गुरूवार को है दिवाली… जानिए तारीख, मुहूर्त और पूजन विधि

-शाम 6 बजकर 9 मिनट से 8 बजकर 20 मिनट तक करें लक्ष्मी पूजन
      आचार्य रामगोपाल शुक्ल

आचार्य रामगोपाल शुक्ल/ नई दिल्ली
मंगलवार 2 नवंबर से दीपावली का पंच पर्व शुरू हो चुका है। हिंदू संस्कृति में दीपावली सबसे बड़े त्योहारों में से एक है और इसे पूरे देश में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। लोगों को हर साल दिवाली के त्योहार का बेसब्री से इंतजार रहता है। कार्तिक मास की अमावस्या पर पड़ने वाले इस त्योहार को अंधेरे पर प्रकाश की, अज्ञान पर ज्ञान की, बुराई पर अच्छाई की और निराशा पर आशा की जीत का प्रतीक माना जाता है।

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इस वर्ष दिवाली 4 नवंबर गुरुवार को मनाई जा रही है। दिवाली का पर्व अश्विन मास (7वें महीने) की कृष्ण पक्ष त्रयोदशी (28वें दिन) से शुरू होता है और कार्तिक (8वें महीने) की शुक्ल पक्ष द्वितीया (दूसरा दिन) को समाप्त होता है। सामान्य तौर पर दिवाली पूजा करने का सबसे शुभ समय सूरज के डूबने के बाद का माना जाता है। इस बार लक्ष्मी पूजा का शुभ मुहूर्त एक घंटे 55 मिनट की अवधि का रहेगा। लोगों को शाम 6 बजकर 9 मिनट से रात 8 बजकर 20 मिनट तक लक्ष्मी पूजन करना चाहिए।
दिवाली पूजन के लिए सामग्री
एक लकड़ी की चौकी, चौकी को ढकने के लिए लाल या पीला कपड़ा, देवी लक्ष्मी और भगवान गणेश की मूर्तियां या चित्र, कुमकुम, चंदन, हल्दी, रोली, अक्षत, पान और सुपारी, साबुत नारियल अपनी भूसी के साथ, अगरबत्ती, दीपक के लिए घी, पीतल का दीपक या मिट्टी का दीपक, कपास की बत्ती, पंचामृत, गंगाजल, पुष्प, फल, कलश, जल, आम के पत्ते, कपूर, कलावा, साबुत गेहूं के दाने, दूर्वा घास, जनेऊ, धूप, एक छोटी झाड़ू, आरती थाली।
इस तरह करें दिवाली पूजन
दिवाली पूजन से पहले सफाई बहुत जरूरी है। अपने घर के हर कोने को साफ करने के बाद गंगाजल छिड़कें। लकड़ी की चौकी पर लाल सूती कपड़ा बिछाएं। बीच में मुट्ठी भर अनाज रखें। कलश (चांदी या कांसे का बर्तन) को अनाज के बीच में रखें। कलश में 75 प्रतिशत पानी भरकर एक सुपारी, गेंदे का फूल, एक सिक्का और कुछ चावल के दाने डाल दें। कलश पर 5 आम के पत्ते गोलाकार आकार में रखें। केंद्र में देवी लक्ष्मी की मूर्ति और कलश के दाहिनी ओर (दक्षिण-पश्चिम दिशा) में भगवान गणेश की मूर्ति रखें।

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एक छोटी थाली लें और चावल के दानों को इसमें एक जगह रख दें। हल्दी से कमल का फूल बनाएं, कुछ सिक्के डालें और मूर्ति के सामने रखें। इसके पश्चात अपने व्यापार/लेखा पुस्तक और अन्य धन/व्यवसाय से संबंधित वस्तुओं को मूर्ति के सामने रखें। अब देवी लक्ष्मी और भगवान गणेश को तिलक करें और दीपक जलाएं। कलश पर भी तिलक लगाएं। अब भगवान गणेश और लक्ष्मी को फूल चढ़ाएं। पूजा के लिए अपनी हथेली में कुछ फूल रखें। अपनी आंखें बंद करें और दिवाली पूजा मंत्र का पाठ करें। हथेली में रखे फूल को भगवान गणेश और लक्ष्मी जी को चढ़ाएं।

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लक्ष्मीजी की मूर्ति लें और उसे पानी से स्नान कराएं और उसके बाद पंचामृत से स्नान कराएं। इसे फिर से पानी से स्नान कराएं, एक साफ कपड़े से पोछें और वापस रख दें। मूर्ति पर हल्दी, कुमकुम और चावल डालें। माला को देवी के गले में लगाएं और अगरबत्ती जलाएं। नारियल, सुपारी, पान का पत्ता माता को अर्पित करें। देवी की मूर्ति के सामने कुछ फूल और सिक्के रखें। थाली में दीया लें, पूजा की घंटी बजाएं और लक्ष्मी जी की आरती करें।
पांच दिन का दिवाली उत्सव
सामान्य तौर पर दीपावली का त्योहार 5 दिनों तक मनाया जाता है। इस दिन लोग दीये जलाकर घरों, दुकानों, फैक्ट्री, व्यापारिक संस्थानों और कार्यालयों को रोशन करते हैं। नए वस्त्र पहनते हैं, फूलों और अन्य सजावटी चीजों से अपने घरों को सजाते हैं। लोग अपने प्रियजनों को उपहार और मिठाईयां भी बांटते हैं। ऐसी भी मान्यता है कि माता धनलक्ष्मी ने इस दिन समुद्र मंथन से जन्म लिया था। देवी लक्ष्मी के इस रूप में एक हाथ में सोने का कलश होता है। इस कलश से वो धन की वर्षा करती हैं। एक अन्य मान्यता यह है कि दीपावली के दिन भगवान श्री राम बनवास से घर लौटकर आये थे, तब पूरे अयोध्या राज्य में दीपावल मनाई गई थी।