-बीते करीब एक साल से बैठकों से नदारद हैं करीब डेढ़ दर्जन नेता
-प्रभारी व सह प्रभारियों को दिये जिला अध्यक्षों के पेंच कसने के आदेश
-पार्षदों व प्रमुख कार्यकर्ताओं की बेरूखी ने बढ़ाई प्रदेश नेतृत्व की परेशानी
हीरेन्द्र सिंह राठौड़/ नई दिल्ली
दिल्ली प्रदेश भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश नेतृत्व की मुश्किलें घटने का नाम नहीं ले रही हैं। पार्टी में अब कमान संभालने के पश्चात से लगातार हाथ लग रही नाकामियों का ठीकरा अब जिला अध्यक्षों के सिर फोड़ने की तैयारी शुरू हो गई है। नेतृत्व की ओर से जिला प्रभारियों और सह प्रभारियों को आदेश जारी किया गया है कि लंबे समय से बैठकों में नहीं आने वाले निगम पार्षदों, पूर्व विधायकों, पूर्व जिला व प्रदेश पदाधिकारियों को मनाया जाये। इसके लिए जिला अध्यक्षों व जिलों के अन्य पदाधिकारियों के पेंच कसे जायें ताकि आने वाले दिनों में पार्टी की और किरकिरी नहीं हो।
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बता दें कि पिछले सप्ताह हुई प्रदेश बीजेपी की कार्यकारिणी की बैठक से ठीक एक दिन पहले प्रदेश नेतृत्व की ओर से सभी जिला प्रभारियों और सह प्रभारियों की बैठक प्रदेश कार्यालय में बुलाई गई थी। बैठक में पार्टी छोड़कर जाने वाले पार्षदों एवं दूसरे नेताओं का मुद्दा गरमाया रहा। क्योंकि इसके कुछ दिन पहले ही उत्तर पूर्वी दिल्ली से राजकुमार बल्लन ने बीजेपी छोड़कर आम आदमी पार्टी ज्वॉइन कर ली थी। इस बैठक में सभी जिला प्रभारियों व सह प्रभारियों को आदेश दिया गया कि वह जिला अध्यक्षों की नकेल कसें। बैठक में शामिल एक नेता ने कहा कि कई जिला अध्यक्ष काबू से बाहर हो गए हैं और अपने जिलों में दूसरे नेताओं व निगम पार्षदों के साथ तालमेल नहीं बना पा रहे हैं।
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बता दें कि 2 जून 2020 को आदेश गुप्ता को दिल्ली बीजेपी का अध्यक्ष नियुक्त किया गया था। इसके पश्चात नगर निगम और संगठन में कई सारे बदलाव किये गए थे। तभी से बीजेपी के करीब डेढ़ दर्जन निगम पार्षदों व इनके साथ कई अन्य नेताओं ने बीजेपी के जिला व मंडलों की बैठकों में आना छोड़ रखा है। कई पार्षद और पूर्व विधायक व अन्य वरिष्ठ नेता अब लगातार बैठकों से अनुपस्थित चल रहे हैं। इसी बीच प्रदेश नेतृत्व पर गंभीर आरोप लगाते हुए पिछले करीब एक साल में कई वरिष्ठ नेता बीजेपी छोड़कर जा चुके हैं। लेकिन पार्टी नेतृत्व इन बिगड़ते हालातों को काबू कर पाने में लगातार अक्षम साबित हो रहा है।
नगर निगम जोन चुनाव में फजीहत
प्रदेश नेतृत्व की नाकामी की वजह से मंगलवार को उत्तरी दिल्ली निगम के तहत नरेला जोन के चुनाव में बीजेपी के पास बहुमत होने के बावजूद पार्टी को फजीहत का सामना करना पड़ा। नागलोई वार्ड से बीजेपी की निगम पार्षद ज्योति रक्षोया मतदान से गैर हाजिर रहीं, जबकि एक अन्य पार्षद ने आम आदमी पार्टी के पक्ष में क्रॉस वोटिंग कर दी। इसके बावजूद प्रदेश नेतृत्व एक भी पार्षद या नेता के खिलाफ कोई कार्रवाई कर पाने में आपने आपको असहाय महसूस कर रहा है।
लगातार बीजेपी छोड़ रहे नेता
प्रदेश नेतृत्व की अनुभवहीनता और कार्यकर्ताओं व पदाधिकारियों के प्रति गैरसंवेदनशीलता की वजह से पिछले दिनों पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्वी दिल्ली नगर निगम में पार्षद राजकमार बल्लन ने बीजेपी छोड़कर आम आदमी पार्टी ज्वॉइन कर ली थी। अब ज्योति रक्षोया का नया मामला सामने आया है। यह मामले अकेले नहीं हैं बल्कि पिछले करीब एक साल में बीजेपी पार्षद आरती यादव, पूर्व पार्षद अनिल यादव, बीजेपी विधानसभा प्रत्याशी संतलाल चावरिया, अनारकली वार्ड से बीजेपी पार्षद रेखा दीक्षित, बीजेपी जिला महामंत्री रहे श्रवण दीक्षित, श्रमिक संघ अध्यक्ष रहे जेपी टांक, जगवीर प्रधान, राकेश गुजराल, विशनदेव सहित ऐसे कई लोग हैं जो बीजेपी छोड़कर जा चुके हैं।
अगले साल होने हैं निगम चुनाव
साल 2022 के अप्रैल तक दिल्ली के तीनों नगर निगमों के चुनाव होने हैं। पिछले करीब 14 वर्षों से बीजेपी नगर निगम की सत्ता में काबिज है। ऐसे में बीजेपी के सामने सबसे बड़ी चुनौती यही है कि वह अपनी सत्ता को कायम रख सके। इसके लिए पार्टी को अपने कार्यकर्ताओं और नेताओं के बीच भरोसा जगाना होगा ताकि वह पार्टी के साथ बने रहें। लेकिन पिछले करीब एक साल में संगठन और कार्यकर्ताओं के बीच की दूरियां लगातार बढ़ रही हैं। बताया जा रहा है कि कई अन्य निगम पार्षद जल्दी ही पार्टी छोड़कर जा सकते हैं। ऐसे में आने वाले निगम चुनाव में बीजेपी को अपनी साख बचाना मुश्किल हो सकता है।