-प्रदेश बीजेपी ने पदाधिकारियों को दिया काम
-‘सीआर’ के आधार पर तय होगा चुनावी टिकट!
हीरेन्द्र सिंह राठौड़/ नई दिल्ली
तीनों नगर निगमों में आर्थिक तंगी की वजह से भारतीय जनता पार्टी की छवि लगातार खराब हो रही है। इससे छुटकारा पाने के लिए बीजेपी ने अब अपने पदाधिकारियों को काम पर लगा दिया है। हाल ही में नियुक्त किये गये प्रदेश पदाधिकारी अब पार्टी के पार्षदों की ‘सीआर’ यानी रिपोर्ट कार्ड तैयार करेंगे। सूत्रों का कहना है कि पार्टी ने अभी से आगामी नगर निगम चुनाव के लिए कमर कसना शुरू कर दिया है। इसी रिपोर्ट कार्ड के अधार पर पार्षदों के टिकट का भविष्य तय होगा।
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दिल्ली बीजेपी के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने बताया कि जिस तरह से नगर निगम में बीजेपी की छवि खराब हो रही है, उसका सामना करने के लिए विस्त्रित कार्ययोजना तैयार की गई है। पार्टी के पदाधिकारियों को विधानसभा क्षेत्र के आधार पर अपने पार्षदों की रिपोर्ट तैयार करने का काम सोंपा गया है। यह पदाधिकारी अपने निगम पार्षद द्वारा कराये जा रहे कामों की लेखा-जोखा तैयार करेंगे। इसके साथ ही क्षेत्र में फैली समस्याओं का लेखा-जोखा तैयार करेंगे। इसके साथ ही इलाके की सफाई, पार्कों की स्थिति, जल भराव, और नगर निगम से संबंधित दूसरे कामों पर ध्यान दिया जाएगा।
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रिपोर्ट के अनुसार पार्षदों को प्राथमिकता के आधार पर अपने-अपने इलाकों में कामों पर लगाया जाएगा। सूत्रों का यह भी कहना है कि पार्टी फिलहाल 2017 की तरह ज्यादातर पार्षदों के टिकट काटने पर विचार कर रही है। हालांकि यदि रोटेशन होता है तो भी ज्यादातर पार्षदों के टिकट कट जाएंगे। क्योंकि महिलाओं के लिए आरक्षित सीटें पुरूषों और सामान्य सीटें महिलाओं के खाते में जा सकती हैं। ऐसे में बीजेपी के सामने भी पहले से रणनीति बनाकर काम करने के अलावा दूसरा विकल्प नहीं है।
बीजेपी से जुड़े सूत्रों का यह भी कहना है कि जिन निगम पार्षदों का रिपोर्ट कार्ड अच्छा नहीं होगा, उनका टिकट कटना हर हाल में तय है। सूत्रों ने बताया कि पार्टी को ऐसी शिकायतें मिल रही हैं कि एक ओर नगर निगम आर्थिक तंगी से जुझ रहे हैं, दूसरी ओर कुछ निगम पार्षद अपने-अपने इलाकों में ‘‘मनमानी’’ करने पर जुटे हैं। हालांकि चुनाव होने में अभी करीब सवा साल का समय बाकी है। लेकिन जिस तरह से आम आदमी पार्टी हमलावर हुई है, उसके चलते बीजेपी भी रणनीति तैयार करने में जुटी है।
बैकफुट पर बीजेपी
आम आदमी पार्टी ने अपने तेज-तर्रार नेता दुर्गेश पाठक को तीनों नगर निगमों की जिम्मेदारी सोंपकर पहले ही बढ़त बना रखी है। दुर्गेश पाठक के नेतृत्व में नगर निगमों पर पूरी टीम काम कर रही है। जिस तरह से पाठक रोजाना नगर निगम से संबंधित मुद्दों को भुना रहे हैं, उससे तीनों निगमों की सत्ता में काबिज बीजेपी बैकफुट पर आ गई है। इसका असर यह देखने को मिला है कि प्रदेश नेतृत्व से लेकर तीनों नगर निगमों का नेतृत्व केवल नगर निगम के मुद्दों पर ही सिमट कर रह गया है। बीजेपी दिल्ली सरकार की नाकामियों पर फोकस करने में फिलहाल नाकाम साबित हो रही है।
पार्षदों-संगठन में तनातनी
प्रदेश भारतीय जनता पार्टी संगठन और निगम पार्षदों के बीच फिलहाल तनातनी का माहौल शुरू हो गया है। कुछ पार्षदों ने तीनों नगर निगमों में पदों की बंदरबांट का आरोप लगाया है। दक्षिणी दिल्ली और पूर्वी दिल्ली में खास तौर पर बीजेपी पार्षदों में ज्यादा रोष है। यहां के ज्यादातर पार्षद महापौर और स्थायी समिति अध्यक्षों को लेकर नाराज हैं। दक्षिणी दिल्ली और पूर्वी दिल्ली निगमों का कामकाज भी बेहद तेजी से पीछे को ओर जा रहा है।
जेपी ने बचा रखी इज्जत
दिल्ली बीजेपी के एक पूर्व पदाधिकारी का कहना है कि उत्तरी दिल्ली नगर निगम के हालात सबसे ज्यादा खराब हैं। लेकिन महापौर जय प्रकाश ने बहुत हद तक पार्टी की इज्जत को बचा रखा है। भारी आर्थिक तंगी और कर्मचारियों के कड़े विरोध के बावजूद वह बार-बार कर्मचारियों के बीच जाकर स्थिति को संभालने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि यदि यही स्थिति दक्षिणी दिल्ली या पूर्वी दिल्ली नगर निगम में होती तो स्थिति को संभालना बहुत मुश्किल होता। क्योंकि इन दोनों ही नगर निगमों का नेतृत्व बहुत ज्यादा कमजोर है।