विधानसभा सीट

दिल्ली बीजेपीः नई टीम में चली संगठन महामंत्री की पसंद!

-चुनाव हारने वालों और पार्टी उम्मीदवारों का विरोध करने वालों को मिला इनाम
-लो प्रोफाइल नेताओं के कंधे पर आया नगर निगम चुनाव जिताने का भार

हीरेन्द्र सिंह राठौड़/ नई दिल्ली
दिल्ली प्रदेश भारतीय जनता पार्टी की नई टीम की घोषणा हो गई है। बताया जा रहा है कि नई टीम के नाम तय करने में संगठन महामंत्री सिद्धार्थन की चली है। सूत्रों का यह भी कहना है कि नई टीम में कई ऐसे नेताओं को स्थान मिला है जो विधानसभा और निगम चुनाव बुरी तरह से हार चुके हैं। आश्चर्य की बात तो यह भी है पार्टी में बड़े नेताओं और संगठन महामंत्री की चापलूसी करने वाले दो ऐसे नेताओं को भी प्रमुख स्थान मिला है, जिनका पार्टी में अलग अलग कारणों से भारी विरोध होता रहा है। नई टीम की खास बात यह भी है कि इस बार केवल वाल्मीकि समाज के नेताओं को मौका मिला है, जाटव समाज से एक भी व्यक्ति को प्रदेश पदाधिकारी बनने का मौका नहीं मिला है।

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हालांकि दिल्ली बीजेपी की नई टीम को युवाओं की टीम कहा जा सकता है। लेकिन इसमें कई ऐसे नाम हैं, जिन्हें पार्टी के नेता पचा नहीं पा रहे हैं। 2020 का विधानसभा चुनाव हारने वालों में सुनील यादव, राजीव बब्बर, करम सिंह कर्मा, लता सोढ़ी, इंप्रीत सिंह बख्शी, तजिंदर पाल सिंह बग्गा के नाम शामिल हैं। बताया जा रहा है कि यह लोग संगठन महामंत्री सिद्धार्थन के बेहद प्रिय हैं। इसी वजह से इन्हें चुनाव हारने के बाद संगठन में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी संभालने का इनाम मिला है।

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संगठन के गठन से पूर्व हुई बैठकों में तय किया गया था कि निगम पार्षदों और विधायकों को संगठन में जिम्मेदारी नहीं दी जाएगी। लेकिन नीमा भगत, सुनीता कांगड़ा और संतोष पाल को प्रमुख जिम्मेदारियां दी गई हैं। इसी तरह कांग्रेस छोड़कर आए कई नेताओं को महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी गई है। कांग्रेस छोड़कर आईं बरखा सिंह को प्रदेश उपाध्यक्ष बनाया गया है।

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हालांकि जब वह सक्रिय थीं तब उन्हें पार्टी में कोई जिम्मेदारी नहीं दी गई थी। इसी तरह एनएसयूआई से आए इंप्रीत सिंह बख्शी को पहले बीजेपी में युवा मोर्चा में जिम्मेदारी दी गई, फिर उन्हें 2020 का विधानसभा चुनाव लड़ाया गया और बुरी तरह से चुनाव हारने के बाद उन्हें प्रदेश में मंत्री बनाया गया है। इसी तरह निगम पार्षद सुनीता कांगड़ा महापौर बतौर बुरी तरह से विफल होने के बाद प्रदेश में मंत्री बनाई गई हैं।
आश्चर्य की बात है कि जिन संतोष पाल को पिछली बार यानी पूर्व अध्यक्ष मनोज तिवारी के कार्यकाल में निगम पार्षद बनने के बाद जिला अध्यक्ष के पद से हटा दिया गया था। उन्हीं संतोष पाल को अब ओबीसी मोर्चा के अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी दी गई है। जबकि उत्तरी दिल्ली के महापौर जय प्रकाश महामंत्री पद के प्रमुख दावेदार थे। लेकिन उन्हें पार्षद होने की वजह से यह जिम्मेदारी नहीं दी गई। आश्चर्य की बात यह है कि उन्हें पार्षद होने की वजह से ही डेढ़ साल पहले प्रदेश उपाध्यक्ष के पद से हटाया गया था।
कई बार विधानसभा चुनाव हार चुके कौशल मिश्रा पर बड़ी मेहरबानी की गई है। कौशल मिश्रा को पूर्वांचल मोर्चा का अध्यक्ष बनाया गया है। अब तक कार्यालय मंत्री रहे गिरीश सचदेवा को कार्यालय प्रभारी बनाया गया है, जबकि बार-बार विवादों में रहने वाले हुकम सिंह को कार्यालय मंत्री बनाया गया है। पत्रकार नवीन कुमार को को मीडिया प्रमुख और पत्रकार महेश वर्मा को मीडिया सह प्रमुख बनाया गया है। अच्छी बात यह है कि दोनों ही लोग दिल्ली बीजेपी के मीडिया विभाग से पहले से ही जुड़े रहे हैं।
महामंत्री पद के प्रबल दावेदार विधायक अभय वर्मा को पार्टी का प्रमुख प्रवक्ता बनाया गया है। उनके अलावा प्रवीण शंकर कपूर, हरीश खुराना, तजिंदर पाल सिंह बग्गा को प्रवक्ता के पद पर रिपीट किया गया है। जबकि पार्टी के विभिन्न पदों पर रहे सतीश गर्ग, प्रदेश मंत्री रहे विक्रम बिधूड़ी, अनुसूचित जाति मोर्चा के अध्यक्ष रहे मोहन लाल गिहारा, मीडिया विभाग से जुड़े रहे आदित्य झा को भी प्रवक्ता की जिम्मेदारी दी गई है।
पूर्वी दिल्ली से मिले पार्टी को तीनों महामंत्री, विरोध का मिला इनाम
दिल्ली बीजेपी की नई टीम की खास बात यह है कि पार्टी को तीनों महामंत्री पूर्वी दिल्ली इलाके से मिले हैं। इनमें से भी दो महामंत्री केवल शाहदरा जिला से हैं। बता दें कि हर्ष मलहोत्रा को पंजाबी बिरादरी से महामंत्री बनाया गया है वह नवीन शाहदरा जिला से आते हैं। जबकि कुलजीत सिंह चहल को महामंत्री के पद पर रिपीट किया गया है, वह शाहदरा जिला से आते हैं। तीसरे प्रदेश महामंत्री दिनेश प्रताप सिंह भी शाहदरा जिला से ही आते हैं। खास बात है कि वह मनोज तिवारी से पहले के अध्यक्ष सतीश उपाध्याय की टीम में पूर्वांचल मोर्चा के अध्यक्ष थे। दिनेश प्रताप सिंह के बारे में बताया जाता है कि वह पूर्वांचल मोर्चा के अध्यक्ष रहते हुए भी ज्यादा प्रभाव नहीं छोड़ पाए थे। उससे भी बड़ी बात है कि उन्हें पार्टी उम्मीदवार के विरोध का इनाम दिया गया है। बता दें कि 2020 में लक्ष्मी नगर सीट से अभय वर्मा को विधानसभा का टिकट दिये जाने पर दिनेश प्रताप सिंह ने पार्टी कार्यालय में जबरदस्त विरोध-प्रदर्शन किया था। उसके बावजूद प्रदेश नेतृत्व ने उन्हें प्रदेश महामंत्री के पद से नवाजा गया है।
कपिल मिश्रा रहे खाली हाथ
आम आदमी पार्टी से आए कपिल मिश्रा दिल्ली बीजेपी की नई टीम में जगह बनाने में कामयाब नहीं हो पाए। पूर्वांचल के कुछ पत्रकारों ने उनके पक्ष में महौल बनाने की कोशिश की थी कि वह मनोज तिवारी के बाद दिल्ली में पूर्वांचल का बड़ा चेहरा साबित हो सकते हैं। उत्तर पूर्वी दिल्ली के दंगों के बाद इन्हीं पत्रकारों ने कपिल मिश्रा को प्रदेश अध्यक्ष तक बनाने की दावेदारी पेश कर दी थी। लेकिन कपिल मिश्रा को उपाध्यक्ष, महामंत्री या मंत्री बनाना तो दूर पार्टी ने उन्हें प्रमुख संगठन में कोई दूसरा पद देना भी उचित नहीं समझा है।
बागियों को मिला बगावत का इनाम
दिल्ली बीजेपी में पहले ही विरोध जताया जा रहा था कि मंडल अध्यक्ष और जिला अध्यक्षों के चयन में हाल ही में विधानसभा चुनाव में पार्टी के उम्मीदवारों का विरोध करने वाले बागियों को महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां दी गई हैं। प्रदेश संगठन की नई टीम में भी ऐसे ही कुछ नेताओं को नेतृत्व की ओर से बड़ी जिम्मेदारियां दी गई हैं। प्रदेश महामंत्री बनाए गए दिनेश प्रताप सिंह के बारे में भी कुछ ऐसा ही कहा जा रहा है।
युवाओं को मिला मौका
नवनियुक्त प्रदेश उपाध्यक्ष और पूर्व मीडिया प्रभारी अशोक गोयल का कहना है कि प्रदेश बीजेपी की नई टीम में युवाओं को मौका दिया गया है। संगठन में ज्यादातर नये लोगों को महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां दी गई हैं। कुल मिलाकर संतुलित टीम बनाई गई है। नवनियुक्त मीडिया प्रभारी नवीन कुमार और सह मीडिया प्रभारी महेश वर्मा ने कहा कि नई टीम सबके साथ मिलकर अच्छा काम करेगी।