विधानसभा सीट

DELHI BJP: महिला मोर्चा अध्यक्ष पद पर कब्जे की कवायद

-अध्यक्ष पद पर ज्यादातर महिला प्रदेश पदाधिकारियों की नजर
-महिला मोर्चा अध्यक्ष के लिए पार्टी में करीब एक दर्जन दावेदार

हीरेन्द्र सिंह राठौड़/ नई दिल्ली
प्रदेश भारतीय जनता पार्टी के गठन के दौर में नेताओं की भागीदारी और तेज होती जा रही है। एक ओर जहां दिल्ली बीजेपी के नेता प्रदेश की नई टीम के गठन की घोषणा का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। दूसरी ओर अपने लिए प्रदेश और मोर्चों में सीट की चाहत रखने वाले नेता शीर्ष नेताओं के आशीर्वाद के लिए लगातार हाजिरी लगा रहे हैं। पार्टी में महिला मोर्चा के अध्यक्ष के पद के लिए भी दावेदारों की लंबी कतार लगी है।

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पार्टी से जुड़े उच्चस्थ सूत्र बताते हैं कि ज्यादातर प्रदेश की महिला पदाधिकारी महिला मोर्चा की अध्यक्ष बनना चाहती हैं। उनका मानना है कि प्रदेश संगठन से ज्यादा भूमिका महिला मोर्चा अध्यक्ष की होती है। प्रदेश संगठन में उपाध्यक्ष या मंत्री बने रहने के बजाय यदि उन्हें महिला मोर्चा का अध्यक्ष पद मिल जाए तो उन्हें ज्यादा अहमियत मिल सकती है।

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सूत्रों का यह भी कहना है कि प्रदेश संगठन की वर्तमान पदाधिकारियों में शामिल योगिता सिंह, मोनिका पंत, शोभा उपाध्याय और गुंजन नरूला महिला प्रदेश अध्यक्ष बनने के लिए दावेदारी कर रही हैं। इनके अलावा महिला मोर्चा में ही पदाधिकारी संतोष गोयल भी अब अध्यक्ष पद के लिए जोड़-तोड़ में जुटी हैं। साथ ही प्रदेश संगठन में विभिन्न पदों पर रह चुकीं रेखा गुप्ता, कमलजीत सहरावत, शिखा राय, लता गुप्ता, नूपुर शर्मा और प्रवक्ता टीना शर्मा भी महिला मोर्चा की प्रदेश अध्यक्ष बनने के लिए दावेदार हैं।

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बता दें कि इन दावेदारों में से कमलजीत सहरावत और रेखा गुप्ता को प्रदेश संगठन में महामंत्री पद के लिए भी प्रबल दावेदार बताया जा रहा है। लेकिन जैसे-जैसे प्रदेश की नई टीम की घोषणा में देरी हो रही है, वैसे-वैसे पार्टी के नेताओें की धड़कनें भी तेज होती जा रही हैं। केंद्र और प्रदेश के शीर्ष नेता चाहते हैं कि विधानसभा चुनाव में टिकट वितरण की तरह पार्टी की नई टीम में असंतुलन नहीं रहे। यही कारण है कि नई टीम की घोषणा में लगातार देरी हो रही है।
नामों पर सहमति नहीं बन पाने के चलते हो रही देरी
दिल्ली बीजेपी के एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि जिलों और मंडलों की रायशुमारी में आए कई नामों पर सभी वरिष्ठ नेताओं की सहमति नहीं बन पाई है। दूसरी ओर प्रदेश संगठन में नई टीम के रूप में जिम्मेदारी के लिए भी कई नामों पर सहमति नहीं बन पा रही है। सबसे ज्यादा मुश्किल ऐसे नामों को लेकर है जो पिछले कई बार से किसी बड़े पद पर चले आ रहे हैं।
राष्ट्रीय महामंत्री अरूण सिंह कुछ ऐसे लोगों को जिम्मेदारी देने के पक्ष में हैं, जो नए हों और ज्यादा मेहनत कर सकें। लेकिन पुरानों में से कई नेता वरिष्ठ नेताओं की सिफारिश के जरिए नई टीम में फिर से एंट्री करना चाहते हैं। इसके चलते प्रदेश संगठन महामंत्री की सूची और केंद्र की ओर से टीम के गठन के लिए अधिकृत किए गए अरूण सिंह की सूची में अभी तालमेल नहीं बैठ पा रहा है।