मिथुन में ‘बुधादित्य योग’ और देवगुरू का वक्री होना… लेकर आया किसके लिए सोना?

-रविवार 20 जून को देव गुरू बृहस्पति की बदल रही चाल
-कुंभ राशि में वक्री गुरू तीन राशियों पर होंगे ज्यादा मेहरबान

आचार्य रामगोपाल शुक्ल/ नई दिल्ली
नव ग्रहों में प्रभावशाली महत्व रखने वाले देवगुरु बृहस्पति का राशि परिवर्तन होने जा रहा है। रविवार 20 जून 2021 को देवगुरु बृहस्पति कुंभ राशि में वक्री हो जाएंगे। इसका अर्थ हे कि देवगुरु बृहस्पति कुंभ राशि में उल्टी चाल चलेंगे। क्योंकि देवगुरु बृहस्पति कुंभ राशि में वक्री हो रहे हैं, इसकी वजह से कुंभ राशि पर सबसे अधिक प्रभाव पड़ने जा रहा है। इसके साथ ही वृषभ एवं मिथुन राशि के जातकों के लिए भी गुरू का यह राशि परिवर्तन अन्य राशियों के जातकों के मुकाबले ज्यादा शुभ फलदायी होगा।

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बृहस्पति को शुभता, सत्यता, न्याय, सद्गुण व सुख देने वाला ग्रह माना गया है। यह आध्यात्मिकता, स्वतंत्रता, ज्ञान, गुरु और इनसे मिलते-जिलते गुणों को नियंत्रित करते हैं। देवगुरु बृहस्पति को कुण्डली में द्वितीय, पंचम, नवम, दशम एवं एकादश भाव का कारक माना जाता है। ज्योतिष के अनुसार यह पुनर्वसु, विशाखा और पूर्वाभाद्रपद नक्षत्रों का स्वामित्व रखते हैं। यह बारह महीनों में चार महीने वक्री रहते हैं। देवगुरु बृहस्पति ग्रह एक राशि में लगभग एक वर्ष रहते हैं और 12 राशियों का चक्र पूरा करने में करीब 13 वर्ष का समय लगाते हैं। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार जो व्यक्ति बृहस्पति से प्रभावित होते हैं वे कफ प्रकृति के होते हैं और मोटे होते हैं। इनकी आवाज भारी होती है और आंखें एवं बाल भूरे या फिर सुनहरे रंग के होते हैं। बृहस्पति से प्रभावित व्यक्ति धार्मिक, आस्थावान, दार्शनिक, विज्ञान में रूची रखने वाले एवं सत्यनिष्ठ होते हैं।

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देवगुरु बृहस्पति 20 जून 2021 को शाम 8 बजकर 35 मिनट पर कुंभ राशि में वक्री होकर 14 सितंबर 2021 को मकर राशि में प्रवेश करेंगे। वैदिक ज्योतिष में गुरु सबसे अधिक लाभकारी ग्रह हैं। ज्योतिष शास्त्र की मान्यता के अनुसार जब शुभ ग्रह वक्री गति से चलें तो उसका परिणाम भी शुभ ही होता है। इसके साथ ही अच्छी बात यह है कि मंगलवार 15 जून 2021 से सूर्य अपना राशि परिवर्तन करते हुए मिथुन राशि में आ गए हैं, यहां पहले से ही बुध देव विराजमान हैं, जो कि सूर्य के साथ मिलकर ‘बुधादित्य योग’ बना रहे हैं। इसके साथ ही फिलहाल शुक्र भी मिथुन राशि में हैं और सूर्य के साथ युति कर रहे हैं।
ग्रहों की इस चाल का विभिन्न 12 राशियों के जातकों के जीवन पर कुछ इस तरह का असर रहेगाः-
मेषः गुरु आपकी राशि से ग्यारहवें यानी कि आमदनी भाव पर वक्री हो रहे हैं आपको कार्यक्षेत्र में सफलता हासिल होगी। मान-सम्मान में वृद्धि के योग बनेंगे। आर्थिक स्थिति पहले से बेहतर होगी। रोजगार के नए अवसर प्राप्त होंगे। नौकरी में तरक्की के भी योग बनेंगे।
वृषभः इस समय गुरु आपकी राशि से 10वें भाव यानि कर्म भाव में रहेंगे। यह समय व्यापार के लिए तो अच्छा है, आर्थिक पक्ष सामान्य रहने के बीच किसी भी कार्य में जल्दबाजी से बचें। साथ ही वाद- विवाद में न पड़ें।
मिथुनः इस समय गुरु आपकी राशि से 9वें भाव यानि भाग्य भाव में रहेंगे। जिसके चलते आपको मिले-जुले परिणाम मिलेंगे। पारिवारिक जीवन सुखमय रहने की उम्मीद के बीच ये समय शिक्षा क्षेत्र के लोगों के लिए थोड़ा कठिन रहने की संभावना है।
कर्कः इस समय गुरु आपकी राशि से 8वें भाव यानि आयु भाव में रहेंगे। जिसके कारण आपको सेहत सहित कई अन्य प्रकार की समस्याओं से दो-चार होना पड़ सकता है। धन-लाभ की संभावना के बीच किसी भी कार्य को अच्छे से समझने के बाद ही शुरु करें। बचत की भी इस समय आपको कोशिश करनी होगी।
सिंहः गुरू आपके 7वें यानी कि विवाह भाव में रहेंगे। वक्री गुरु के प्रभाव से सिंह राशि वालों को व्यापार में मुनाफा हो सकता है। जीवनसाथी के साथ मतभेद हो सकते हैं। बेवजह किसी से वाद-विवाद न करें। विवाह संबंधी मामलों में सफलता हासिल हो सकती है। धार्मिक कार्यों में रूचि बढ़ेगी। संपत्ति में बढ़ोत्तरी हो सकती है।
कन्याः इस समय गुरु आपकी राशि से छठें भाव यानि शत्रु व रोग भाव में रहेंगे। ऐसे में सेहत से जुड़ी परेशानियों के साथ शत्रु आप पर हावी होने का प्रयास करेंगे। इसके अलावा इस दौरान वैवाहिक जीवन में दिक्कतों के अलावा कार्यक्षेत्र में भी परेशानियां सामने आ सकती हैं। जबकि शिक्षा क्षेत्र से जुड़े लोग मेहनत के दम पर सफलता प्राप्त कर सकेंगे।
तुलाः इस समय गुरु आपकी राशि से 5वें भाव यानि बुद्धि व पुत्र भाव में रहेंगे। इस दौरान आपको अपनी बुद्धि के प्रयोग से समस्याओं से बाहर आना होगा। आर्थिक पक्ष कमजोर रहने की संभावना के बीच इस समय लेन-देन व निवेश से बचें। सेहत का भी विशेष ध्यान रखना होगा।
वृश्चिकः इस समय गुरु आपकी राशि से चौथे भाव यानि सुख व माता भाव में रहेंगे। इस समय आर्थिक पक्ष मजबूत होने के चलते आप नया वाहन या मकान खरीद सकते हैं। वहीं वाद विवाद से दूर रहते हुए मेहनत से सफलता प्राप्त करेंगे, लेकिन सेहत का ध्यान रखते हुए पारिवारिक जीवन में कुछ परेशानियों से भी जुझना पड़ सकता है।
धनुः वक्री गुरु आपके तीसरे यानी कि पराक्रम भाव में वक्री हो रहे हैं इसके प्रभाव से आपके साहस में वृद्धि होगी। व्यापारियों को लाभ हो सकता है। इस दौरान सुख-सुविधाओं में वृद्धि हो सकती है। किसी करीबी के साथ अनबन हो सकती है।
मकरः इस समय गुरु आपकी राशि से दूसरे भाव यानि धन व वाणी भाव में रहेंगे। ऐसे में खर्चों में वृद्धि के चलते आपको आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। वहीं सेहत का विशेष ध्यान रखने की जरूरत के साथ ही पारिवारिक जीवन में भी कुछ समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।
कुंभः इस समय गुरु आपकी ही राशि में यानि लग्न भाव में रहेंगे। जिसके कारण पद-प्रतिष्ठा के साथ ही मान-सम्मान में बढ़ोतरी के योग के बीच आर्थिक पक्ष सामान्य रहेगा। लेकिन इस समय सेहत का खास ध्यान रखते हुए किसी बाहरी व्यक्ति पर विश्वास करने से पहले अच्छी से सोच लें।
मीनः इस समय गुरु आपकी राशि से 12वें भाव यानि व्यय भाव में रहेंगे। इस समय आप शत्रुओं पर जीत हासिल करने के साथ ही कुछ धार्मिक और आध्यात्मिक कार्यों से भी जुड़ सकते हैं। लेकिन इस समय खर्चें को लेकर चिंता हो सकती है, अतः खर्चों में कमी लाने की कोशिश करनी चाहिए।

नोटः इस आलेख में वर्णित जानकारी को लेकर शतप्रतिशत सत्य होने का दावा नहीं है। यह सूचना केवल सामान्य गणना पर आधारित है। प्रत्येक व्यक्ति की कुंडली के अनुसार फलादेश अलग हो सकता है। अतः किसी तरह का निर्णय लेने से पूर्व अपने विश्वसनीय ज्योतिष विशेषज्ञ से सलाह लेने का कष्ट करें।