ब्लैक फंगसः राजस्थान में महामारी घोषित… दिल्ली एनसीआर में तेजी से बढ़ रहा असर… जानें क्या हैं लक्षण, कौन हो रहा ज्यादा शिकार?

-कोरोना संक्रमण के दौरान स्टेरॉयड देने पर ब्लैक फंगस का खतरा
-कोविड के दौरान शुगर के मरीज भी बन रहे ब्लैक फंगस का निशाना

एसएस ब्यूरो/ नई दिल्ली
कोरोना महामारी (Covid Pandemic) से अभी छुटकारा भी नहीं मिल पाया है कि ब्लैक फंगस (Black Fungus) की बीमारी ने भारत के अलग अलग राज्यों में कहर ढाना शुरू कर दिया है। कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता (Immunity), कोविड संक्रमण के दौरान स्टेरॉइड (Steroid) लेने वाले और शुगर के मरीज इस बीमारी के ज्यादा शिकार हो रहे हैं। इस मामले में राजस्थान (Rajasthan) की अशोक गहलोत सरकार (Ashok Gehlot Government) ने बड़ा फैसला लिया है और राज्य में ब्लैक फंगस को महामारी घोषित कर दिया गया है। गहलोत सरकार ने इसका एलान करते हुए कहा कि ब्लैक फंगस अब खतरनाक रूप लेता जा रहा है और यह कई राज्यों में तेजी से फैल रहा है, इसलिए इसपर अधिक ध्यान देने की जरूरत है। खास बात है कि इस बीमारी ने दिल्ली-एनसीआर में भी तेजी से अपने पैर फैलाने शुरू कर दिये हैं।

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बता दें कि म्यूकोरमाइकोसिस (Mucomycosis) या ब्लैक फंगस एक गंभीर और दुर्लभ फंगल इंफेक्शन (Fungal Infection) है, जिसकी वजह से संक्रमित मरीजों की आंखें निकालनी पड़ती हैं और गर्दन की हड्डी को भी निकालना पड़ता है। इससे मरीजों की मौत हो जाती है। बायोलॉजिकल भाषा में समझें तो ब्लैक फंगस, मोल्ड्स या फंगी के एक समूह की वजह से होता है। ये मोल्ड्स पूरे पर्यावरण में जीवित रहते हैं और ये साइनस या फेफड़ों को प्रभावित करता है। इस समय में कोरोना वायरस के साथ इसके भी रोगी मिलने शुरू हो गए हैं जो कि चिंता का सबब बनते जा रहे हैं।

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गौरतलब है कि कोरोना से ठीक होने वाले या संक्रमण के दौरान मरीज ब्लैक फंगस की चपेट में आ रहे हैं। इसके चलते मरीजों की मौत तक हो रही है। दिल्ली में भी म्यूकोर्माइकोसिस (ब्लैक फंगस) के मामले सामने आए हैं, एम्स में ब्लैक फंगस के 75 से 80 मामले, मैक्स अस्पताल में 50 मामले, इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल में 10 मामले सामने आ चुके हैं, वहीं एक मरीज की मौत भी हो गई है। एम्स दिल्ली के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया ने कहा कि कोरोना वायरस से पीड़ित मरीज पर आमतौर पर पांच से 10 दिन तक ही स्टेरॉयड की जरूरत पड़ती है। इससे ज्यादा दिनों तक मरीज को यह दवाएं दी जाएं तो ब्लैक फंगस की आशंका काफी बढ़ जाती है। स्टेरॉयड दे रहे हैं तो मरीज की पूरी निगरानी करना भी स्वास्थ्य कर्मचारियों की जिम्मेदारी है। ब्लैक फंगस से बचने के लिए मरीज की निगरानी बहुत जरूरी है।
आईसीएमआर ने जारी की एडवाइजरी
कोरोना महामारी की दूसरी लहर के बीच लोग ब्लैक फंगस (म्यूकोरमाइकोसिस) का शिकार हो रहे हैं। यह बीमारी शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होने वाले लोगों को होती है। कोविड और शुगर के मरीजों के लिए यह संक्रमण और ज्यादा खतरनाक साबित हो सकता है। वरिष्ठ चिकित्सक डॉक्टर आरएस टॉंक ने बताया कि इस बीमारी के बारे में इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) की ओर से एडवाइजरी जारी की गई है। इसके तहत ब्लैक फंगस संक्रमण शरीर में बहुत तेजी से फैलता है।
सांस के जरिये शरीर में करता प्रवेश
यह नाक, आंख, दिमाग, फेफड़े या फिर स्किन पर भी हो सकता है। इस बीमारी में कई लोगों की आंखों की रोशनी तक चली जाती है। वहीं कुछ मरीजों के जबड़े और नाक की हड्डी गल जाती है। कोरोना के दौरान या फिर ठीक हो चुके मरीजों को ज्यादा खतरा है। खासतौर से कोरोना के जिन मरीजों को शुगर है उन्हें सर्वाधिक सतर्क रहने की जरूरत है। यह संक्रमण सांस द्वारा नाक के जरिये व्यक्ति के अंदर चला जाता है। जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है, उनको यह जकड़ लेता है।
कुछ इस तरह के हैं लक्षण
नाक में दर्द हाना, खून आए या नाक बंद हो जाए या सूजन आ जाए। दांत या जबड़े में दर्द हो या वे गिरने लगें। आंखों के सामने धुंधलापन आए या दर्द होना। बुखार के साथ सीने में दर्द, बुखार, सिर दर्द, खांसी, सांस लेने में दिक्कत। खून की उल्टियां होना, कभी-कभी दिमाग पर भी असर होता है।
ब्लैक फंगस के बाद अब व्हाइट फंगस का कहर
अभी तक कोरोना संक्रमित मरीजों में ब्लैक फंगस की शिकायत मिलने की बात सामने आई थी, लेकिन अब कोरोना मरीजों में व्हाइट फंगस की समस्या भी पाई गई है। पटना मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल (पीएमसीएच) में भर्ती कोरोना के 4 मरीजों में व्हाइट फंगस मिलने की पुष्टि हुई है। ऐसे में आने वाले दिनो में ब्लैक फंगस के बाद व्हाइट फंगस भी लोगों की मुश्किलें बढ़ा सकता है।
नोएडा में दवा और इंजेक्शन नहीं
कोरोना के बाद नोएडा में ब्लैक फंगस के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। अभी अधिकांश मरीजों को यह बीमारी शुरुआती स्टेज में है, लेकिन जिले में इसकी दवाएं और इंजेक्शन उपलब्ध न होने की वजह से अधिकांश डॉक्टर मरीजों का इलाज शुरु नहीं कर पा रहे हैं। इससे मरीजों की स्थिति गंभीरता होती जा रही है। जिम्स में इस बीमारी के लिए कुछ दवाएं पहुंच गई हैं, लेकिन शहर के अन्य अस्पतालों को फिलहाल इंतजार करना होगा। ऐसे में तीमारदार परेशान हो रहे हैं।