-उप मुख्यमंत्री सिसोदिया ने की जम्मू-कश्मीर की तरह आर्थिक मदद की मांग
-वित्तमंत्री के साथ बजट पूर्व बैठक में आपदा प्रबंधन कोष के तहत मांगी मदद
-सिसोदिया ने नगर निगमों को केंद्र से आर्थिक मदद देने के लिए की सिफारिश
एसएस ब्यूरो/ नई दिल्ली
दिल्ली की केजरीवाल सरकार नगर निगमों द्वारा 13 हजार करोड़ की मांग पर भले ही ध्यान नहीं दे रही हो। लेकिन दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से दिल्ली को 12 हजार करोड़ का फंड देने की मांग की है। सिसोदिया ने केंद्र सरकार से नगर निगमों को सीधे आर्थिक मदद देने की भी सिफारिश की है। उन्होंने मोदी सरकार से केंद्रीय करों में दिल्ली को समुचित हिस्सा देने का अनुरोध किया है। दिल्ली के वित्तमंत्री मनीष सिसोदिया ने मंगलवार को मांग की कि केंद्रीय कर, केंद्रशासित राज्यों को केंद्रीय सहायता और आपदा प्रबंधन कोष में दिल्ली को जम्मू-कश्मीर की तर्ज पर सहायता दी जाए।
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केंद्रीय वित्त मंत्री द्वारा बजट 2021-22 पर राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के वित्तमंत्रियों के साथ बजट पूर्व बैठक के दौरान सिसोदिया ने यह मांग रखी। मनीष सिसोदिया ने कहा कि कोरोना महामारी के कारण वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान राजस्व संग्रह में 42 फीसदी की कमी आई है। इस तथ्य के मद्देनजर भारत सरकार को दिल्ली के लिए अतिरिक्त सहायता देने पर भी विचार करना चाहिए। सिसोदिया ने बैठक में कहा कि दिल्ली के तीनों नगर निगम गंभीर आर्थिक तंगी से गुजर रहे हैं और अन्य राज्यों के नगर निकायों की तरह इन्हें भी केंद्र सरकार से वित्तीय सहायता पाने का पूरा हक है।
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सिसोदिया ने बैठक में कहा कि देश की राजधानी और तेजी से बढ़ता महानगर होने के नाते दिल्ली सरकार पर विश्वस्तरीय बुनियादी ढांचे का निर्माण करने की चुनौती है। साथ ही व्यापक आबादी को सर्वोत्तम नागरिक सुविधाओं की आपूर्ति करना तथा सबको रोजगार के अवसर प्रदान करते हुए राजधानी में एक शानदार जीवन का अवसर प्रदान करना जरूरी है। 2001-02 से लेकर अब तक 20 साल में केंद्रीय करों में दिल्ली का हिस्सा मात्र 325.00 करोड़ रूपये पर सीमित रखा गया है। दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र होने के साथ ही यहां विधानसभा भी है, लेकिन केंद्रीय वित्त आयोग के टर्म ऑफ रिफ्रेंस में दिल्ली को शामिल नहीं किया गया है।
इन सेक्टर्स में बताई निवेश की जरूरत
दिल्ली के उपमुख्यमंत्री ने कहा कि दिल्ली में शिक्षा, स्वास्थ्य, सामाजिक सुरक्षा, खाद्य सुरक्षा, परिवहन, सड़क और अस्पताल आदि के क्षेत्र में काफी निवेश की जरूरत है। विकास की जरूरतों को पूरा करने के लिए केंद्रीय करों में दिल्ली को अपना वैध हिस्सा पाने का पूरा हक है। नियमानुसार वित्तवर्ष 2020-21 में 8150 करोड़ रुपये और वित्तवर्ष 2021-22 में 8555 करोड़ रुपये का आवंटन दिल्ली के लिए किया जाना चाहिए।
नगर निगमों की आर्थिक हालत पर जताई चिंता
बजट पूर्व बैठक में मनीष सिसोदिया ने यह भी कहा कि दिल्ली में पांच शहरी स्थानीय निकाय हैं। इनमें तीन बड़े नगर निगम हैं, जिनकी आबादी 39 लाख से 62 लाख के बीच है। दिल्ली में नगरपालिकाओं की शक्तियां और कार्य अन्य राज्यों में स्थानीय निकायों के समान हैं। दिल्ली के नगर निकायों की चूक के तकनीकी आधारों पर इन्हें बेसिक और परफोर्मेंस ग्रांट से वंचित करना स्थानीय स्वायत्त निकायों को मजबूत करने की संवैधानिक व्यवस्था के अनुरूप नहीं है।
नगर निगमों को 12.5 फसदी देती है दिल्ली सरकार
मनीष सिसोदिया ने कहा कि दिल्ली के तीनों नगर निगम गंभीर आर्थिक तंगी से गुजर रहे है।अन्य राज्यों के नगर निकायों की तरह इन्हें भी केंद्र सरकार से वित्तीय सहायता पाने का पूरा हक है। दिल्ली वित्त आयोग की सिफारिशों के अनुरूप दिल्ली राज्य सरकार अपनी शुद्ध कर आय का 12.5 प्रतिशत हिस्सा दिल्ली नगर निगमों को देती है। उपमुख्यमंत्री ने कहा कि चौदहवें वित्त आयोग ने वर्ष 2015-20 की अवधि में स्थानीय निकायों के लिए 2,87,436 करोड़ रुपये अनुदान का प्रावधान किया है। इस आधार पर हरेक नगर निकाय को प्रति-व्यक्ति, प्रति-वर्ष 488 रुपये मिलने चाहिए। दिल्ली की आबादी 193.86 लाख होने के कारण दिल्ली नगर निकायों को कम से कम 1150 करोड़ रुपये अनुदान के साथ ही उचित वार्षिक वृद्धि का लाभ मिलना चाहिए। उपमुख्यमंत्री ने कहा कि दिल्ली नगर निगमों की गंभीर वित्तीय स्थिति को देखते हुए पिछले 10 वर्षों के बकाये हिस्से का कुल 12,000 करोड़ रुपया एकमुश्त मिलना चाहिए।