तीन विशिष्ट संयोग भाई-बहनों के लिए लाभकारी साबित होंगे। गुरु और चंद्रमा की इस युति से रक्षाबंधन के पर्व पर ‘गजकेसरी योग’ बन रहा है। जब चंद्रमा और गुरु केंद्र में एक दूसरे की तरफ दृष्टि कर बैठे होते हैं तब यह योग बनता है। यह योग लोगों को भाग्यशाली बनाता है। इससे लोगों को धन संपत्ति, मकान, वाहन जैसे सुखों की प्राप्ति होती है। गज केसरी योग बनने से जातकों को राजसी सुख और समाज में मान-सम्मान की प्राप्ति होती है।

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गणना के मुताबिक रक्षाबंधन के दिन 22 अगस्त को सुबह 10 बजकर 34 मिनट तक शोभन योग रहेगा। यह योग सभी के लिए शुभ फलदायी होता है। रक्षाबंधन के ही दिन रात्रि 7 बजकर 40 मिनट तक धनिष्ठा योग रहेगा। पंचांग के मुताबिक श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि 21 अगस्त को शाम सात बजे से प्रारंभ हो रही है और समापन 22 अगस्त को शाम 5 बजकर 31 मिनट पर होगा। इस बार बहनों को राखी बांधने के लिए 12 घंटे और 11 मिनट की अवधि का दीर्घकालीन शुभ मुहूर्त मिल रहा है। राखी सुबह 5 बजकर 50 मिनट से शाम 6 बजकर 3 मिनट तक कभी भी बांधी जा सकती है।
रक्षाबंधन की कथा
ऐसी मान्यता है कि राजा बलि ने एक बार भगवान विष्णु को भक्ति के बल पर जीत लिया और उनसे यह वरदान मांगा कि अब आप मेरे ही राज्य में रहें। भगवान मान गए और उसी के राज्य में रहने लगे। उनके वापस न आने से माता लक्ष्मी दुखी रहने लगीं। तब नारद जी के परामर्श पर लक्ष्मी जी पाताल लोक गईं और बलि के हाथ पर राखी बांधकर उन्हें भाई बना लिया। फिर उन्होंने बलि से निवेदन किया कि वह अपनी बहन को उपहार स्वरूप उनके पति भगवान विष्णु को उनके साथ भेज दें। तब माता लक्ष्मी के भाई बने राजा बलि ने ऐसा ही किया और माता लक्ष्मी भगवान विष्णु को साथ वापस लेकर वैकुंठ धाम आ आईं। तभी से रक्षा बंधन को मनाने की परंपरा चली आ रही है।
रक्षाबंधन का शुभ मुहूर्त
इस वर्ष रक्षाबंधन पर रविवार 22 अगस्त 2021 को सुबह 5.50 से लेकर शाम 6.03 तक राखी बांधने का शुभ मुहूर्त है। भद्रा काल 23 अगस्त को सुबह 5 बजकर 34 मिनट से 6 बजकर 12 मिनट तक रहेगा। अभिजित मुहूर्त रविवार को दोपहर 12 बजकर 4 मिनट से 12 बजकर 58 मिनट तक रहेगा और अमृत काल सुबह 9 बजकर 34 मिनट से 11 बजकर 7 तक रहेगा। रविवार 22 अगस्त को सुबह 10 बजकर 34 मिनट तक शोभन योग भी रहेगा और धनिष्ठा नक्षत्र शाम 7 बजकर 40 मिनट तक रहेगा। कहते हैं कि धनिष्ठा नक्षत्र में पैदा होने वाले लोगों का भाई-बहन से रिश्ता बहुत खास होता है।
बांधें देवताओं को राखी
हिंदू धर्म में देवताओं को भी राखी बांधने की परंपरा है। मान्यता है कि देवताओं को राखी बांधने से भगवान उनकी हर मनोकामना पूरी करते हैं। यहां जानें कि आप किन-किन देवताओं को कौन सी राखी बांध सकते हैं.ः-
श्री गणेश भगवानः
मान्यता है कि रक्षाबंधन के दिन भगवान गणेश को लाल रंग की राखी बांधनी चाहिए। क्योंकि भगवान श्री गणेश को लाल रंग बेहद प्रिय है। ऐसा करने से जीवन के सभी कष्ट और संकट दूर हो जाते हैं तथा ऋद्धि-सिद्धि की प्राप्ति होती है।
भगवान शिवः
रक्षाबंधन का पवित्र त्योहार सावन की पूर्णिमा को मनाया जाता है। सावन का महीना भगवान शिव को बेहद ही प्रिय होता है और पूर्णिमा इस माह का अंतिम दिन है। भगवान शिव राखी बांधने से प्रसन्न होते हैं और उनकी मनोकामना जरूर पूरी होती हैं।
विष्णु भगवानः
भगवान विष्णु को पीला रंग बेहद ही प्रिय है। इस लिए रक्षाबंधन के दिन भगवान विष्णु को हल्दी का तिलक लगाकर पीले रंग की राखी बांधे।
भगवान श्री कृष्णः
भगवान श्री कृष्ण को द्रोपदी ने राखी बांधी थी, जिसके बदले उन्होंने द्रोपदी की लाज बचाई थी। भगवान कृष्ण को राखी बांधने से वो हर परेशानी में रक्षा करते हैं।
श्री हनुमान जीः
भगवान हनुमान जी को लाल रंग की राखी बांधनी चाहिए। इससे मंगल ग्रह शांत होते हैं, भय से मुक्ति मिलती है और बल व बुद्धि की प्राप्ति होती है।