-बीजेपी से मिलीभगत के आरोप पर वरिष्ठ कांग्रेसियों में नाराजगी
-अध्यक्ष बनी रहेंगी सोनिया, छह माह में होगी नई ताजपोशी
एसएस ब्यूरो/ नई दिल्ली
सोमवार को नई दिल्ली में हुई कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में राहुल ब्रिगेड और वरिष्ठ कांग्रसी आमने-सामने आ गए। पूर्णकालिक अध्यक्ष के चुनाव की चिट्ठी के मुद्दे पर पहले तो राहुल गांधी पहले तो बेहद तीखे लहजे में बोले, लेकिन कई नेताओं की इस्तीफे की धमकी के बाद उनके तेवर नरम पड़ गए। एक ओर गुलाम नबी आजाद ने अपना इस्तीफा देने की बात कह दी तो दूसरी ओर पूर्व केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल ने बीजेपी से मिलीभगत के आरोप को ट्वीट कर दिया।
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हालांकि बाद में कपिल सिब्बल ने अपना ट्वीट यह कहते हुए डिलीट कर दिया कि ‘‘राहुल गांधी ने खुद कहा है कि उन्होंने कभी अपने मुंह से कांग्रेसी नेताओं की बीजेपी से मिलीभगत की बात नहीं कही।’’ बैठक में सोनिया गांधी ने अंतरिम अध्यक्ष पद से इस्तीफे की पेशकश की। साथ में उस चिट्ठी का जवाब भी दिया जिसमें नेतृत्व पर सवाल उठाए गए थे। इसके बाद पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और पूर्व रक्षा मंत्री एके एंटनी ने भी चिट्ठी लिखने वालों की आलोचना की।
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इसके बाद राहुल गांधी ने बेहद तीखे लहजे में इसकी टाइमिंग पर सवाल खड़े किए। उन्होंने यहां तक कह दिया कि चिट्ठी बीजेपी के साथ मिलीभगत कर लिखी गई है। इसपर वरिष्ठ कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद उखड़ गए। उन्होंने कहा कि अगर मिलीभगत साबित हो गई तो वे इस्तीफा दे देंगे। दूसरी ओर राहुल गांधी के इस आरोप से नाराज वरिष्ठ कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने अपने ट्विटर बायो से कांग्रेस शब्द हटा दिया। उन्होंने राहुल के बीजेपी मिलीभगत वाले आरोप पर तीखे शब्दों में ट्वीट भी किया था जिसे बाद में डिलीट कर दिया।
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बैठक में पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के तेवर खासे तीखे रहे। राहुल गांधी ने कहा कि सोनिया गांधी के अस्पताल में भर्ती होने के समय ही पार्टी नेतृत्व को लेकर पत्र क्यों भेजा गया था? उन्होंने मीटिंग में कहा कि ’पार्टी नेतृत्व के बारे में सोनिया गांधी को पत्र उस समय लिखा गया था जब राजस्थान में कांग्रेस सरकार संकट का सामना कर रही थी। पत्र में जो लिखा गया था उस पर चर्चा करने का सही स्थान सीडब्ल्यूसी की बैठक है, मीडिया नहीं।’
राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि यह पत्र बीजेपी के साथ मिलीभगत में लिखा गया है। दूसरी ओर पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी ने भी गुलाम नबी आजाद से नाराजगी जाहिर की है। उन्होंने राहुल के सुर में सुर मिलाया। दूसरी ओर पूर्व पीएम मनमोहन सिंह और वरिष्ठ कांग्रेसी एके एंटनी ने चिट्ठी लिखने के कदम की आलोचना करते हुए कहा कि सोनिया गांधी को नया पार्टी अध्यक्ष चुने जाने तक अंतरिम अध्यक्ष के पद पर बने रहना चाहिए। उन्होंने नेतृत्व में बदलाव की मांग रखने वाले नेताओं को फटकार भी लगाई।
हालांकि गुलाम नबी आजाद ने कहा कि पत्र भेजने से पहले कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी के स्वास्थ्य के बारे में पता किया गया था। उनके निजी सचिव ने बताया था कि सोनिया नियमित स्वास्थ्य जांच के लिए अस्पताल गई हैं। इसके बावजूद उनके घर वापस लौटने का इंतजार किया गया और इसके बाद ही उन्हें पत्र लिखा गया था। बता दें कि कांग्रेस के 23 वरिष्ठ नेताओं ने सोनिया गांधी को पत्र लिखकर मांग की थी कि पार्टी के लिए कोई पूर्णकालिक अध्यक्ष चुना जाना चाहिए।
बीजेपी से मिलीभगत का आरोप?
बता दें कि सोनिया गांधी को चिट्ठी लिखने वाले 23 कांग्रेसियों में से कपिल सिब्बल भी एक हैं। राहुल गांधी के ’बीजेपी संग मिलीभगत’ का आरोप लगाने के बाद सिब्बल की नाराजगी इतनी बढ़ी कि उन्होंने ट्वीट किया कि “राजस्थान हाई कोर्ट में कांग्रेस पार्टी को सफलतापूर्वक डिफेंड किया। मणिपुर में बीजेपी सरकार गिराने में पार्टी का बचाव किया। पिछले 30 साल में किसी मुद्दे पर बीजेपी के पक्ष में कोई बयान नहीं दिया। लेकिन फिर भी हम ’बीजेपी के साथ मिलीभगत कर रहे हैं।’“ सिब्बल ने अपने ट्विटर बायो से कांग्रेस शब्द भी हटा दिया है।
पूर्णकालिक अध्यक्ष के लिए लिखी थी चिट्ठी
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को भेजी गई चिट्ठी में राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद के अलावा पूर्व केंद्रीय मंत्रियों में आनंद शर्मा, कपिल सिब्बल, मनीष तिवारी, शशि थरूर, सांसद विवेक तनखा, मुकुल वासनिक और जितिन प्रसाद के नाम शामिल हैं। इसके अलावा पूर्व मुख्यमंत्रियों भूपिंदर सिंह हुड्डा, राजेंद्र कौर भटट्ल, एम वीरप्पा मोइली, पृथ्वीराज चव्हाण, पीजे कुरियन, अजय सिंह, रेणुका चौधरी और मिलिंद देवड़ा ने भी इस पत्र पर हस्ताक्षर किये हैं। प्रदेश कमेटियां संभाल चुके राज बब्बर, अरविंदर सिंह लवली और कौल सिंह ने भी चिट्ठी को समर्थन दिया है। इसके अलावा अखिलेश प्रसाद सिंह, कुलदीप शर्मा, योगानंद शास्त्री और संदीप दीक्षित के भी हस्ताक्षर हैं।
आने वाले दिनों में और बढ़ेगी रार!
सियासी जानकारों का कहना है कि कांगं्रेस अब पूरी तरह से दो धड़ों में बंट गई है। एक धड़ा कपिल सिब्बल, गुलाम नबी आजाद, मनीष तिवारी और ऐसे ही वरिष्ठ कांग्रेसी नेताओं का है जो कांग्रेस में गांधी परिवार के अलावा बाहर से कोई पूर्णकालिक अध्यक्ष चाहते हैं। पिछले दिनों में देश में ही नहीं बल्कि कांग्रेस में भी राहुल गांधी की सर्वमान्यता घटी है। दूसरी ओर 2019 का लोकसभा चुनाव हारने के बाद उनके द्वारा अध्यक्ष पद से इस्तीफा दिये जाने को भी वरिष्ठ कांग्रेसी नेता अब तक पचा नहीं पा रहे हैं। जबकि दूसरा धड़ा राहुल गांधी समर्थकों का है। यह धड़ा चाहता है कि राहुल गांधी को ही दोबारा कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया जाए। यही कारण है कि हर बार कांग्रेसी नेताओं की बैठक में विवादास्पद बयान सामने आते जा रहे हैं।
बाहर का अध्यक्ष नहीं चाहती राहुल ब्रिगेड!
2014 का लोकसभा चुनाव हारने के बाद से कांग्रेस का आकार लगातार सिकुड़ता जा रहा है। वरिष्ठ कांगें्रसी नेता इसका एक कारण राहुल गांधी को भी मानते हैं। इसलिए कांग्रेस में एक धड़ा एक बार फिर से गांधी परिवार से बाहर के अध्यक्ष की मांग करने लगा है। जबकि राहुल ब्रिगेड के नेता और पूरा गांधी परिवार चाहता है कि इसी परिवार में से ही किसी को पार्टी का अध्यक्ष बनाया जाए। खुद सोनिया गांधी, प्रियंका गांधी और राहुल गांधी भी यही चाहते हैं। इनके साथ ही पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और एके एंटोनी सहित कुछ दूसरे नेता भी गांधी परिवार से ही पार्टी का अगला अध्यक्ष चाहते हैं।