टोल टैक्स वसूली में घपला… सीमाओं पर वसूली लेकिन निगमों को नहीं मिल रही हिस्सेदारी!

-लगातार घट रही टोल टैक्स की वसूली, निर्धारित लक्ष्य तक नहीं पहुंच पा रहा नगर निगम
-वर्ष 2020-21 में वसूलना था 487 करोड़ लेकिन हो पाई महज 93 करोड़ की वसूली

हीरेन्द्र सिंह राठौड़/ नई दिल्ली
भारतीय जनता पार्टी शासित नगर निगमों के नेता फंड्स को लेकर हर मामले में आम आदमी पार्टी शासित दिल्ली सरकार को घेरते रहते हैं। लेकिन खुद के शासन वाले नगर निगमों में उनकी नाक के नीचे चल रहे गोलमाल पर कोई ध्यान नहीं है। ताजा मामला दिल्ली में आने वाले वाहनों से टोल टैक्स की वसूली को लेकर सामने आया है। लोगों से तो टोल टैक्स की वसूली की जा रही है लेकिन वसूली गई राशि नगर निगमों तक नहीं पहुंच पा रही है। आश्चर्य की बात तो यह है कि टोल टैक्स की वसूली में लगातार भारी गिरावट आ रही है।

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नगर निगमों में सत्ताधारी बीजेपी के नेता फंड्स को लेकर केजरीवाल सरकार पर लगातार हमलावर रहते हैं, ज्यों ज्यों नगर निगम के चुनाव नजदीक आते जा रहे हैं, तथाकथित फंड्स को लेकर बीजेपी लगातार दबाव बनाये रखना चाहती है। लेकिन नगर निगम के खुद के स्रोतों से होने वाली कमाई में पिछले कुछ वर्षों में लगातार कमी आ रही है। टोल टैक्स वसूली की दरों में हर साल बढ़ोतरी की जा रही है, इसके बावजूद वसूली के लक्ष्य में लगातार बड़े स्तर पर कमी आ रही है। टोल टैक्स की वसूली के मामले में बड़े स्तर पर हेरा-फेरी के आरोप लगाये जा रहे हैं, लेकिन इस ओर सत्ताधारी बीजेपी के नेताओं और प्रदेश बीजेपी नेतृत्व का कोई ध्यान नहीं है।

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आंकड़े बताते हैं कि साल 2017-18 में उत्तरी दिल्ली नगर निगम को टोल टैक्स के जरिये कुल 322 करोड़ रूपये की प्राप्ति हुई थी। लेकिन वर्ष 2017-19 में यह राशि घटकर 293 करोड़ रह गई। आश्चर्य की बात तो यह है कि इसके अगले वर्ष 2019-20 में उत्तरी दिल्ली नगर निगम को टोल टैक्स से मिलने वाली राशि केवल 250 करोड़ ही रह गई। जबकि इस साल नगर निगम ने टोल टैक्स से वसूली के लिए 255.19 करोड़ रूपये का लक्ष्य रखा गया था। वर्ष 2020-21 में नगर निगम ने टोल टैक्स से वसूली का लक्ष्य बढ़ाकर 487.03 करोड़ रखा था। लेकिन चालू वित्त वर्ष में 3 फरवरी, 2021 तक टोल टैक्स से नगर निगम को केवल 93 करोड़ रूपये ही मिल पाये हैं।

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बता दें कि टोल टैक्स की वसूली के लिए दक्षिणी दिल्ली नगर निगम नोडल एजेंसी है। टोल टैक्स की वसूली के जरिये जो राशि वसूल की जाती है, उसमें से दक्षिणी दिल्ली को 40 फीसदी, उत्तरी दिल्ली को 40 फीसदी और पूर्वी दिल्ली नगर निगम को 20 फीसदी हिस्सेदारी निश्चित है। दक्षिणी दिल्ली नगर निगम ने टोल टैक्स वसूली की जिम्मेदारी निजी ठेकेदार कंपनी को दे रखी है। अनुमान के मुताबिक दिल्ली में प्रवेश करने वाले व्यावसायिक वाहनों से सालाना 1600 से 2 हजार करोड़ रूपये के आसपास की वसूली की जाती है। लेकिन नगर निगमों को उनके हिस्से का वास्तविक हिस्सा नहीं मिल पा रहा है। इससे भी बड़ी बात यह है कि नगर निगमों में सत्ताधारी दल बीजेपी के नेता निगमों की टैक्स वसूली की व्यवस्था को संभाल नहीं पा रहे हैं।
पहले पुरानी कंपनी को एक्सटेंसन और अब नई कंपनी को छूट पर सवाल
इसे सत्ताधारी बीजेपी नेताओं की मिलीभगत कहें या फिर निगम अधिकारियों का भ्रष्टाचार कि पहले लंबे समय तक पुरानी कंपनी को ही बिना टेंडर किये टोल टैक्स वसूली के लिए एक्सटेंसन (सेवा विस्तार) दिया जाता रहा। लेकिन जब नई कंपनी ने पुरानी कंपनी के मुकाबले करीब 500 करोड़ रूपये ज्यादा में ठेका ले लिया तो उसे अब निर्धारित राशि जमा कराने से छूट दी जा रही है। सूत्रों का कहना है कि ठेकेदार कंपनी ने पिछले कई महीनों से वसूली गई टोल टैक्स की राशि जमा नहीं कराई है। इसके बावजूद अधिकारियों ने कंपनी के ऊपर वसूली के लिए कोई दबाव नहीं बनाया, और अब वही अधिकारी वसूली करने वाली ठेकेदार कंपनी को वसूली गई राशि को जमा कराने में छूट देने जा रहे हैं।
टोल टैक्स वसूली पर एक नजर (यह आंकड़े केवल उत्तरी दिल्ली नगर निगम के हैं)
वर्ष                     वसूली (रूपये में)
2017-18            322 करोड़
2018-19            293 करोड़
2019-20            250 करोड़ (लक्ष्य- 255.19 करोड़)
2020-21             93 करोड़ (03.02.2021 तक) लक्ष्य- 487.03 करोड़