-आसान नहीं तीनों निगमों के अधिकारियों का सम्मानजनक समायोजन
-सवा लाख निगम कर्मचारियों में व्याप्त असंतोष को समाप्त करना जरुरी
दिल्ली नगर निगम की बेहतरी के लिए केन्द्र सरकार ने संसद के दोनों सदनों के माध्यम से एकीकरण के निमित्त संशोधन कर दिया है, फिलहाल निर्वाचित पार्षदों के बिना एक विशेष अधिकारी के माध्यम से इसे चलाए जाने का फैसला केन्द्र सरकार ने किया है। लिहाजा नए स्वरुप में निगम के समक्ष चुनौतियों के निदान के लिए केन्द्रीय गृह मंत्री को निगम के क्रियाकलापों के जानकार, स्वच्छ छवि के सक्षम विशेष अधिकारी की नियुक्ति जल्द से जल्द की करनी चाहिए, ताकि दिल्ली नगर निगम के कार्यों में ठहराव न आए।
निगम आयुक्त समेत तीनों निगमों में नियुक्त विभाग प्रमुखों (एचओडी) में प्रत्येक पर कार्यरत तीन निगम कर्मियों में से वरिष्ठता के आधार पर एक की नियुक्ति व अन्य दो का सम्मानजनक समायोजन करने का कार्य आसान नहीं है, एक व्यक्ति को एकीकृत निगम के विभाग का प्रमुख बनाए बिना कार्य को गति व जिम्मेदारी निश्चित नहीं की जा सकती है। निगम कर्मचारियों को हर माह समय से वेतन व सेवानिवृत कर्मचारियों को पेंशन देने का प्रबन्ध करना होगा क्योंकि निगम को केन्द्र सरकार ने अपने अधीन ले लिया है। अतः अब सवा लाख निगम कर्मचारियों में व्याप्त असंतोष को समाप्त करना जरुरी है।
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कर्मचारियों का वेतन व वरिष्ठता क्रम के अनुसार उनकी नियुक्ति, सेवानिवृत कर्मचारियों की जमापूंजी व पेंशन, 11000 करोड़ से अधिक के घाटे के साथ आर्थिक स्थिति को सुधारना, राजस्व वसूली की स्थिति को सुधारना, प्रदूषण की कारक दिल्ली की तीनों लैंडफिल साइटस भलस्वा, ओखला व गाजीपुर की आसमान छूती ऊंचाई पर नियंत्रण के साथ कूड़े-कचरे का निष्पादन व दुर्घटनाओं पर अंकुश, स्वच्छता, अवैद्य निर्माण पर कार्रवाई, भ्रष्टाचार पर अंकुश आदि के साथ दिल्ली नगर निगम की छवि को सुधार कर उसकी साख को स्थापित करना निसंदेह निगम व विशेष कार्य अधिकारी के समक्ष चुनौती होगी।
एक-डेढ माह में बरसात आने वाली है, जलभराव से प्रभावित होने वाले दिल्ली के 100 से अधिक पूर्वाभासी संवेदनशील जगहों पर, बचाव की अग्रिम तैयारी करनी होगी। राजस्व वसूली की दृष्टि से निगम अभी 20 प्रतिशत संपत्ति कर ही इकट्ठा कर पा रहा है, यूनिट एरिया प्रणाली लागू करने के बाद संपत्ति कर विभाग के कर्मी इसे एकत्र करने के प्रति निष्क्रिय हो गए हैं, इसमें समुचित कर एकत्र होना चाहिए। दिल्ली में हो रहे बेतहाशा निर्माण और प्रति लेंटर निगम के भवन विभाग के कर्मियों द्वारा की जा रही अवैद्य वसूली पर अंकुश लगाना जरुरी है।
निर्माण शुल्क की राशि निगम के खाते में प्राप्त करने के लिए, भवन उपनियमों को आसान बनाया जाना चाहिए। स्वच्छता के कार्य में प्रभावी कदम उठा, जनता को संतुष्ट करना व रैंकिंग सुधारना भी चुनौती है। महा-भ्रष्ट की कालिख से निगम को मुक्ति दिलाने के लिए पारदर्शिता स्थापित करनी होगी।
-जगदीश ममगांई
(लेखक दिल्ली के शहरी मामलों के विशेषज्ञ हैं, दिल्ली व नगर निगम से जुड़ी कई पुस्तकों के लेखक हैं और एकीकृत दिल्ली नगर निगम की निर्माण समिति के अध्यक्ष रह चुके हैं)