नॉर्थ डीएमसी में चरम पर भ्रष्टाचारः एस्टेट ऑफिसर का कारनामा… 66 दुकानों से नहीं कोई कमाई, एक लाइसेंसी ने 2 करोड़ चुकाये… फिर भी पीपी एक्ट लगाया!

-एस्टेट ऑफिसर ने नहीं की सुनवाई… खाली करने का नोटिस जारी
-दो करोड़ चुकाने के बावजूद दर-दर भटकने को मजबूर लाइसेंसी
-करोलबाग के सरस्वती मार्ग स्थित एमसीडी मार्केट का मामला

हीरेन्द्र सिंह राठौड़/ नई दिल्ली
उत्तरी दिल्ली नगर निगम में भ्रष्टाचार चरम पर है। आए दिन निगम अधिकारियों और बिल्डर माफिया के गठजोड़ के खुलासे हो रहे हैं। ताजा मामला करोलबाग के सरस्वती मार्ग पर स्थित एमसीडी मार्केट का है। यह वही मार्केट है, जिसके दुकानदारों को पिछले दिनों नगर निगम की ओर से खाली करने के नोटिस जारी किये गये थे। मामला कोर्ट तक भी पहुंचा था, लेकिन बाद में भारतीय जनता पार्टी के नेताओं के साथ दुकानदारों की बैठक होने के बाद मामले को रफा-दफा कर दिया गया था।

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एक ओर नगर निगम के अधिकारी और सत्ताधारी दल के नेता निगम की संपत्तियों को बेचने में जुटे हैं। दूसरी ओर निगम की पुरानी संपत्तियों से आमदनी अर्जित करने में इनकी कोई दिलचस्पी नहीं है। एक लाइसेंसी के मामले में तो निगम अधिकारियों ने सारी हदें पार कर दी हैं। एमसीडी मार्केट के पहली मंजिल पर स्थित ऑफिस यूनिट संख्याः 201 के लाइसेंसी सुरेंद्र ओबरॉय ने पिछले 20 साल में 1 करोड़ 92 लाख रूपये लाइसेंस फीस चुकायी है। जबकि दूसरे सभी लाइसेंस धारकों ने मिलकर पिछले 40 वर्षों में महज नगर निगम को 1 करोड़ की लाइसेंस फीस दी है। फिर भी ऑफिस यूनिटः 201 के लाइसेंसी के ऊपर पब्लिक प्रॉपर्टी एक्ट (पीपी एक्ट) के तहत कार्रवाई शुरू कर दी है।

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आश्चर्य की बात है कि खुद निगम अधिकारी नगर निगम के राजस्व के रास्ते में रोड़े अटका रहे हैं। निगम में फैले भ्रष्टाचार का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पहले निगम अधिकारियों ने इस मार्केट में अंदर और बाहर अवैध कब्जे करवाये। इसके पश्चात जब लाइसेंसी ने अधिकारियों का दरवाजा खटखटाया तो उन्होंने लाइसेसी को ही ऑफिस खाली करने का नोटिस थमा दिया। लाइसेंसी सुरेंद्र ओबरॉय का कहना है कि उन्हें उनके कार्यालय के मामले में एस्टेट ऑफिसर संगीता बंसल की ओर से सुनवाई के लिए 13 सितंबर 2021 की तारीख दी गई थी। लेकिन इससे पहले ही बिना सुनवाई किये उन्हें 31 अगस्त को आफिस खाली करने का नोटिस थमा दिया।

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करोलबाग जोन के करोलबाग में स्थित इस पांच मंजिला मार्केट की हालत बेहद जर्जर हो चुकी है। इस मार्केट में कुल 66 दुकानें हैं। इनके अलावा प्रत्येक तल पर 5 के हिसाब से (कुल 20) ऑफिस यूनिट हैं। लेकिन इनमें से ऑफिस यूनिट-301 को शुरूआत में ही लीज पर दे दिया गया था। इसके पश्चात ऑफिस यूनिट- 201 को मासिक लाइसेंस शुल्क के आधार पर दिया गया था। ग्राउंड फ्लोर को छोड़कर मार्केट के पूरे चार तल खाली पड़े हैं और खंडहर में तब्दील हो गये हैं। नगर निगम ने बार बार इसे लीज पर देने की कोशिश की, लेकिन कोई नहीं आया, इसके बावजूद निगम अधिकारी उन लोगों को भी यहां से बेदखल करना चाहते हैं, जो ईमानदारी से लाइसेंस फीस चुकाते रहे हैं।
दो दशक से बंद है मार्केट का एक रास्ता
करोलबाग स्थित एमसीडी मार्केट में आने-जाने के लिए नगर निगम ने दो रास्ते बनाये थे। इनमें से एक रास्ता बीते दो दशकों से बंद है। निगम अधिकारियों के संरक्षण में अवैध पटरी माफिया ने मार्केट के एक रास्ते पर कब्जा कर लिया है। यह दरवाजा पूरी तरह से बंद कर दिया गया है। यहां से इस मार्केट में ना तो कोई जा सकता है और ना ही आ सकता है। इस मार्केट की लिफ्ट तो 20 वर्षों से भी ज्यादा समय से खराब पड़ी है। इसकी वजह से मार्केट के अंदर बैठने वाले दुकानदारों और खास तौर पर ऊपर की मंजिलों पर ऑफिस खोले बैठे लोगों तक पहुंचना बेहद मुश्किल है। लेकिन निगम अधिकारियों ने अवैध अतिक्रमण हटाने के बजाय अब लाइसेंस पर दिये गये कार्यालयों को भी खाली कराना शुरू कर दिया है।
मार्केट के चारों ओर करीब 400 अवैध पटरी
उत्तरी दिल्ली नगर निगम के अधिकारियों के भ्रष्टाचार का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि इस एमसीडी मार्केट के चारों ओर करीब 400 अवैघ पटरियां लगती हैं। अब यह पटरियां स्थायी दुकानों में बदल गई हैं। लेकिन निगम अधिकारी इन्हें हाटने और इस मार्केट साफ सुथरा करवाने के बजाय यहां बैठे दुकानदारों को ही बेदखल करने में जुटे हैं। खाने-पीने की दुकानें यहां स्थायी ढाबों में बदल गई हैं। एस्टेट ऑफिसर, निगम आयुक्त से लेकर जोन के डिप्टी कमिश्नर तक ने इन्हें हटाने के लिए कोई ठोस कार्रवाई करने के लिए शायद कभी सोचा ही नहीं।