-बुधवार से शुरू हुआ 4 दिवसीय छठ महापर्व, सूर्य सहित इन ग्रहों का सुंदर संयोग
-21 नवंबर शनिवार को उदीयमान सूर्य को अर्घ्य के साथ संपन्न होगा महाव्रत
एसएस ब्यूरो/ नई दिल्ली
लोक आस्था और प्रकृति पूजा के महापर्व छठ के चार दिवसीय अनुष्ठान की शुरुआत बुधवार को नहाय-खाय के साथ हो गयी है। निर्जला अनुष्ठान के पहले दिन बुधवार (18 नवंबर) को व्रतियों ने घरों, नदी व तालाबों आदि में स्नान कर ‘नहाय-खाय’ के साथ व्रत शुरू किया। इस दिन श्रद्धालु अरवा चावल, चने की दाल और कद्दू की सब्जी का प्रसाद ग्रहण करते हैं।
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गुरूवार 19 नवंबर को खरना किया जाएगा। इस दिन व्रती दिनभर निर्जला उपवास रखने के बाद शाम को दूध और गुड़ से बनी खीर का प्रसाद खाकर चांद को अर्घ्य देंगे और लगभग 36 घंटे का निर्जला व्रत उपवास शुरू करेंगे। 20 नवंबर को व्रती डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य देंगे और 21 नवंबर को उदयीमान सूर्य को अर्घ्य देने के साथ महाव्रत संपन्न हो जाएगा।
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शनिवार को सूर्य को अर्घ्य देने के बाद प्रसाद वितरण किया जाएगा और अन्न-जल ग्रहण (पारण) कर चार दिवसीय अनुष्ठान पूर्ण हो जाएगा। बता दें कि इस बार वृश्चिक राशि में सूर्य के होने छठ व्रतियों, श्रद्धालुओं और आम लोगों के लिए कल्याण का योग बन रहा है। ज्योतिषी सत्य शिवम बताते हैं कि 16 नवंबर को शाम 6.32 बजे से सूर्य का राशि परिवर्तन हुआ है। अब सूर्य वृश्चिक राशि में आ चुके हैं। सूर्य अपने मित्र के घर में होने से अच्छा संदेश दे रहे हैं।
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आचार्य रामगोपाल शुक्ल का कहना है कि यह व्रत आरोग्य, संतान, यश, कीर्ति के लिए कार्तिक शुक्ल षष्ठी व सप्तमी को किया जाता है। 20 नवंबर को सुबह सूर्य के नक्षत्र उत्तराषाढ़ा होने एवं शुक्र, गुरु, शनि व स्वगृही होने से बहुत सुंदर संयोग बन रहा है। इस दिन सूर्य से बनने वाला वरिष्ठ योग का भी निर्माण हो रहा है। 20 नवंबर को सूर्य के तीसरे स्थान पर चन्द्रमा है। इस दिन आम लोगों को आदित्य हृदय स्रोत और गायत्री मंत्र का जाप करना चाहिए। पूर्वाभिमुख उपासना से उन्नति व पश्चिमाभिमुख उपासना से दुर्भाग्य का अंत होता है।
जानें कब क्या होगाः
तिथि दिन छठ व्रत समय
18 नवंबर बुधवार, नहाय-खाय 5.15 सुबह के बाद
19 नवंबर गुरुवार, खरना 4.56 शाम के बाद
20 नवंबर शुक्रवार, डूबते सूर्य को अर्घ्य 5.26 शाम
21 नवंबर शनिवार, उगते सूर्य को अर्घ्य 6.49 सुबह
चतुर्थीः स्नान कर, चावल, दाल, कद्दू की सब्जी, सेंधा नमक खाया जाता है।
पंचमीः स्नान आदि से शुद्ध होकर चंद्रोदय पर शुद्ध घी लगी गेहूं की रोटी व खीर खाया व प्रसाद वितरण किया जाता है।
षष्ठीः ठेकुआ पकवान बनाया जाता है यह पकवान संपूर्ण पूजा का मुख्य प्रसाद होता है। नारियल, केला, नीबू, ईख और ऋतुफल का भी प्रसाद तैयार किया जात है। सायंकालीन अर्घ्य दिया जाता है।
सप्तमीः इस दिन सुबह को उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है।