-गुरूद्वारा चुनाव में लगाये गये नगर निगम के डीबीसी कर्मचारी
-अनुपस्थित रहने पर दी जा रही अनुशासनात्मक कार्रवाई की धमकी
राजधानी के तीनों नगर निगमों में सबसे दयनीय स्थिति डीबीसी कर्मचारियों की है। दो दशक बीत जाने के बावजूद इन्हें अभी तक ना तो कोई पदनाम दिया गया है और नाही इन्हें पक्का किया गया है। इसके बावजूद इन्हें हर वह काम सोंपा जाता है, जिसे दूसरे निगम कर्मचारी नहीं करना चाहते। अब यह डीबीसी कर्मचारी गुरूद्वारा चुनाव की कमान संभालने जा रहे हैं। आश्चर्य की बात तो यह है कि यह कर्मचारी ऐसे समय में दूसरी जिम्मेदारी संभालने जा रहे हैं, जब इनके मूल कार्य की जिम्मेदारी चरम पर है।
बता दें कि डीबीसी (डोमेस्टिक ब्रीडिंग चेकर्स) कर्मचारियों का मूल कार्य घर-घर जाकर मच्छरों के प्रजनन की जांच करना और इसकी रोकथाम करना है। यह वही मौसम है जब मच्छरों का प्रजनन सबसे अधिक होता है। इसके बावजूद तीनों नगर निगमों ने अपने डीबीसी कर्मचारियों को गुरूद्वारा चुनाव की ड्यूटी पर लगा दिया है। दिल्ली सिख गुरूद्वारा
इन कर्मचारियों चुनावी ड्यूटी ऐसे समय में लगाई गई है, जबकि ज्यादातर को दो से तीन महीने का वेतन तक नहीं दिया गया है। हाल ही में डीबीसी कर्मचारियों की एसोसिएशन की ओर से पूर्वी दिल्ली नगर निगम के आला अधिकारियों और मेयर को इस संबंध में एक ज्ञापन भी सोंपा गया था। पूर्वी दिल्ली के आयुक्त ने तो इन कर्मचारियों के प्रतिनिधियों से मिलने तक से मना कर दिया था। लेकिन इन्हीं कर्मचारियों की ड्यूटी नगर निगम से बाहर जाकर लगा दी है।
बता दें कि कोरोना महामारी और लॉकडाउन के दौरान तीनों नगर निगमों ने डीबीसी कर्मचारियों को फ्रंटलाइन वर्कर्स की ड्यूटी पर लगाया था। सैनेटाइजेशन से लेकर वह सभी काम कराये गये थे जो किसी भी प्रशिक्षित वर्कर द्वारा किये जाते हैं। लेकिन आश्चर्य की बात यह है कि कोई पदनाम और पहचान नहीं
एंटी मलेरिया कर्मचारी यूनियन के अध्यक्ष देवानंद शर्मा ने बताया कि डीबीसी कर्मचारियों को उत्तरी, दक्षिणी और पूर्वी दिल्ली नगर निगम के अधिकारियों और नेताओं ने कई बार पक्का करने के आश्वासन दिये हैं। लेकिन इस संबंध में कोई ठोस काम नहीं किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि डीबीसी कर्मचारियों को उनके मूल काम से हटाकर कभी भी दूसरे कामों पर लगा दिया जाता है। जब उनके हित की बात आती है तो उनके साथ सौतेला व्यवहार किया जाता है। अब भी ऐसा ही किया जा रहा है।