कोरोना की दवा के नाम पर फर्जीवाड़ाः हिमाचल में नकली रेमडेसिविर बना रहा था इंदौर का डॉक्टर

-400 नकली वायल बरामद, डॉक्टर गिरफ्तार

एसएस ब्यूरो/ नई दिल्ली
कोरोना महामारी के दौरान बहुत से लोग एक-दूसरे की मदद कर रहे हैं। लेकिन दसूरी ओर कुछ लोगों ने कोरोना की नकली दवाई को ही अपना धंधा बना लिया है। देश में रेमडेसिविर इंजेक्शन की कमी फायदा उठाते हुए नकली इंजेक्शन बेचना शुरू कर दिया है। मध्य प्रदेश के इंदौर में इस इंजेक्शन की कालाबाजारी का एक बड़ा मामला सामने आया है। इंदौर क्राइम ब्रांच ने एक ऐसे डॉक्टर को गिरफ्तार किया है जो हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा की अपनी कंपनी में बिना लाइसेंस के रेमडेसिविर इंजेक्शन बनाकर बेच रहा था।

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आरोपी डॉक्टर विनय त्रिपाठी के पास से 16 बॉक्स में 400 नकली वॉयल बरामद हुए हैं। जांच में पता चला है कि वह बीते एक साल से कांगड़ा में सूरजपुर स्थित फॉर्मुलेशन प्राइवेट लिमिटेड कंपनी चला रहा था। डीआईजी मनीष कपूरिया के मुताबिक पुलिस को सूचना मिली थी कि रेमडेसिविर इंजेक्शन का स्टॉक किसी एक व्यक्ति के पास है। वह इंदौर में सप्लाई करने वाला है। इस पर टीम ने पड़ताल के बाद त्रिपाठी को पकड़ा।

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जब इस संबंध में पूछताछ की गई तो पता चला कि त्रिपाठी ये इंजेक्शन हिमाचल प्रदेश से लेकर आए हैं। जब उनसे संबंधित दस्तावेज मांगे गए तो वे कागजात नहीं दे पाए। मामले में क्राइम ब्रांच के साथ ड्रग विभाग की टीम भी जांच कर रही है। पता चला है कि यह व्यक्ति फार्मा बिजनेस से जुड़ा है। पीथमपुर में उसकी यूनिट भी है।
प्राप्त जानकारी के मुताबिक डॉक्टर विनय त्रिपाठी ने दिसंबर 2020 को कंपनी के मैनेजर पिंटू कुमार के जरिये जिला कांगड़ा के एडिशनल ड्रग कंट्रोलर धर्मशाला के पास इंजेक्शन के उत्पादन के लिए अनुमति मांगी थी। अथॉरिटी ने कंपनी को इसके उत्पादन की अनुमति नहीं दी थी। तब विनय की कंपनी पैंटाजोल टेबलेट्स का ही उत्पादन कर रही थी।

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कंपनी के मैनेजर पिंटू कुमार का कहना है कि पिछले साल लॉकडाउन लगने के बाद से कंपनी बंद थी। अगस्त 2020 को इंदौर के रहने वाले डॉ. विनय त्रिपाठी ने ही कंपनी में फिर से उत्पादन शुरू करवाया था। स्टाफ को हर महीने सैलरी भी वही दे रहा था। उसने बताया कि दिसंबर 2020 में डॉ. विनय त्रिपाठी के कहने पर मैंने एडिशनल ड्रग कंट्रोलर धर्मशाला आशीष रैना को रेमडेसिविर इंजेक्शन बनाने के लिए लाइसेंस के लिए आवेदन किया था।
लेकिन अनुमति नहीं मिली थी। रेमडेसिविर इंजेक्शन हमारी कंपनी में बनाया जा रहा था, मुझे इसकी जानकारी नहीं है। कंपनी में वर्तमान में सात कर्मचारी काम कर रहे हैं। इनमें दो सिक्योरिटी गार्ड भी शामिल हैं। दूसरी ओर एडिशनल ड्रग कंट्रोलर धर्मशाला आशीष रैना ने बताया कि कंपनी को रेमडेसिविर इंजेक्शन बनाने की अनुमति विभाग ने नहीं दी है। साथ ही नूरपुर के ड्रग इंस्पेक्टर प्यार चंद को मामले की जांच करने के आदेश दिए गए हैं।