-मार्च 2020 से जनवरी 2021 तक नहीं हो पाया प्रदेश इकाई का गठन
-280 ब्लॉक ऑब्जर्वर्स की नियुक्ति पर भी कार्यकर्ताओं में नाराजगी
हीरेन्द्र सिंह राठौड़/ नई दिल्ली
केंद्र की मोदी सरकार के ‘विकास’ के नारे पर सवाल उठाने वाली कांग्रेस की दिल्ली इकाई को अपने ‘विकास’ की तलाश है। राजधानी के सियासी मैदान में ‘विकास की तलाश’ में प्रदेश कांग्रेस लगातार पिछड़ती जा रही है। प्रदेश अध्यक्ष चौधरी अनिल कुमार को अपना कार्यभार संभाले करीब साढ़े नौ महीने बीत चुके हैं। लेकिन वह अब तक प्रदेश इकाई का गठन तक नहीं कर पाए हैं। कांग्रेस कार्यकर्ताओं में चर्चा तेज है कि अनिल चौधरी प्रदेश के वरिष्ठ और कनिष्ठ कांग्रेसियों में अपनी खास इमेज नहीं बना पा रहे हैं।
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दरअसल दिल्ली की सियासत में आम आदमी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी के बीच तलवारें खिचीं हैं। दोनों ही दलों के बीच जमकर राजनीतिक जंग छिड़ी है। दोनों ही पार्टिंया नगर निगम के मुद्दे पर एक-दूसरे के आमने-सामने हैं। यही कारण है कि दोनों ही ओर से रोजाना नये-नये मुद्दे उठाकर एक दूसरे पर हावी होने की कोशिश की जा रही है। ऐसे में प्रदेश कांग्रेस अपनी उपस्थिति तक दर्ज नहीं करवा पा रही है। कांग्रेसी सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस इकाई का गठन नहीं हो पाना इसका सबसे बड़ा कारण है।
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दिल्ली के एक वरिष्ठ कांग्रेसी नेता का कहना है कि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बहुत से पुराने नेताओं को महत्व नहीं दे रहे हैं। पिछले दिनों कोरोना की वजह से दक्षिणी दिल्ली के एक बाजार को बंद करा दिये जाने की वजह से दुकानदारों ने दिल्ली सरकार के खिलाफ आवाज उठाई थी। इन दुकानदारों को कांग्रेस के ही एक नेता ने प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष से मिलकर अपनी आवाज बुलंद करने के लिए कहा था। लेकिन गूजरवाद के चलते प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने पुराने नेता को दुकानदारों से मिलने के समय दरकिनार कर दिया।
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एक और वरिष्ठ कांग्रेसी नेता का कहना है कि प्रदेश इकाई के गठन में लगातार देरी से भी कार्यकर्ताओं का मनोबल टूट रहा है। दिल्ली में कांग्रेसी और कांग्रेस समर्थक तो बहुत हैं, लेकिन कांग्रेस संगठन नहीं होने की वजह से कार्यकर्ता एकजुट नहीं हो पा रहे हैं। अनिल चौधरी प्रदेश अध्यक्ष के बतौर नौ महीने से ज्यादा समय के बावजूद कार्यकर्ताओं में अपने प्रति भरोसा नहीं जगा पाए हैं। उन्होंने शुरू में तो कांग्रेस के कुछ वरिष्ठ नेताओं का सहयोग लेने की कोशिश की थी, लेकिन इसके बाद उन्होंने ‘एकला चलो’ की राह पकड़ ली है।
बता दें कि कांग्रेस आलाकमान की ओर से 11 मार्च 2020 को अनिल चौधरी को प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष बनाने की घोषणा की गई थी। उन्होंने बुधवार 18 मार्च को विधिवत रूप से कांग्रेस अध्यक्ष पद का कार्यभार संभाला था। इसके बावजूद अभी तक वह प्रदेश इकाई का गठन तक नहीं कर पाए हैं। इससे पहले 20 जुलाई 2019 को तत्कालीन प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के निधन के बाद कांग्रेस आलाकमान ने विधानसभा चुनाव से पहले 23 अक्टूबर 2019 को सुभाष चौपड़ा को प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया था। फरवरी 2020 में दिल्ली विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की बुरी तरह से हार के बाद चोपड़ा और प्रदेश प्रभारी पीसी चाको को इस्तीफा देना पड़ा था।
अप्रैल 2022 में होने हैं निगम चुनाव
दिल्ली में मार्च-अप्रैल 2022 में तीनों नगर निगमों के लिए चुनाव होने हैं। इसको देखते हुए आम आदमी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी ने अभी से एक-दूसरे के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। ऐसे में बिना संगठन की प्रदेश कांग्रेस मूकदर्शक बनकर खड़ी नजर आ रही है। पार्टी के नेताओं में इस बात को लेकर भी नाराजगी है कि प्रदेश नेतृत्व की ओर से उन्हें बिलकुल भी भरोसे में नहीं लिया जा रहा है। ऐसे में कांग्रेस के लिए आने वाले नगर निगम चुनाव में भी अच्छी उपस्थिति दर्ज करा पाने में मुश्किल आ सकती है।
दिल्ली में लगातार गिर रहा कांग्रेस का ग्राफ
2013 में दिल्ली विधानसभा चुनाव में हार के बाद से कांग्रेस का ग्राफ दिल्ली में लगातार गिरता जा रहा है। 2015 के विधानसभा चुनाव में पार्टी को करीब 9 फीसदी वोट हासिल हुए थे। जबकि 2017 के नगर निगम चुनाव में कांग्रेस को 21 फीसदी वोट हासिल हुए थे। हालांकि 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस का वोट प्रतिशत बढ़कर 22.5 फीसदी तक पहुंच गया था। लेकिन फरवरी 2020 में संपूर्ण सफाये के साथ कांग्रेस केवल 4.1 फीसदी वोट ही हासिल कर पाई थी।