दिल्लीः 101 पूर्व उम्मीदवारों के चुनाव लड़ने पर 6 साल की रोक!

-दिल्ली राज्य चुनाव आयोग ने जारी की लेखा-जोखा नहीं जमा कराने वाले उम्मीदवारों की सूची
-चुनाव के परिणामों की घोषणा के 10 दिन के अंदर रिटर्निंग ऑफिसर को जमा कराना था हिसाब

हीरेन्द्र सिंह राठौड़/ नई दिल्ली
साल 2017 का नगर निगम चुनाव लड़ चुके 101 उम्मीदवारों के ऊपर आगे चुनाव नहीं लड़ पाने की बंदिश की तलवार लटक गई है। कारण है कि उन्होंने अपने चुनाव लड़ने का लेखा-जोखा निर्वाचन आयोग को नहीं दिया था। अब आने वाले नगर निगम चुनाव में यह लोग प्रत्याशी के रूप में भागीदारी नहीं कर सकेंगे। दिल्ली राज्य चुनावा आयोग ने ऐसे 101 लोगों की सूची अपनी वेबसाइट पर जारी कर दी है।

बता दें कि उत्तरी दिल्ली नगर निगम, दक्षिणी दिल्ली नगर निगम और पूर्वी दिल्ली नगर निगम के चुनाव 23 अप्रैल 2017 को संपन्न हुए थे। 26 अप्रैल 2017 को इस चुनाव के नतीजे घोषित किये गए थे। दिल्ली नगर निगम (निगम पार्षद चुनाव) नियमावली-2012 की धारा 104 के तहत नतीजों की घोषणा होने के 10 दिन के अंदर हर उम्मीदवार को अपने चुनाव पर हुए खर्चों का पूर्ण विवरण अपने रिटर्निंग ऑफिसर के यहां जमा कराना था।

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लेकिन तीनों नगर निगमों में अलग अलग चुनाव लड़ने वाले 101 उम्मीदवारों ने अपने चुनाव का लेखा-जोखा निर्वाचन आयोग को उपलब्ध ही नहीं कराया। ऐसे में 8 जनवरी 2021 को दिल्ली राज्य चुनाव आयोग ने एक बार फिर ऐसे पूर्व प्रत्याशियों की सूची जारी करते हुए उनसे विलंब के कारणों सहित अपना लेखा-जोखा जमा कराने की अपील की थी। लेकिन बताया जा रहा है कि इनमें से किसी ने भी अपने चुनाव खर्च का हिसाब जमा नहीं कराया है।

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खास बात है कि इनमें से सभी या तो चुनाव आयोग मे पंजीकृत अज्ञात दलों के उम्मीदवार हैं, या फिर निर्दलीय चुनाव लड़ने वाले लोग हैं। हालांकि अब दिल्ली राज्य चुनाव आयोग ने ऐसे सभी पूर्वी उम्मीदवारों पर दिल्ली नगर निगम (निगम पार्षद चुनाव) नियमावली-2012 की धारा 110 के प्रावधानों के तहत अगले 6 साल तक कोई भी चुनाव लड़ पाने पर रोक लगाने की शिफारिश कर दी है।
बीजेपी को मिली थीं 272 में से 181 सीटें
साल 2017 में उत्तरी दिल्ली, दक्षिणी दिल्ली और पूर्वी दिल्ली नगर निगम के चुनाव में 272 में से 181 सीटें जीती थीं। जबकि बीजेपी को 2012 के निगम चुनाव में 138 सीटों पर ही जीत हासिल हुई थी। आम आदमी पार्टी 2017 के इस चुनाव में पहली बार मैदान में उतरी थी और उसे तीनों निगमों में कुल 49 सीट पर जीत हासिल हुई थी। जबकि कांग्रेस को तीनों नगर निगमों में महज 31 सीटों पर ही संतोष करना पड़ा था। 2012 के नगर निगम चुनाव के मुकाबले बीजेपी को तीनों नगर निगमों में 43 सीट का फायदा हुआ था। जबिक 2012 के मुकाबले में कांग्रेस को अपनी 46 सीट गंवानी पड़ी थीं।
बीजेपी-आप में रहा 26 लाख व 19 लाख का अंतर
वर्ष 2017 के नगर निगम चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने तीनों नगर निगमों में 37 फीसदी यानी कि कुल 25 लाख, 75 हजार 116 वोट हासिल किये थे। आम आदमी पार्टी पहली बार इस चुनाव में उतरी थी और उसने 26 फीसदी यानी कि 18 लाख, 71 हजार, 964 वोट हासिल किये थे। कांग्रेस को 15 लाख, 4 हजार, 964 वोट प्राप्त हुए थे और उसका वोट शेयर 21 फीसदी रहा था। लेकिन 2012 की तुलना में कांग्रेस की सीटें 77 से घटकर साल 2017 में 31 ही रह गई थीं।