पटाखों पर सरकार सख्त ग्रीन पटाखों संग मनेगी कुछ राज्यों में दिवाली

-दिल्ली में पूरी तरह से बंद रहेगी आतिशबाजी

हेमा शर्मा/ नई दिल्ली
प्रदूषण पर लगाम लगाने के लिए अधिकतर राज्यों ने पटाखा फ्री दिवाली की मुहिम चालू की है। जिसके तहत पटाखों के भंडारण व बिक्री पर पूरी तरह रोक लगा दी गई है। यदि कोई इस नियम की अवहेलना करता है तो कोई दो राय नहीं कि उसे जेल की हवा खानी पड़ेगी। हालांकि कुछ राज्यों में ग्रीन पटाखों को अनुमति मिली है लेकिन सिर्फ़ 2 घंटो के लिए।

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सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि हमने पटाखों पर जो प्रतिबंध लागू किया है, प्रत्येक सरकार को उसका सख्ती से पालन करना पड़ेगा। ताकि प्रदूषण पर नियंत्रण रखा जा सके। सर्वोच्च न्यायालय ने लोगों की भावनाओं का ध्यान रखते हुए स्पष्ट किया है कि वो उत्सव के खिलाफ नहीं है लेकिन यदि इंसान की ज़िंदगी इसके आड़े आएगी तो हम ज़िंदगी को दांव पर नहीं लगा सकते।

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दिवाली में पटाखों से हुए प्रदूषण से एक्यूआई लेवल 500 तक पार हो जाता है जो अत्यंत हानिकारक है। जिसके चलते नवजात शिशु, बुजुर्ग लोग, गर्भवती महिलाओं व सांस की बीमारी से पीड़ित लोगों को सांस लेने में बहुत दिक्कत होती है और कई लोगों की तो होस्पिटलाइज होने तक की नौबत आ जाती है। सर्वोच्च न्यायालय ने ग्रीन पटाखों को इजाज़त देते हुए कहा कि कम प्रदूषण फैलाने वाले व कम आवाज वाले पटाखों के बीच 2 घंटे के की समय सीमा में यानी रात्रि 8 बजे से 10 बजे तक ही आतिशबाजी की जा सकती है।
पटाखों पर राज्यों की स्थिति
दिल्लीः
दिल्ली में प्रदूषण को कम करने के लिए पटाखों पर पूर्ण प्रतिबंध है। यहां सरकार ने 27 अक्टूबर से दिया जलाओ अभियान चालू किया है। नवंबर- दिसंबर आते ही दिल्ली में वैसे ही वायु प्रदूषण की स्थिति खराब रहती है। ऐसे में दिवाली के मौके पर की जाने वाली आतिशबाजी से और ज्यादा प्रदूषण बढ़ जाता है। इसलिए दिल्ली सरकार ने यह मुहिम शुरू की है।
राजस्थान, पंजाब, पश्चिम बंगाल, कर्नाटकः
इन राज्यों में सरकार ने ग्रीन पटाखों को अनुमति देते हुए 2 घंटे की समय सीमा निर्धारित की है। जो कुछ राज्यों में रात्रि 8 बजे से 10 तक है और कुछ राज्यों में रात्रि 6 से 8 बजे तक है।
जाने किन पटाखों पर है प्रतिबंध
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद लड़ियों, साँप की टिक्की सहित आर्सेनिक, लिथियम, लेड, मरकरी, बेरियम और एलुमिनियम वाले पटाखे प्रतिबंधित किये गये हैं।
क्या होते हैं ग्रीन पटाखे?
सुप्रीम कोर्ट ने तय सीमा में आवाज़ व धुंए वाले पटाखों को ही ग्रीन पटाखों की श्रेणी में रखा है। इन पटाखों में नाइट्रोजन ऑक्साइड और सल्फर डाई ऑक्साइड की मात्रा कम होती है जिसकी वजह से सामान्य पटाखों की तुलना में इन पटाखों से 40 से 50 प्रतिशत तक कम हानिकारक गैस पैदा होती है और प्रदूषण कम होता है।