-पिछली सीट पर बैठकर गाड़ी चलाना चाहते हैं राहुलः चाको
-जी-23 नेताओं का किया समर्थन, कही पार्टी में अपमान की बात
-पूर्व सांसद संदीप दीक्षित सहित दिल्ली के नेताओं पर भी आरोप
एसएस ब्यूरो/ नयी दिल्ली
कांग्रेस पार्टी की मुश्किलें खत्म होने का नाम नहीं ले रही हैं। कहीं पार्टी के विधायक पार्टी को छोड़कर जा रहे हैं, तो कहीं वरिष्ठ नेताओं का पार्टी छोड़ने का सिलसिला लगातार जारी है। अब कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पीसी चाको ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने कांग्रेस नेतृत्व पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि राहुल गांधी पिछली सीट पर बैठकर गाड़ी चलाना चाहते हैं। उन्होंने पार्टी में जबरदस्त गुटबाजी और पार्टी नेतृत्व पर अपमान का आरोप भी लगाया। चाको ने पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को अपना इस्तीफा भेज दिया है।
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चाको ने बुधवार को पार्टी से इस्तीफा देने की घोषणा करते हुए आरोप लगाया कि केरल में विधानसभा चुनाव के लिए पार्टी के उम्मीदवार तय करने में गुटबाजी हावी रही। चाको ने कहा कि केरल में कांग्रेस पार्टी दो धड़ों में बंटी हुई है। वे हाईकमान से दखल देने की गुजारिश करते-करते थक गए हैं। केरल कांग्रेस में जो कुछ भी घट रहा है, आलाकमान उसे चुपचाप देख रहा है। बता दें कि चाको वही नेता हैं जिन्होंने करीब दो साल पहले गांधी परिवार को ’देश का पहला परिवार’ बताकर बखेड़ा खड़ा कर दिया था। तब इसके लिए उनकी खासी आलोचना हुई थी और बीजेपी ने उनपर गांधी परिवार की चाटुकारिता का आरोप लगाया था।
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दशकों तक कांग्रेस में रहे गांधी परिवार के बेहद नजदीकी पीसी चाको का गुबार बुधवार को फट पड़ा। कांग्रेस की वर्तमान हालत के लिए उन्होंने सीधे तौर पर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी पिछली सीट पर बैठकर गाड़ी चलाना चाहते हैं। खुद जिम्मेदारी न लेकर दूसरों को आगे कर दे रहे हैं। इसीलिए समस्याएं खड़ी हो रही हैं। उन्होंने कहा कि केरल में जिस तरह से टिकट बांटे जा रहे हैं, वह पूर्णतया अलोकतांत्रिक है। उन्होंने इस विषय में कई बार राहुल गांधी से चर्चा की, लेकिन हर बार उन्होंने यह कहकर टाल दिया कि ठीक है, इस पर बात करेंगे। लेकिन, न वह बात करते हैं और न ही किसी की शिकायत दूर करते हैं।
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केरल से विधायक, मंत्री और कई बार सांसद रह चुके चाको ने कहा कि वरिष्ठ नेताओं ने इस पार्टी को अपना जीवन ही नहीं दिया, बल्कि पार्टी के हर सुख दुख में साथ खड़े रहकर उसे मजबूत करने की भी कोशिश की है। लेकिन सम्मान के बजाय बार-बार अपमान स्वीकार नहीं किया जा सकता। न ही पार्टी को कमजोर होते देखा जा सकता है। उन्होंने ग्रुप- 23 के नेताओं की मांगों को भी जायज करार दिया। उन्होंने आगे कहा कि इन वरिष्ठ नेताओं ने कांग्रेस को मजबूत करने के लिए केवल सुझाव दिए थे। सोनिया गांधी या राहुल गांधी के बारे में कुछ गलत नहीं कहा। उनके सुझाव अच्छे थे, इसीलिए सोनिया ने उनके साथ बैठक भी की।
ऐन मौके पर बदला गया था कीर्ति आजाद को अध्यक्ष बनाने का फैसला
करीब छह साल दिल्ली कांग्रेस के प्रभारी रहे चाको ने कहा कि उन्हें दिल्ली में भी कई बार अपमान का घूंट पीना पड़ा। शीला दीक्षित को दिल्ली कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया तो उनके बेटे संदीप दीक्षित सहित कई अन्य नेताओं ने बार-बार उनके और शीला के बीच मतभेद उत्पन्न कराए। लेकिन आलाकमान ने हालात सुधारने का प्रयास नहीं किया। इसी तरह जब उन्होंने सोनिया गांधी की रजामंदी से कीर्ति आजाद को दिल्ली कांग्रेस का अध्यक्ष नियुक्त कराया तो कुछ नेताओं ने ऐन मौके पर उस आदेश को भी बदलवा दिया। आखिर कोई कितनी बार अपमान सहेगा? चाको ने कहा कि मौजूदा हालत में पार्टी के सुधार का कोई प्लान काम नहीं करने वाला। चाटुकार नेताओं के कब्जे से बाहर निकलकर राहुल और सोनिया गांधी को अपने विवेक का इस्तेमाल करना होगा। वरिष्ठों की लगातार अनदेखी पार्टी को पतन की ओर ही ले जा रही है।