दिल्ली BJP… गणेश परिक्रमा वालों को फिर मिलेगी एंट्री?

-दिल्ली बीजेपी में कई बार से अलग अलग पदों पर कब्जा जमाए बैठे नेता
-अरूण सिंह और विजया राहटकर को सिफारिशों से पार पाना होगा मुश्किल

हीरेन्द्र सिंह राठौड़/ नई दिल्ली
भारतीय जनता पार्टी ने पार्टी के राष्ट्रीय महामंत्री अरूण सिंह और महिला मोर्चा अध्यक्ष विजया राहटकर को दिल्ली बीजेपी के गठन की जिम्मेदारी तो दे दी है। लेकिन उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती कई बार से अलग अलग पदों पर कब्जा जमाए बैठे नेताओं से पार पाने की होगी। सबसे बड़ा सवाल तो यही उठ रहा है कि अरूण सिंह दिल्ली से हैं और उनके सियासी हित दिल्ली की राजनीति से जुड़े हुए हैं। ऐसे में क्या वह प्रदेश का गठन निष्पक्ष ढंग से कर पाएंगे?
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दिल्ली बीजेपी में गणेश परिक्रमा करने वालों को प्रदेश पदाधिकारियों और कार्यकारिणी में स्थान मिलता रहा है। यही कारण है कि 1998 में दिल्ली की सत्ता गंवाने के बाद पार्टी लौटकर सत्ता में नहीं आ पाई है। अगले दो साल के अंदर दिल्ली नगर निगम चुनाव होने हैं। लेकिन तीनों नगर निगामें की सत्ता पर काबिज बीजेपी की स्थिति खराब से खराब होती जा रही है। अधिकारियों की मनमानी और निगम के नेताओं की लापरवाही से निगमों का कामकाज लगातार पिछड़ता जा रहा है। तीनों निगमों से लगातार भ्रष्टाचार बढ़ने की शिकायतें आ रही हैं। ऐसे में यही समय है कि पार्टी कुछ कठोर निर्णय लेते हुए कुछ नए चेहरों को संगठन की जिम्मेदारी सोंपे।
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बीजेपी के इतिहास में पहली बार पार्टी ने दिल्ली के नेताओं पर अविश्वास जताते हुए दो केंद्रीय नेताओं को प्रदेश की टीम के गठन की जिम्मेदारी सोंपी है। अब प्रदेश अध्यक्ष आदेश गुप्ता के बजाय राष्ट्रीय महामंत्री अरूण सिंह और महिला मोर्चा की राष्ट्रीय अध्यक्ष विजया राहटकर प्रदेश की टीम का गठन करेंगे। बीजेपी से जुड़े सूत्र बताते हैं कि दोनों ही नेता लोकसभा और विधानसभा चुनावों के मौके पर अपना पूरा समय दिल्ली में बिताते रहे हैं। लेकिन अब पार्टी पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं के मन में यह सवाल उठने लगे हैं कि क्या वास्तव में अब पार्टी में दूसरी पंक्ति में खड़े नेताओं को भी जिम्मेदारी संभालने का मौका मिलेगा?
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पूर्व अध्यक्ष मनोज तिवारी की टीम में कई ऐसे नेता प्रमुख पदों पर थे जो उनसे पहले के अध्यक्ष सतीश उपाध्याय के समय भी प्रदेश में ही कोई दूसरा पद संभाल रहे थे। कई नेता तो ऐसे हैं कि सतीश उपाध्याय से पहले के अध्यक्षों विजय गोयल व डॉ हर्षवर्धन के समय में भी प्रदेश इकाई में ही किसी न किसी पद पर विराजमान थे। ऐसे में अध्यक्ष बदलते रहे लेकिन दिल्ली प्रदेश बीजेपी में बाकी चेहरे वही रहे। जिसकी वजह से पार्टी की दूसरी पंक्ति में खड़े नेताओं ने काम करना ही बंद कर दिया है।
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प्रदेश बीजेपी में कई नेता तो ऐसे हैं जिनके पास केवल पद तो है लेकिन फील्ड में उनकी कोई पहचान ही नहीं है। आप से आई एक महिला नेता प्रदेश बीजेपी में बड़े पद पर हैं लेकिन कार्यकर्ता के रूप में पार्टी के लिए कोई योगदान नहीं है। पार्टी में यह सवाल भी उठने लगे हैं कि पार्टी के तत्कालीन अध्यक्ष अमित शाह ने कहा था कि एक व्यक्ति के पास एक ही पद रहेगा।
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अमित शाह ने तब कहा था कि जो व्यक्ति या उसका नजदीकी रिश्तेदार चुनाव लड़ेगा उसे पार्टी में कोई पद नहीं मिलेगा। एक व्यक्ति एक पद की नीति रहेगी। लेकिन करीब आधा दर्जन ऐसे नेता हैं जो या तो खुद या फिर उनकी पत्नी या पति कोई न कोई चुनाव लड़ चुके हैं, या पार्षद हैं। किसी की पत्नी पार्षद है, या फिर किसी का पति चुनाव हार चुका है। इसके बावजूद प्रदेश या जिलों में यह लोग प्रमुख पदों पर विराजमान हैं।
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एक जिला अध्यक्ष सुमन शर्मा तो पिछले कई बार से जिला अध्यक्ष चले आ रहे हैं। इसी तरह पवन मोंगा, गुंजन, मीनाक्षी सहित ऐसे आधा दर्जन से ज्यादा नेता हैं जिन्हें केवल सिफारिश के दम पर प्रदेश पदाधिकारियों में स्थान मिला हुआ है। पार्टी उपाध्यक्षों में भी कई नेता केवल सिफारिश के दम पर अपना नाम चढ़वाए हुए हैं। ऐसे में इन सिफारिशी नेताओं को गठन के समय संगठन से दूर रख पाना अरूण सिंह और विजया राहटकर के लिए मुश्किल होगा।
मोदी, शाह और नड्डा के घर सीधी पहुंच
दिल्ली प्रदेश बीजेपी में ऐेसे कई पदाधिकारी हैं जिनकी पहुंच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह और पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के घर तक है। इसी पहुंच के दम पर यह नेता पहले भी पार्टी संगठन में किसी न किसी पद पर काबिज रहे हैं। अब टीम के गठन के लिए तय किए गए दोनों नेताओं की क्षमता का पता तभी चलेगा जब यह लोग इन नेताओं को संगठन के पदों से दूर रख पाएंगे।
संगठन महामंत्री का दखल
आम तौर पर प्रदेश की टीम के गठन में संगठन महामंत्री का दखल चलता रहा है। लेकिन अब बीजेपी केंद्रीय नेतृत्व की ओर से अरूण सिंह और विजया राहटकर की नियुक्ति के बाद कहा जा रहा है कि प्रदेश प्रभारी श्याम जाजू और संगठन महामंत्री सिद्धार्थन को टीम के गठन से दूर रखा जाएगा। लेकिन सबसे बड़ा सवाल यही खड़ा होता है कि फिर किसकी सहमति और सिफारिश पर टीम का गठन किया जाएगा?
अरूण सिंह से जुड़े दिल्ली के कई नेता
बीजेपी संगठन में पार्टी के राष्ट्रीय महामंत्री और राज्यसभा सांसद अरूण सिंह की महत्वपूर्ण भूमिका है। वह लंबे समय से दिल्ली में रह रहे हैं। अतः दिल्ली बीजेपी के कई नेताओं के साथ उनका अच्छा तालमेल है। ऐसे में उनके लिए दिल्ली के कई नेताओं को टीम के गठन से दूर रख पाना बेहद मुश्किल होगा।