CONGRESS: नहीं थम रहा बवाल… अध्यक्ष के चुनाव पर खुला मोर्चा

-गुलाम नबी आजाद ने खोला मोर्चा, कहाः 50 साल तक विपक्ष में बैठी रहेगी कांग्रेस
-चुनाव हुआ तो संगठन से बाहर हो जाएंगे पत्र का विरोध करने वालेः आजाद
-कांग्रेस पार्टी में राहुल गांधी के खिलाफ तेज होते जा रहे विरोध के स्वर

हीरेन्द्र सिंह राठौड़/ नई दिल्ली
‘जी-23’ की चिट्ठी के बाद कांग्रेस में शुरू हुआ बवाल थमने का नाम नहीं ले रहा है। पार्टी में पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी के खिलाफ विरोध के स्वर तेज होते जा रहे हैं। भारी उठापटक के बीच कांग्रेस अध्यक्ष को पत्र लिखने वाले नेताओं ने कड़े तेवर अपनाते हुए, आगे भी पार्टी की चिंताओं को लकर आपस मिलते रहने और मुद्दे उठाते रहने का ऐलान किया है। दूसरी ओर पूर्व केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल भी पार्टी नेतृत्व पर लगातार हमलावर हैं।

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वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद गुलाम नबी आजाद ने अध्यक्ष का चुनाव कराऐ जाने की मांग को लेकर खुलकर मोर्चा खोल दिया है। उन्होंने एक बार फिर कांग्रेस को कड़ा संदेश दिया है। उन्होंने कहा कि यही चलता रहा तो कांग्रेस अगले 50 साल तक सत्ता से बाहर बैठी रहेगी। दूसरी ओर राहुल ब्रिगेड में शामिल नेताओं ने पार्टी अध्यक्ष को पत्र लिखने वाले नेताओं के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।
सोनिया गांधी को लिखे असहमति पत्र पर हस्ताक्षर करने के कारण पार्टी में अलग-थलग किए जाने के चार दिन बाद उन्होंने पार्टी नेतृत्व को एक और संदेश दिया है। गुलाम नबी आजाद ने कहा कि जो अधिकारी या राज्य इकाई के अध्यक्ष, जिला अध्यक्ष हमारे प्रस्ताव का विरोध कर रहे हैं, उन्हें मालूम है कि यदि संगठन में चुनाव होते हैं तो वह कहीं नहीं ठहर पाएंगे। जो कोई भी वास्तव में कांग्रेस का हित चाहता है, वह पत्र का स्वागत करेगा।

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आजाद ने जोर देकर कहा कि यदि उन्होंने कहा कि यदि चुने हुए लोग कांग्रेस का नेतृत्व करेंगे तो पार्टी हित में होगा। नहीं तो कांग्रेस अगले 50 साल तक विपक्ष में बैठी रहेगी। आजाद ने सोनिया गांधी को लिखे पत्र में सुझाव दिया है कि राज्य कांग्रेस प्रमुखों, जिला अध्यक्षों, ब्लॉक अध्यक्षों और कांग्रेस कार्य समिति का चुनाव कराया जाना चाहिए। चुनाव का यह लाभ होता है कि जब आप चुनाव लड़ते हैं, तो कम से कम आपकी पार्टी आपके साथ खड़ी होती है।

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गुलाम नबी आजाद ने तर्क दिया है कि जब आप चुनाव लड़ते हैं तो कम से कम 51 फीसद आपके साथ होते हैं और आप पार्टी के भीतर केवल 2 से 3 लोगों के खिलाफ चुनाव लड़ते हैं। एक व्यक्ति जिसे 51 फीसद वोट मिलेंगे और दूसरे को 10 या 15 फीसद वोट मिलेंगे। जो व्यक्ति जीतता है और अध्यक्ष पद का प्रभार ग्रहण करता है, इसका मतलब है कि 51 फीसदी (पार्टी के ज्यादातर) लोग उसके साथ हैं। उन्होंने कहा कि अभी अध्यक्ष बनने वाले लोगों को एक प्रतिशत समर्थन भी नहीं मिल सकता है। यदि सीडब्ल्यूसी सदस्य चुने जाते हैं, तो उन्हें हटाया नहीं जा सकता है। इसमें समस्या कहां है?
दूसरी ओर पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने नाम नहीं छापने की शर्त पर कहा कि लगातार दो आम चुनावों में हार के बाद राहुल गांधी पार्टी को फिर से खड़ा करने के लिए सबसे उपयुक्त शख्स नहीं हैं। हाल के महीनों में राहुल गांधी को फिर से कांग्रेस की कमान सौंपने की मांग तेजी से उठ रही है। कई कांग्रेस नेता राहुल गांधी को दोबारा पार्टी अध्यक्ष बनाने की वकालत कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि हम यह कहने की स्थिति में नहीं हैं कि राहुल गांधी पार्टी का नेतृत्व कर पाएंगे और 2024 में 400 सीटें हासिल करने में हमारी मदद करेंगे। हमें इस बात का एहसास होना चाहिए कि 2014 और 2019 के लोकसभा चुनावों में पार्टी को जरूरत की मुताबिक सीटें नहीं मिल पाई हैं। गौरतलब है कि 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद राहुल गांधी ने कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद सोनिया गांधी को अंतरिम अध्यक्ष बनाया गया था।
23 कांग्रेस नेताओ उठाई थी अध्यक्ष का चुनाव कराने की मांग
सांसद और पूर्व मंत्रियों सहित 23 कांग्रेस नेताओं द्वारा अंतरिम पार्टी प्रमुख सोनिया गांधी को लिखे पत्र में व्यापक सुधार, निष्पक्ष आंतरिक चुनाव, सामूहिक निर्णय लेने और पूर्णकालिक अध्यक्ष की मांग उठाई थी। हालांकि इस पत्र को राहुल गांधी के ऊपर एक हमले के रूप में देखा गया है। जिन्होंने पिछले साल कांग्रेस की चुनावी हार के बाद अध्यक्ष पद छोड़ दिया था। बता दें कि पिछले कुछ महीनों में राहुल गांधी खेमे और पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के खेमे के बीच खाई नजर आई है।
जी-23 के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि नागपुर से लेकर श‍मिला तक (देश के आधे उत्तरी हिस्से) में पार्टी के 16 सांसद हैं, जिनमें से भी 8 अकेले पंजाब से हैं। हमें मान लेना चाहिए कि हम भारत में हैं और वास्तविकता कुछ और है। अगर कोई बैठक होती है तो मैं इस मुद्दे पर अपने विचार जरूर रखूंगा। उन्होंने कहा कि सोनिया गांधी निष्पक्ष रूप से बात रखती है और वह जरूर इन मुद्दों पर गौर करेंगी।
चाटुकारों के विरोध के बावजूद जारी रहेगा अभियान
आने वाले दिनों में कांग्रेस का भीतरी घमासान और बढ़ सकता है। पत्र लिखने वाले नेताओं का कहना है कि जो लोग पत्र का विरोध कर रहे हैं, वह चाटुकार हैं। वह कांग्रेस का भला नहीं चाहते। इनमें से एक नेता का कहना है कि वह मुलाकात करते रहेंगे और अपनी चिंताओं पर चर्चा करना जारी रखेंगे। साथ ही “वफादरों और चाटुकारों“ द्वारा अपने ऊपर हमले होने के बावजूद अपने मुद्दे उठाते रहेंगे।
कश्मीर कांग्रेस में पड़ी दरार
कांग्रेस में केंद्रीय स्तर चल रही भारी उठापटक के बीच अब कश्मीर से भी कांग्रेस संगठन में बड़ी दरार की खबर है। यहां के नेताओं ने प्रदेश अध्यक्ष के खिलाफ सोनिया गांधी को पत्र लिखा है। सूत्रों का कहना है कि पार्टी के कई नेताओं ने कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गुलाम अहमद मीर के खिलाफ कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को पत्र लिखा है। जिसमें उन्हें पद से हटाने की मांग की गई है। बताया जा रहा है कि ये पत्र करीब एक हफ्ते पहले भेजा गया था जिस पर आठ से 10 वरिष्ठ कांग्रेसी नेताओं के हस्ताक्षर हैं। सूत्रों का यह भी कहना है कि इसी मुद्दे को लेकर पिछले दो महीनों में इन नेताओं द्वारा एक नहीं बल्कि 2-3 पत्र भेजे गए हैं।
जल्द फैसला ना आने पर शुरू होगा इस्तीफों का दौर
एक वरिष्ठ कांग्रेसी नेता के मुताबिक मीर ने जमीनी स्तर पर काम नहीं किया है और अन्य नेता पार्टी को बनाए रखने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं। इसलिए समय की मांग है कि पार्टी अध्यक्ष को बदला जाए ताकि पार्टी को बचाया जा सके। उन्होंने आगे कहा कि मीर को जल्द नहीं बदला गया तो पार्टी के कुछ नेता पार्टी छोड़ने पर भी विचार कर रहे हैं। यहां जल्दी इस्तीफों का दौर शुरू हो सकता है।