दिल्लीः चुनाव नजदीक लेकिन नगर निगम के मुद्दों पर पिछड़ रही बीजेपी

-आप द्वारा उठाये जा रहे सवालों के जवाबों से दूर भाग रहे बीजेपी नेता
-एक पूर्व महापौर और एक प्रदेश प्रवक्ता कर रहे भरपाई की कोशिश

हीरेन्द्र सिंह राठौड़/ नई दिल्ली
दिल्ली में चार महीने बाद नगर निगम के चुनाव होने हैं, दो महीने में आचार संहिता लागू हो जायेगी, लेकिन निगम के मुद्दों पर प्रदेश भारतीय जनता पार्टी लगातार पिछड़ती जा रही है। आम आदमी पार्टी की ओर से लगातार रोजाना निगम में सत्ताधारी बीजेपी पर अलग अलग मुद्दों को लेकर भ्रष्टाचार के आरोप लगाये जा रहे हैं। लेकिन निगम में बीजेपी के नेता सामने आकर जवाब तक देने से कतरा रहे हैं। लंबे समय बाद दक्षिणी दिल्ली के महापौर मुकेश सूर्यान ने मंगलवार को प्रेस वार्ता के जरिये जवाब देने की कोशिश की। अब बुधवार को उत्तरी दिल्ली के मेयर राजा इकबाल सिंह प्रेस वार्ता करेंगे।

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दरअसल आम आदमी पार्टी की ओर से विभिन्न मुद्दो को लेकर जिस तरह से तोड़-मरोड़ कर आंकड़ों और तथ्यों का जाल फैलाया जा रहा है, उसमें निगम में बीजेपी की ओर से नेतृत्व करने वाले नेता फंसकर रह गये हैं। उत्तरी दिल्ली के पूर्व महापौर जय प्रकाश जरूर आम आदमी पार्टी की ओर से फैलाये जा रहे भ्रम को तोड़ने की कोशिश करते हैं, या फिर प्रदेश प्रवक्ता प्रवीण शंकर कपूर अपनी ओर से रोजाना एक बयान जारी करके थोड़ी-बहुत भरपाई करने की कोशिश कर रहे हैं।

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यहां तक कि दिल्ली बीजेपी की ओर से पूर्वी, उत्तरी और दक्षिणी दिल्ली नगर निगमों के जो प्रभारी बनाये गये हैं, उनके प्रयास भी बिलकुल दखायी नहीं दे रहे हैं। उन लोगों ने पूरी तरह से निगम के मुद्दों से चुप्पी साध रखी है। जबकि आम आदमी पार्टी की ओर से तीनों नगर निगमों के प्रभारी दुर्गेश पाठक गोवा में बैठकर भी दिल्ली के नगर निगमों कार्य प्रणाली की पोल खोलने में जुटे हैं। वहीं आप की पूरी की पूरी टीम रोजाना नगर निगमों से जुड़ा कोई न कोई मुद्दा लाकर मीडिया के सामने खड़ा कर देती है।
दिखाई दे रहा नेतृत्व क्षमता का अभाव
बीजेपी से जुड़े एक वरिष्ठ नेता का कहना है कि चुनावी वर्ष में जिन लोगों को तीनों नगर निगमों की कमान मिली है, उनमें नेतृत्व क्षमता का पूरी तरह से अभाव दिखायी दे रहा है। दक्षिणी दिल्ली के मेयर मुकेश सूर्यान में मेयर बनने के बाद एरोगेंसी और ज्यादा बढ़ गयी है। वह ज्यादातर समय किसी न किसी आला अधिकारी को लेकर मीटिंग मे ंबैठे दिखाई देते हैं। हालांकि यह बात अलग है कि निगम की कार्यप्रणाली में इसके बावजूद कोई सुधार नहीं दिखायी दिया। सदन की बैठकों में बीजेपी निगम पार्षदों की पीड़ा साफ देखी जा सकती है। स्थायी समिति के अध्यक्ष बीके ओबरॉय शुरू में थोड़ा एक्टिव दिखायी दिये थे, तब अधिकारी भी सक्रिय नजर आये थे, लेकिन पार्टी की ओर से मिली झिड़की के बाद वह भी शिथिल पड़ गये हैं। नेता सदन इंद्रजीत सहरावत की दिलचस्पी निगम की छवि सुधारने में बिलकुल नजर नहीं आ रही है।

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इसी तरह पूर्वी दिल्ली नगर निगम के नेता भी मकड़जाल में फंसे हुए हैं। महापौर श्याम सुंदर अग्रवाल ना तो निगम अधिकारियों पर नियंत्रण रख पा रहे हैं और नाही अपनी पार्टी के निगम पार्षदों के ऊपर। स्थायी समिति अध्यक्ष बीएस पंवार अधिकारियों के दबाव में हैं, उनके बार-बार आदेश देने के बावजूद निगम आयुक्त ने क्वालिटी कंट्रोल विभाग में तैनात विवादित ए एच खान को नहीं हटाया है। नेता सदन सत्यपाल सिंह बार-बार इस मुद्दे को स्थायी समिति की बैठकों में उठा चुके हैं। निगम में पूरी की पूरी पार्टी फंस कर रह गई है। पूर्वी दिल्ली नगर निगम के नेताओं की ओर से भी आप के खिलाफ कोई प्रतिक्रिया दिखाई नहीं दे रही है।

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उत्तरी दिल्ली नगर निगम के मेयर राजा इकबाल सिंह पहले से ही कम बोलते हैं, अब कुछ बोलने लगे हैं। लेकिन आर्थिक संकट की वजह से वह भी स्थिति को संभाल नहीं पा रहे हैं। नेता सदन छैल बिहारी मीडिया के सामने बोल लेते हैं, लेकिन वह भी आजकल दूसरे कामों में व्यस्त नजर आ रहे हैं। स्थायी समिति के अध्यक्ष जोगीराम जैन को ज्यादातर मुद्दों की जानकारी ही नहीं होती। हालांकि वह मीडिया को मिल तो जाते हैं, लेकिन अपने सीधेपन की वजह से गंभीर मुद्दों पर सही ढंग से अपनी बात नहीं रख पाते हैं।