‘धरना पॉलिटिक्स‘ फेल… बैकफुट पर दिल्ली बीजेपी… रणनीतिकारों पर उठे सवाल!

-मीडिया विभाग पर सवाल, धरना खत्म करने के लिए करना पड़ा हाई वोल्टेज ड्रामा
-आप सरकार की विज्ञापन नीति का विरोध और खुद विज्ञापन से ही दिया स्पष्टीकरण
-चार महीने से वेतन के पैसे नहीं, लेकिन विज्ञापन पर खर्च कर डाले लाखों रूपये
-दक्षिणी दिल्ली नगर निगम को ढाई हजार करोड़ की माफी पर जारी किया विज्ञापन

एसएस ब्यूरो/ नई दिल्ली
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के आवास पर चली ‘धरना पॉलिटिक्स’ फेल होने के बाद दिल्ली बीजेपी बैकफुट पर आ गई है। केजरीवाल सरकार द्वारा विज्ञापन देने का विरोध करने वाली दिल्ली प्रदेश भारतीय जनता पार्टी ने अब खुद के शासन वाले नगर निगम की ओर से विज्ञापन जारी करके स्पष्टीकरण दिया है। यह स्पष्टीकरण दक्षिणी दिल्ली नगर निगम को किराये के ढाई हजार करोड़ रूपये की छूट दिये जाने को लेकर दिया गया है। इसके बाद पार्टी के रणनीतिकारों पर सवाल उठने लगे हैं। पार्टी के मीडिया विभाग के ऊपर भी निगम पार्षदों के त्याग और मेहनत के नाम पर कुछ गिने-चुने लोगों का नाम चमकाने का आरोप लग रहा है।

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पार्टी में चर्चा है कि धरना और भूख हड़ताल का निर्णय बिना किसी ठोस रणनीति के अचानक लिया गया था। स्थान और समय पर बिना विचार किये ही नगर निगम के नेताओं को धरने पर बैठने का आदेश जारी कर दिया गया था। जिसके चलते नगर निगम के नेताओं के मुख्यमंत्री आवास पर दिये जा रहे धरने को खत्म करने के लिए शनिवार को हाई प्रोफाइल ड्रामे का रूप देना पड़ा था। लेकिन जिस तरह से आनन-फानन में इस धरने को खत्म कराना पड़ा, उसको लेकर 13 दिन तक चले इस धरने और 3 दिन की भूख हड़ताल पर ही सवालिया निशान लग गए हैं।

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दिल्ली बीजेपी के एक धड़े में चर्चा है कि केवल सेलरी देने के दबाव में आकर निगम के नेताओं को धरने पर भेज दिया गया था। बीजेपी नेताओं ने दावा किया था कि जब तक मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल नगर निगमों का बकाया 13 हजार करोड़ रूपया जारी नहीं कर देंगे, तब तक धरना खत्म नहीं किया जाएगा। इसके बाद भूख हड़ताल में भी यही दावा किया गया था कि निगम के नेता पैसा मिलने तक भूख हड़ताल खत्म नहीं करेंगे। लेकिन ऐसा नहीं हो सका।

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रिहायशी इलाके में धरने को लेकर दिल्ली हाई कोर्ट का ऑर्डर आने के बाद बीजेपी नेताओं के ऊपर धरना और भूख हड़ताल खत्म करने का दबाव बढ़ गया था। शनिवार को सुबह में ही दिल्ली पुलिस की ओर से बीजेपी नेताओं को इस बारे में नोटिस भी जारी किया गया था। लेकिन बीजेपी के रणनीतिकार यहां भी फेल रहे। बीजेपी नेता धरना खत्म करने के लिए दिल्ली पुलिस के नोटिस को आधार बना सकते थे। लेकिन उन्होंने मीडिया के सामने आकर अपने नेताओं के लगातार बीमार होने को धरना खत्म करने का कारण बताया।

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अब यह बात किसी के गले नहीं उतर रही है कि जब भूख हड़ताल पर बैठे थे तो तबियत तो खराब होनी ही थी। फिर यह बात बीजेपी नेताओं ने महापौरों की भूख हड़ताल शुरू करवाने से पहले क्यों नहीं सोची? इस ‘धरना पॉलिटिक्स’ और भूख हड़ताल से दिल्ली बीजेपी की वैसी ही स्थिति हो गई है जैसे ‘चौबे जी छब्बे बनने चले थे लेकिन दुबे बनकर लौट आए हैं’। अब तक हड़ताल की वजह से निगम के नेता सेलरी देने की जवाबदेही से बचते आ रहे थे, लेकिन अब सोमवार से फिर एक बार निगम के नेताओं को कर्मचारियों की सेलरी का जवाब देना पड़ेगा।
केजरीवाल के विज्ञापनों का विरोध और खुद जारी किया विज्ञापन
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के सरकारी आवास पर 13 दिन तक धरना और 3 दिन तक भूख हड़ताल पर बैठने वाले निगम के नेता दिल्ली सरकार की विज्ञापन नीति पर विरोध जताते आ रहे थे। दिल्ली बीजेपी के नेताओं का हमेशा आरोप रहता है कि मुख्यमंत्री मीडिया में विज्ञापन देते हैं लेकिन निगम का पैसा नहीं देते। लेकिन रविवार को विज्ञापनों का विरोध करने वाली बीजेपी शासित नगर निगम की ओर से विज्ञापन अखबारों में विज्ञापन देकर अपनी स्थिति स्पष्ट की गई। यह विज्ञापन दक्षिणी दिल्ली नगर निगम को ढाई हजार करोड़ रूपये की छूट दिये जाने के संबंध में जारी किया गया। अब विपक्ष को यह सवाल उठाने का मौका मिल गया है कि जब निगम के पास सेलरी देने के लिए पैसा नहीं है तो विज्ञापनों के लिए पैसा कहां से आया?
‘सफाई राजनीति’ का रंग देने में भी फेल रहे रणनीतिकार
दिल्ली बीजेपी की ओर से अपना धरना और भूख हड़ताल खत्म किये जाने के संबंध में बयान जारी गया था कि सफाई कर्मचारी यूनियन के नेताओं द्वारा तीनों महापौरों को जूस पिलाकर भूख हड़ताल और धना खत्म कराया गया था। बीजेपी की ओर से इस पूरे प्रकरण को सफाई कर्मचारियों की राजनीति का रंग देने की कोशिश की गई थी। लेकिन यहां दिल्ली बीजेपी का मीडिया विभाग पूरी तरह से फेल साबित हुआ। मीडिया विभाग की ओर से प्रेस विज्ञप्ति के साथ जो फोटो जारी किये गए, उनमें केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी और प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष जूस का गिलास थमाते हुए नजर आए।

ऊपर सफाई कर्मचारियों को श्रेय और नीचे भूख हड़ताल करने वालों के साथ…

आंदोलन के बजाय खुद का नाम चमकाने में व्यस्त रहा मीडिया विभाग
मुख्यमंत्री आवास पर 13 दिन तक चले धरना और भूख हड़ताल में भले ही दिल्ली के तीनों मेयर और नगर निगम के दूसरे जिम्मेदार नेता अपने आप को पूरी तरह से झोंके हुए थे। लेकिन दिल्ली बीजेपी के मीडिया विभाग के कुछ नेता केवल अपना नाम चमकाने में जुटे हुए थे। पार्टी की ओर से जारी की गईं ज्यादातर प्रेस विज्ञप्तियों में मीडिया प्रभारी का खुद का बयान जरूर होता था, जबकि इससे पहले मीडिया प्रभारी का बयान तो दूर उनका नाम भी कभी-कभार ही शामिल होता था।

भूख हड़ताल वालों के बजाय अपना नाम चमकाने की होड़
दिल्ली बीजेपी के मीडिया विभाग ने धरना और भूख हड़ताल खत्म होने के दिन भी अपना चमत्कार बनाए रखा। पार्टी के मीडिया विभाग की ओर से शनिवार को जारी प्रेस विज्ञप्ति में सबसे अंतिम पैरा में 3 दिन की भूख हड़ताल और 13 दिन तक धरने पर बैठे रहे निगम पार्षदों के नाम उन नेताओं के बाद लिखे गये, जिनमें से कुछ तो धरना स्थल पर एक-दो बार ही गए होंगे।
जेपी ने संभाले रखी आंदोलन की कमान
केजरीवाल सरकार के खिलाफ महापौरों और निगम पार्षदों के ऐतिहासिक धरना और भूख हड़ताल के बावजूद दिल्ली बीजेपी फिलहाल बैकफुट पर है। लेकिन उत्तरी दिल्ली के महापौर जय प्रकाश ने जीदारी दिखाते हुए पूरे आंदोलन को संभाले रखा। उन्होंने पूरे 13 दिन तक धरना-प्रदर्शन और भूख हड़ताल का नेतृत्व किया। धरने पर बैठने के दौरान पूर्वी दिल्ली के महापौर निर्मल जैन जहां अखबारों में छपी खबरों में अपना नाम ढूंढते हुए नजर आए, वहीं दक्षिणी दिल्ली की महापौर अनामिका बार-बार अपनी नाक कुरेदतीं नजर आईं। दिल्ली बीजेपी की यह कोशिश भले ही अपने प्रदेश संगठन के नेताओं की वजह से नाकाम रही हो, लेकिन इस आंदोलन से मेयर जय प्रकाश एक बड़े नेता के रूप में उभरे हैं।