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DELHI BJP: उम्रदराज मंडल अध्यक्षों को बदलने की तैयारी!

-जिला अध्यक्ष फोन पर मांग रहे जिला पदाधिकारियों व पार्षदों से नये नाम
-दिखा जिला अध्यक्षों से पहले मंडल अध्यक्षों की घोषणा का साइड इफैक्ट
-शुरू हुई जिला व मंडलों के गठन की प्रक्रिया, पर्यवेक्षक कर रहे रायशुमारी

हीरेन्द्र सिंह राठौड़/ नई दिल्ली
दिल्ली प्रदेश भारतीय जनता पार्टी में मंडल से लेकर जिला और प्रदेश संगठन की घोषणा भले ही हो गई हो, लेकिन पार्टी में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। पार्टी में अब नवनियुक्त उम्रदराज मंडल अध्यक्षों को बदलने की तैयारी शुरू हो गई है। पार्टी से जुड़े उच्च पदस्थ सूत्रों का कहना है कि 50 साल से ज्यादा उम्र वाले सभी मंडल अध्यक्षों को बदला जाना है। बताया जा रहा है कि जिला अध्यक्षों के निशाने पर करीब एक दर्जन मंडल अध्यक्ष हैं।

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दरअसल मंडल व जिला अध्यक्षों की नियुक्ति की घोषणा से पहल हुई कोर कमेटी की बैठक में तय किया गया था कि इस बार ज्यादा से ज्यादा युवा टीम को पदाधिकारी बनने का मौका दिया जाएगा। इसी के आधार पर मंडल अध्यक्षों के लिए 45 साल और जिला अध्यक्षों के लिए 55 साल की आयु सीमा तयस की गई थी। बाद में पार्टी की ओर से स्पष्ट किया गया था कि दो-चार साल ऊपर-नीचे के मामला चल जाएगा।

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लेकिन जब मंडल अध्यक्षों की सूची जारी की गई तो उसमें कई लोग ऐसे थे, जिनकी उम्र 50 और 55 साल से भी ऊपर है। लेकिन इसके बाद जब जिला अध्यक्षों की घोषणा की गई तो उसमें भी निश्चित आयु सीमा का ज्यादा ध्यान नहीं रखा गया था। सूत्रों का कहना है कि अब पार्टी में एक बार फिर से विचार किया गया है कि जो मंडल अध्यक्ष 50 साल से ज्यादा उम्र के हैं उनकी जगह पर नये मंडल अध्यक्षों की नियुक्ति की जाए।

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ऐसे में जिला अध्यक्षों ने अपने अपने कार्यक्षेत्र में आने वाले मंडलों के अध्यक्षों की उम्र पर गौर करना शुरू कर दिया है। खास बात है कि जिला अध्यक्षों की ओर से अपने अपने जिलों के पदाधिकारियों और निगम पार्षदों को फोन करके ज्यादा आयु वाले मंडल अध्यक्षों के स्थान पर कम आयु वाले लोगों के नाम देने के लिए कहा जा रहा है। इसके बाद से पार्टी के कई मंडल अध्यक्ष और कार्यकर्ता बगावत के मूड में आ गए हैं।
ज्यादा आयु वाले कर दिये रिटायर!
दिल्ली बीजेपी के एक वरिष्ठ नेता का कहना है कि पार्टी में पद देना कोई सरकारी नौकरी नहीं है। कई युवा लोग इतना काम नहीं कर पाते हैं, जितना काम 60 और 70 साल की उम्र वाले लोग कर लेते हैं। जनसंपर्क और पार्टी की गतिविधियों को आगे बढ़ाने के लिए पार्टी के प्रति लगन और उत्साह होना जरूरी है। लकिन मंडल अध्यक्षों को निशाना बनाकर प्रदेश संगठन की ओर से 55 साल से ऊपर की आयु वाले बीजेपी कार्यकर्ताओं को यह संदेश दिया जा रहा है कि वह अब पार्टी के कामों से खुद ही रिटायरमेंट ले लें।
दिल्ली के एक और वरिष्ठ नेता ने कहा कि अगले एक साल के बाद निगम चुनाव होने हैं, प्रदेश नेतृत्व की ओर से पहले ही कई ऐसे लोगों को ेपार्टी के साथ बगावत करने इनाम पदाधिकारी बनाकर दिया गया है। इसके बाद उम्र की सीमा में बांधकर पार्टी कार्यकर्ताओं के मनोबल को गिराने का असर नगर निगम चुनाव पर पड़ेगा। पुराने कार्यकर्ताओं में इस बात को लेकर निराशा बढ़ती जा रही है कि लंबे समय से पार्टी का काम करते आ रहे लोगों को केवल इसलिए सम्मान नहीं मिलेगा, क्योंकि अब उनकी उम्र ज्यादा हो गई है।
दिखने लगे जिलों से पहले मंडलों की घोषणा के साइड इफैक्ट्स
दिल्ली बीजेपी में जिला अध्यक्षों की घोषणा से पहले मंडल अध्यक्षों की घोषणा के साइड इफैक्ट्स दिखने लगे हैं। कई जिला अध्यक्षों का तालमेल अपने मंडल अध्यक्षों के साथ नहीं बन पा रहा है। बताया जा रहा है कि ज्यादातर मंडल अध्यक्षों का मानना है कि उन्हें नई जिम्मेदारी दिलवाने में जिला अध्यक्षों की कोई भूमिका नहीं है। इसके चलते ज्यादातर मंडल अध्यक्ष सीधे प्रदेश नेतृत्व के संपर्क में हैं। यही कारण है कि कई जिलों अध्यक्षों की ओर से अपने अपने कई मंडल अध्यक्षों को बदलने की कोशिश की जा रही है।
मंडल व जिलों के गठन के लिए रायशुमारी
दूसरी ओर दिल्ली बीजेपी ने प्रदेश संगठन की घोषणा करने के बाद अब जिला और मंडलों के गठन की कवायद शुरू कर दी है। पार्टी की ओर से मंडल और जिला पदाधिकारी बनाने के लिए पर्यवेक्षकों की नियुक्ति की जा चुकी है और ज्यादातर मंडलों में यह लोग रायशुमारी भी कर चुके हैं। बताया जा रहा है कि जल्दी ही मंडलों व जिलों के पदाधिकारियों की घोषणा भी कर दी जाएगी।