निगम द्वारा पकड़े पशुओं को रखने से गौशालाओं ने खड़े किये हाथ…अवैध डेयरियों के खिलाफ सीलिंग व प्रॉपर्टी अटैच करने की तैयारी

-बीते तीन माह में उत्तरी निगम ने पकड़े करीब 1 हजार पशु
-अवैध डेयरियों के खिलाफ चलाया जा रहा धरपकड़ अभियान
-अभियान के तहत 12 सौ चालान व 3 लाख रूपये की वसूली

हीरेन्द्र सिंह राठौड़़/ नई दिल्ली
आने वाले दिनों में दिल्ली में अवैध डेयरी चलाने वालों की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। नगर निगम अवैध डेयरी चलाने वालों की संपत्तियों को सील करने और उनकी संपत्तियों को अटैच करने पर विचार कर रहा है। अवैध डेयरी संचालकों के खिलाफ किये जाने वाले चालान की राशि को भी बढ़ाये जाने पर विचार किया जा रहा है। खास बात है कि नगर निगम द्वारा अवैध डेयरियों से पकड़े गये पशुओं को रखने से अब गौशालाओं ने भी अपने हाथ खड़े कर दिये हैं। इस तरह की कार्रवाई दक्षिणी दिल्ली और पूर्वी दिल्ली में भी जल्दी शुरू की जा सकती है।

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दरअसल दिल्ली में भारी संख्या में अवैध डेयरियां चलाई जा रही हैं। इन डेयरियों के मालिक दूध निकालने के बाद गायों को खुला छोड़ देते हैं। यह गायें दिल्ली की सड़कों पर दिनभर आवारा घूमती रहती हैं। जिनकी वजह से गंदगी फैलने के साथ ही सड़कों पर एक्सीडेंट होते रहते हैं। इसके चलते उत्तरी दिल्ली नगर निगम ने आवारा पशुओं के साथ ही अवैध डेयरियों से पशुओं को पकड़ने के लिए विशेष अभियान चला रखा है। इसके तहत अवैध डेयरियों के संचालकों को जमकर चालान जारी किये जा रहे हैं।

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उत्तरी दिल्ली नगर निगम की स्थायी समिति के अध्यक्ष छैल बिहारी गोस्वामी ने बताया कि करीब पिछले तीन महीनों में निगम अधिकारियों ने अवैध डेयरी संचालकों के लगभग 1200 चालान काटे हैं। करीब 3 लाख रूपये के चालान की राशि की वसूली की गई है। इसके साथ ही करीब 1 हजार पशुओं को पकड़कर गौशालाओं में भेजा जा चुका है। यह अभियान आगे भी जारी है। अभी 5 हजार रूपये का चालान काटा जाता है। लेकिन हम चालान की राशि को बढ़ाने के साथ सख्त कानूनी कार्रवाई के दूसरे विकल्पों पर भी विचार कर रहे हैं। इनमें संबंधित प्रॉपर्टी की सीलिंग और दूसरी बातें शामिल हैं।
गौशालाओं में नहीं मिल रही जगह
नगर निगम द्वारा बीते तीन महीनों में करीब 1 हजार पशुओं को दिल्ली की विभिन्न गौशालाओं में भेजा जा चुका है। इसके बाद गौशालाओं के संचालकों ने निगम के द्वारा पकड़े गये पशुओं को अपने यहां लेना बंद कर दिया है। इसके बाद निगम के इस विशेष अभियान पर असर पड़ रहा है। उत्तरी निगम के पास अब केवल दक्षिणी क्षेत्र में स्थित एक गौशाला का विकल्प ही रह गया है। यदि यह गौशाला भी निगम द्वारा पकड़े गये पशुओं को लेने से मना कर देती है तो उत्तरी दिल्ली नगर निगम को अपना यह अभियान बंद करना पड़ेगा।
मथुरा के गौशाला संचालकों ने मांगी 5 साल की राशि
बताया जा रहा है कि दिल्ली की गौशालाओं में स्थान की कमी के साथ ही गायों के चारे के लिए धन की कमी है। दूसरी ओर निगम अधिकारियों ने उत्तर प्रदेश के मथुरा में कुछ गौशाला संचालकों से संपर्क किया है। लेकिन उन्होंने नगर निगम से प्रति पशु 40 रूपये प्रति दिन के हिसाब से अगले पांच साल की राशि एडवांस में जमा कराने के लिए कहा है। इसके साथ ही पकड़े गये पशुओं को मथुरा की गौशालाओं तक पहुंचाने में नगर निगम को बहुत ज्यादा खर्च करना होगा। ऐसे में आर्थिक तंगी झेल रहे नगर निगम के पास यह विकल्प अपनाने का कोई रास्ता नहीं है।