कांग्रेस ने गंवाई एक और सरकार… पंजाब में सिद्धू बने गले की हड्डी या राहुल जिम्मेदार?

-पंजाब में बादल-अमरिंदर का सूपड़ासाफ, बीएसपी का नहीं खुल सका खाता
-दोनों सीट से चुनाव हारे कांग्रेस के पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी
-पंजाब में चली आप की झाड़ू, 92 सीट जीतकर पंजाब पर किया कब्जा

शक्ति सिंह/ चंडीगढ़
कांग्रेस ने एक और राज्य में अपनी सरकार खो दी है। पंजाब में कांग्रेस के हिस्से बुरी तरह से हार आई है। आम आदमी पार्टी ने 92 सीटों पर कब्जा करके पूर्ण बहुमत के साथ सरकार बनाने की तैयारी कर ली है। पंजाब में कांग्रेस को महज 18 सीट के साथ संतोष करना पड़ा है। बीजेपी केवल 2 और शिरोमणि अकाली दल को महज 4 सीट हासिल हुई हैं। लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि पंजाब में कांग्रेस को मिली इस शिकस्त के लिए कौन जिम्मेदार है? इसके लिए कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी जिम्मेदार हैं? वर्तमान अध्यक्ष सोनिया गांधी जिम्मेदार हैं? या फिर पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू जिम्मेदार हैं?

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कांग्रेस के लिए इससे बड़ी बात क्या होगी कि मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी दो सीट से चुनाव लड़े और दोनों सीट पर बुरी तरह से हार गये। पार्टी के उम्मीदवारों को जिताने में सहयोग करना तो दूर खुद पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू भी विधानसभा चुनाव बरी तरह से हार गये। उन्हें आम आदमी पार्टी के एक नये-नये नेता ने बुरी तरह से हरा दिया। अब केवल यही सबसे बड़ा सवाल है कि आखिर पंजाब में कांग्रेस की इस दुर्गति के लिए कौन जिम्मेदार है?
कांग्रेस आलाकमान की जिम्मेदारी!
सियासी विश्लेषकों का मानना है कि पंजाब में कांग्रेस की इस हालत के लिए पार्टी आलाकमान जिम्मेदार है। पहले से ही तय माना जा रहा था कि जिस तरह से ठीक विधानसभा चुनाव से पूर्व पार्टी आलाकमान ने जो निर्णय लिये, वह पार्टी के लिए घातक साबित हुए। कैप्टन अमरिंदर सिंह को मुख्यमंत्री पद से हटाना, प्रदेश अध्यक्ष के पद पर बीजेपी से आये नवजोत सिंह सिद्ध को बैठाना और सीएम चरणजीत सिंह चन्नी व प्रदेश अध्यक्ष सिद्धू के बीच चुनाव के दौरान व इससे पहले चले विवादों को समय से नहीं सुलझा पाना कांग्रेस आलाकमान की बड़ी गलतियां रहीं।
सियासी मामलों के विशेषज्ञों का कहना है कि भले ही कैप्टन अमरिंदर सिंह इन विधानसभा चुनावों से कुछ हासिल नहीं कर पाये हों, लेकिन उन्होंने जितना नुकसान पहुंचाया है वह कांग्रेस को ही हुआ है। 2017 में कांग्रेस ने पंजाब विधानसभा चुनाव कैप्टन अमरिंदर सिंह के नेतृत्व में लड़ा था, लेकिन 2022 आते-आते कांग्रेस आलाकमान ने अमरिंदर सिंह से दूरी बना ली, जबकि कैप्टन के नेतृत्व में यह चुनाव लड़ा जाता तो पार्टी को ज्यादा फायदा हो सकता था।
सिद्धू ने डुबोई लुटिया!
सियासी मामलों के विशेषज्ञों का कहना है कि नवजोत सिंह सिद्धू ने शुरू से ही जिस तरह से ‘एटीट्यूट’ दिखाया वह कांग्रेस के लिए ज्यादा घातक साबित हुआ। नवजोत सिंह सिद्धू लगातार कांग्रेस सरकार और मुख्यमंत्री की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते रहे। आश्चर्य की बात तो यह है कि सिद्ध पर चुनाव के दौरान पार्टी उम्मीदवारों के लिए प्रचार में नहीं जाने के आरोप भी लगे। सिद्धू की पत्नी नवजोत कौर ने तो यहां तक कह दिया था कि पार्टी को जिताने की जिम्मेदारी मुख्यमंत्री की है अब वो ही कांग्रेस उम्मीदवारों को जितायें।
पहले से ही माना जा रहा था कि सिद्धू जिस तरह की ‘महत्वाकांक्षी’ राजनीति करते हैं, उसकी वजह से पंजाब में कांग्रेस को नुकसान ही होगा। कहा यह भी जा रहा है कि सिद्ध की कार्यप्रणाली की वजह से पंजाब में कांग्रेस को नुकसान और आम आदमी पार्टी को जबरदस्त फायदा हुआ। इसी का नतीजा है कि आम आदमी पार्टी को विधानसभा चुनाव में 117 में से 92 सीटों का बहुमत प्राप्त हुआ है।
एसएडी, कैप्टन, बीएसपी का सफाया
बता दें कि किसानों और कृषि कानूनों के मुद्दे पर भारतीय जनता पार्टी का साथ छोड़ने वाले शिरोमणि अकाली दल का पंजाब में पूरी तरह से सफाया हो गया है। एसएडी के संस्थापक प्रकाश सिंह बादल और अध्यक्ष सुधबीर सिंह बादल विधानसभा चुनाव हार गये हैं। पंजाब में शिरोमणि अकाली दल की सहयोगी रही यूपी की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती की बहुजन समाज पार्टी राज्य में खाता तक नहीं खोल सकी। कांग्रेस से अलग होकर चुनाव लड़े राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह भी चुनाव हार गये हैं। उनकी नई नवेली पार्टी का खाता तक नहीं खुल सका।