प्रदेश कांग्रेस नेतृत्व को चुनौतीः पार्टी के लिए घातक साबित हुआ निगम का विभाजन… आलाकमान ने नहीं मानी थी विभाजन के समय अपने पार्षदांं की बात!

-प्रदेश कांग्रेस नेतृत्व और दिल्ली नगर निगम को पंगु बनाना चाहती थीं पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित!
-विभाजन होने से पूर्व कांग्रेसी पार्षदों ने कांग्रेस नेतृत्व के सामने जतायी थी आर्थिक संकट की आशंका
–पूर्व स्थायी समिति अध्यक्ष और प्रतिपक्ष के नेता रह चुके वरिष्ठ कांग्रेसी जयकिशन शर्मा ने किया खुलासा

हीरेन्द्र सिंह राठौड़/ नई दिल्ली, 25 अप्रैल, 2022
राजधानी में अपनी सियासी जमीन तलाश रही कांग्रेस के दिल्ली प्रदेश नेतृत्व के सामने चुनौती खड़ी हो गई है। ‘एकीकृत दिल्ली नगर निगम का विभाजन राजधानी दिल्ली में कांग्रेस के लिए घातक साबित हुआ है। निगम का विभाजन नहीं होता तो कांग्रेस को यहां यह दिन देखने नहीं पड़ते। निगम के विभाजन के बाद निगम कर्मियों और दिल्ली वालों को भारी परेशानी हुई है। कांग्रेसी पार्षदों ने निगम के विभाजन से पूर्व ही यह आशंका जता दी थी कि तीन हिस्सों में बंटने के बाद नगर निगमों के सामने आर्थिक संकट खड़ा हो जायेगा।’ यह हम नहीं बल्कि आज खुद कांग्रेस के दिग्गज नेता जयकिशन शर्मा कह रहे हैं। बता दें कि कांग्रेस का वर्तमान प्रदेश नेतृत्व दिल्ली नगर निगम के तीन हिस्सों में बंटवारे का लगातार समर्थन कर रहा है।

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एकीकृत दिल्ली नगर निगम में स्थायी समिति के अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष रहे जयकिशन शर्मा ने शीला सरकार के दिल्ली नगर निगम के विभाजन करने के निर्णय को कांग्रेस के लिए घातक करार दिया है। उन्होंने कहा कि दिल्ली नगर निगम का विभाजन नहीं होता तो आज दिल्ली में कांग्रेस को यह दिन देखने नहीं पड़ते। दिल्ली नगर निगम के विभाजन के बाद उसके कर्मचारियों के साथ-साथ आम जनता को भारी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। वहीं भाजपा और आम आदमी पार्टी इसका लाभ उठाने में सफल रहे।

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जयकिशन शर्मा ने कहा कि कांग्रेस के पार्षदों ने विभाजन का विरोध किया था और उन्होंने उस समय पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष जयप्रकाश अग्रवाल के नेतृत्व में तत्कालीन पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्षा सोनिया गांधी का दरवाजा खटखटाया था। उन्होंने आगे कहा कि कांग्रेस पार्षदों ने दिल्ली नगर निगम के विभाजन के बाद अस्तित्व में आने वाले नगर निगमों के सामने आर्थिक संकट पैदा होने की आशंका उसी समय जता दी थी। लेकिन उनकी सुनवाई नहीं हुई।

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जयकिशन शर्मा ने खुलासा किया कि ‘तत्कालीन मुख्यमंत्री शीला दीक्षित उस समय प्रदेश कांग्रेस नेतृत्व और दिल्ली नगर निगम को पंगू बनाना चाहती थीं। यही कारण है कि उन्होंने प्रदेश कांग्रस संगठन और तत्कालीन निगम पार्षदों के विरोध के बावजूद दिल्ली नगर निगम का विभाजन कराया।’ उन्होंने कहा कि नगर निगम के माध्यम से कांग्रेस दिल्ली की जनता की हर संभव मदद कर रही थी। कांग्रेस ने सत्ता में रहने के साथ-साथ विपक्ष में रहते हुए भी जनता की आवाज बुलंद करने का कार्य किया।
जयकिशन शर्मा ने आगे कहा कि यही कारण था कि दिल्ली में लगातार तीन बार कांग्रेस की सरकार बनी। जैसे ही दिल्ली नगर निगम का विभाजन तीन हिस्सों में हुआ तो अगले ही चुनाव में कांग्रेस विधानसभा चुनाव हार गई और कांग्रेस की सरकार भी चली गई। उन्होंने कहा कि अब भाजपा ने तीनों नगर निगमों को एक करने का निर्णय दिल्ली की जनता की भलाई के लिए नहीं, बल्कि नगर निगम चुनाव टालने के लिए लिया है। दूसरी ओर आम आदमी पार्टी की केजरीवाल सरकार दिल्ली के विकास पर ध्यान देने के बजाय दिल्ली वालों को मुफ्त के भ्रमजाल में फंसाकर अपना उल्लू सीधा कर ही है। जिसकी वजह से दिल्ली के विभिन्न विकास कार्य ठप पड़ गये हैं और दिल्ली वालों को विभिन्न समस्याओ का सामना करना पड़ रहा है।