-एस्टेट ऑफिसर ने नहीं की सुनवाई… खाली करने का नोटिस जारी
-दो करोड़ चुकाने के बावजूद दर-दर भटकने को मजबूर लाइसेंसी
-करोलबाग के सरस्वती मार्ग स्थित एमसीडी मार्केट का मामला
हीरेन्द्र सिंह राठौड़/ नई दिल्ली
उत्तरी दिल्ली नगर निगम में भ्रष्टाचार चरम पर है। आए दिन निगम अधिकारियों और बिल्डर माफिया के गठजोड़ के खुलासे हो रहे हैं। ताजा मामला करोलबाग के सरस्वती मार्ग पर स्थित एमसीडी मार्केट का है। यह वही मार्केट है, जिसके दुकानदारों को पिछले दिनों नगर निगम की ओर से खाली करने के नोटिस जारी किये गये थे। मामला कोर्ट तक भी पहुंचा था, लेकिन बाद में भारतीय जनता पार्टी के नेताओं के साथ दुकानदारों की बैठक होने के बाद मामले को रफा-दफा कर दिया गया था।
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आश्चर्य की बात है कि खुद निगम अधिकारी नगर निगम के राजस्व के रास्ते में रोड़े अटका रहे हैं। निगम में फैले भ्रष्टाचार का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पहले निगम अधिकारियों ने इस मार्केट में अंदर और बाहर अवैध कब्जे करवाये। इसके पश्चात जब लाइसेंसी ने अधिकारियों का दरवाजा खटखटाया तो उन्होंने लाइसेसी को ही ऑफिस खाली करने का नोटिस थमा दिया। लाइसेंसी सुरेंद्र ओबरॉय का कहना है कि उन्हें उनके कार्यालय के मामले में एस्टेट ऑफिसर संगीता बंसल की ओर से सुनवाई के लिए 13 सितंबर 2021 की तारीख दी गई थी। लेकिन इससे पहले ही बिना सुनवाई किये उन्हें 31 अगस्त को आफिस खाली करने का नोटिस थमा दिया।
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करोलबाग जोन के करोलबाग में स्थित इस पांच मंजिला मार्केट की हालत बेहद जर्जर हो चुकी है। इस मार्केट में कुल 66 दुकानें हैं। इनके अलावा प्रत्येक तल पर 5 के हिसाब से (कुल 20) ऑफिस यूनिट हैं। लेकिन इनमें से ऑफिस यूनिट-301 को शुरूआत में ही लीज पर दे दिया गया था। इसके पश्चात ऑफिस यूनिट- 201 को मासिक लाइसेंस शुल्क के आधार पर दिया गया था। ग्राउंड फ्लोर को छोड़कर मार्केट के पूरे चार तल खाली पड़े हैं और खंडहर में तब्दील हो गये हैं। नगर निगम ने बार बार इसे लीज पर देने की कोशिश की, लेकिन कोई नहीं आया, इसके बावजूद निगम अधिकारी उन लोगों को भी यहां से बेदखल करना चाहते हैं, जो ईमानदारी से लाइसेंस फीस चुकाते रहे हैं।
दो दशक से बंद है मार्केट का एक रास्ता
मार्केट के चारों ओर करीब 400 अवैध पटरी